शुक्रवार, 29 जून 2012

आंखों से जुड़ी हर बीमारी का ये है रामबाण इलाज

 आंखें अनमोल है आंखो से सबंधित किसी भी समस्या को जड़ से केवल योग ही मिटा सकता है। हस्तमुद्रा में प्राण मुद्रा करने से भी आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती हैं।

कैसे बनाएं मुद्रा- अंगूठे से तीसरी अनामिका तथा चौथी कनिष्ठिका अंगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर शेष दोनों अंगुलियों को अपने सीध में खड़ा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते है।

लाभ - दिल के रोग में रामबाण तथा आंखो की ज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है। इससे आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है। वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है।इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है। दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है।  

दस फंडे ...उनके लिए जिन्हें भूख नहीं लगती


अनियमित दिनचर्या व खान-पान के कारण कब्ज व एसीडिटी की समस्या हो जाती है। ऐसे में इन प्रॉब्लम्स के कारण धीरे-धीरे भूख कम होने लगती है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है भूख नहीं लगती तो नीचे लिखे दस फंडे आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।



2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के लेने से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।



3. एक समय हल्का भोजन करें।



4. खाना खाने के बाद अजवाइन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होती है।



5. भोजन के बाद एक चम्मच हिंग्वष्टक चूर्ण खाने से पाचन-क्रिया ठीक होती है।



6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर बनाई गई चटनी खाने से भी तेज भूख लगती है।



7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।



8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर अरूचि दूर होती है।



9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।



10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।

सोमवार, 25 जून 2012

महिलाओं के उन दर्द भरे दिनों को सहज बनाने के लिए कुछ घरेलू उपाय



मासिक धर्म में अनियमितता होने पर किसी भी महिला के लिए महीने के वो दिन बहुत ही दर्द भरे होते हैं। ऐसे में अनियमितता के चलते यह कभी दो बार या एक-डेढ़ माह में एक बार तक हो सकता है, यानी नियमित नहीं रहता, कभी ज्यादा गरम वस्तु खा ली तो भी मासिक शुरू हो जाता है। ऐसे में मासिक धर्म के दिनों में होने वाली परेशानी व दर्द से मुक्ति के लिए घरेलू इलाज भी असरदार होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही असरदार घरेलू इलाज.....

- मीठे नीम के पत्तों (करी पत्ता)  को सुखाकर इनका बारीक पाउडर तैयार कर लें। इस पाउडर का एक चाय चम्मच भर मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। दिन में दो बार सवेरे और शाम यह प्रयोग दोहराएं। इस प्रयोग से अनियमितता दूर हो जाएगी। कढ़ी, दाल, पुलाव आदि के साथ करी पत्ते का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है।

- अमलतास का गूदा 4 ग्राम, नीम की छाल तथा सोंठ 3-3 ग्राम लेकर कुचल लें। 250 ग्राम पानी में 10 ग्राम गुड़ सहित तीनों सामग्री डाल दें व पानी चौथाई रहने तक उबालें। मासिक की तारीख शुरू होते ही इस काढ़े को सिर्फ एक बार पिएं। इससे मासिक खुलकर आएगा तथा पीड़ा यदि हो तो दूर होगी। 

- 20 ग्राम गन्ने का सिरका रोज रात को सोने से पहले पीने से खुलकर व साफ माहवारी आती है। 

- नारियल खाने से भी मासिक धर्म खुलकर आता है।

- तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें। इस पाउडर को चुटकीभर पान में रखकर खा लेने से अनियमित रक्तस्त्राव बंद हो जाता है।

गुरुवार, 21 जून 2012

थायरायड कैंसर के लक्षण और इलाज


क्षण -
  • बोलने में परेशानी महसूस होना और आवाज का बदल जाना।
  • गला सूज कर बड़ा हो जाता है, निचले हिस्‍से को छूने पर दर्द महसूस होता है। ।
  • गले में गांठ का होना भी थायरायड कैंसर का लक्षण है।
  • शारीरिक कार्य करने पर ज्‍यादा थकान महसूस होना।
  • शरीर या जोड़ो में दर्द होना और कमजोरी लगना।
इलाज -
अल्ट्रासाउंड और थायरायड स्कैन के जरिए थायरायड कैंसर का पता तुरंत चल जाता है। प्रभावित ग्रंथि को चेक कर के देखा जाता है कि कहीं यह प्राणघातक तो नहीं है। अगर ऐसी कोई संभावना दिखती है तो इसकी सर्जरी की जाती है और पूरी ग्रंथि को निकाल दिया जाता है। फिर 4-6 हफ्तों के बाद पेशंट को रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी दी जाती है। आयोडीन ट्रीटमेंट के बाद पेशंट को थायरायड हार्मोन दवा लेने की सलाह दी जाती है। पेंशट को यह दवा पूरी जिंदगी के लिये भी लेनी पड़ सकती है। इसके बाद 6-12 महीनों के बाद पेशंट को दुबारा डॉक्‍टर के पास जाना ही पड़ता है, यह देखने के लिये कि कहीं बीमारी दुबारा ना शुरु हो गई हो।

बुधवार, 20 जून 2012

शहद की उपयोगिता



शहद प्रकृति की ओर से मनुष्य को प्रदान किया गया एक बहुमूल्य उपहार है। मधुमक्खी के माध्यम से प्राप्त शहद जिसे मधु भी कहा जाता है, यह मधु स्वस्थ्य की दृष्टि से बहुत उपयोगी और लाभप्रद होता है।
यह तो सभी जानते हैं कि मधुमक्खी फलों का रस चूस कर जो लुआब बनाती है उसी लुआब से हमें शुध्द शहद प्राप्त होता है। शहद स्वाद में मीठा और तासीर में गरम होता है। इस लेख में हम शहद से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
शहद से होने वाले लाभ-
* शहद का सेवन शरीर और मस्तिष्क को दृढ़ता प्रदान करता है। शहद का नियमित सेवन शरीर में शुध्द रक्त उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
* शहद का प्रयोग मूत्र कम आने की समस्या का भी समाधान करता है। प्रात: एक गिलास गुनगुने पानी में शहद मिला कर नियमित रूप से पीने से शरीर की व्यर्थ चर्बी को नष्ट करके शरीर को आकर्षक रूप प्रदान करता है।
* शहद का लेप त्वचा को आकर्षक आभा प्रदान करता है।
* शहद का चाटना कुत्ते के काटे में बहुत लाभप्रद होता है।
* शहद को फूले मसूड़ों में मलने से बच्चों के दांत सरलता से निकल आते हैं।
* शहद का बालों में प्रयोग जुएं और लीखों की समस्या का समाधान नहीं करता बल्कि बालों को पोषणता भी प्रदान करता है।
* प्यास कम लगने की समस्या हो तो शहद का सेवन करें इसके प्रयोग से प्यास खुलकर लगती है।
* फोड़े-फूंसी पर भी शहद का लेप बहुत लाभप्रद होता है।
* तीन लौंग पत्थर पर घिस कर शहद में मिक्स करके प्रात: और सोने से पूर्व लगभग एक सप्ताह तक खायें, इसके प्रयोग से कब्ज व पेट के कीड़ों की समस्या का समाधान होता है।

स्वस्थ्य रहने के लिए क्रियाशील रहे

जो व्यक्ति सदा क्रियाशील रहता है, रोग उसके पास नहीं फटकते। आरामदायक जीवन जीने वाला ही बीमार होता है। स्वस्थ रहने के लिए सदा क्रियाशील बने रहें।
* जो व्यक्ति स्वस्थ है, वह सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता है। उपलब्ध पदार्थों का सेवन कर सकता है। रोगी व्यक्ति के सभी साधन भी बेकार समझें।
* स्वस्थ व्यक्ति ही आयोजनों में, विवाह-शादियों में शामिल हो सकता है। लोगों से मिलकर बातचीत का आनंद ले सकता है। रोगी कभी नहीं।
* क्रियाशील रहें। बिस्तर नहीं पकड़ें। अपने कार्य अपने हाथों से करें दूसरों पर निर्भर न रहें।
* लक्ष्य निश्चित करें। परिणाम पाने के लिए प्रयत्न करें।
* दिनभर कार्यों में व्यस्त रहेंगे तो रात को अच्छी नींद आएगी। दिन में भोजन भी उचित पा लेंगे।
* यदि आपके पास अपार धन है मगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं तो सब बेकार। स्वस्थ रहने के लिए हरसंभव प्रयत्न करें। तभी मकान, धन सब ठीक लगेंगे।
* निरोग नहीं होंगे तो पकवान भी बेकार। खाने-पीने तथा एंजॉय करने के साधनों का लाभ तभी होगा, जब आप रोगों से बचे रहेंगे। पूर्ण स्वस्थ होना चाहिए।
* उपलब्ध साधनों का लाभ नहीं उठा सकता है, जो इसके लिए शारीरिक रूप से तैयार हो।
* धनोपार्जन के लिए अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अपनी पैठ बनाते हैं। प्रतिष्ठा पाते हैं, मगर यह सब तभी संभव होगा, जब स्वास्थ्य अच्छा होगा। रोगों से छुटकारा रहेगा, तभी ठीक वरना बेकार।
* यह सत्य है कि हमारा शरीर, ईश्वर का मंदिर है। यदि यह स्वच्छ होगा, स्वस्थ होगा, पवित्र होगा, क्रियाशील बना रहेगा तो इस मंदिर के आराध्य देव भी इसमें स्थापित होंगे अन्यथा छोड़ जाएंगे। अत: स्वस्थ रहकर इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ें।

मंगलवार, 19 जून 2012

मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल

जब रक्‍त में ग्‍लूकोज़ की मात्रा अधिक हो जाती है और वह पेशाब के दा्रान बाहर निकलने लगता है तो उसे मधुमेह कहा जाता है। अभी तक इसका कोई स्‍थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है इसलिए आपको इस बीमारी में विशेष ध्‍यान देनी की जरुरत है। डायबीटीज को अगर कंट्रोल करना है तो अच्‍छा पौष्टिक आहार और अपने लाइफस्‍टाइल में कई परिवर्तन लाने होगें। यह बीमारी को घरेलू उपचारों से भी काफी कम की जा सकती है। आइये देखते हैं कि हम इसको कैसे कंट्रोल कर सकते हैं। 

अपनाएं यह घरेलू उपचार- 

1.मेथी- मधुमेह को ट्रीट करने में मेथी बहुत बडा रोज प्‍ले करती है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्‍चित ही आपका ग्‍लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा और आपको इस बीमारी से राहत मिल जाएगी। 

2.करेला- डायबिटीज के निदानों में यह भी एक महत्‍वपूर्ण खोजों में से एक है। करेले का प्रयोग एक प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में किया जाता है क्‍योंकि इसमें कैरेटिन नामक रसायन होता है जिसके दा्रा खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. के रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।

3.जामुन- इस फल का रस, पत्‍ती और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से खतम कर देते हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्‍मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है। इससे अग्न्याशय पर काफी अच्‍छा असर पड़ता है। 

4.आमला- अगर एक चम्‍मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पिएगें तो मधुमेह की इस्‍से अच्‍छी दवा और कोई नहीं होगी। 

5.आम की पत्‍ती- 15 ग्राम ताजे आम के पत्‍तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्‍तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी लाभ होता है। 

6.शहद- कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्‍यूट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्‍हें चीनी की जगहं पर शहद खाने को कहा जाता है।

हेल्‍दी ड्रिंक, तुरंत शक्ति के लिए

बाजार में मिलने वाले कृत्रिम एनर्जी पेय शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं। इनमें कैफीन और चीनी की मात्रा बहुत ज्‍यादा पाई जाती है जो हमारे शरीर के लिए काफी नुक्‍सान दायक होता है। अगर आपको सारे दिन ऊर्जा चाहिए तो बाजार में मिलने वाले एनर्जी ड्रिंक्‍स से तौबा करें और घर पर ही बनाएं गए पेय का सेवने करें। 

घर पर बनाएं हेल्‍दी ड्रिंक- 

1. बनाना शेक: केला एक प्रकार का तुरंत शक्ति देने वाला फल है जो जल्‍दी हज़म नहीं होता और इसे खाने से पेट भी भरा रहता है। केले में विटामिन, मिनरल जैसे पोटैशियम और फास्फरस पाए जाते हैं जो शरीर की थकान को मिटा कर ऊर्जा बढ़ाते हें। 

2. एप्‍पल शेक: सेब भी एक प्रकार का एनर्जी फ्रूट है जिसको खाने से आप हमेशा एक्‍टिव बने रहेगें। सेब को अगर दूध के साथ मिला कर पी लें तो आप सारा दिन ऊर्जावान महसूस करेगें। 

3. लेमन और शहद जूस: एमीनो एसिड शरीर की एनर्जी को बढ़ाने में बड़ी जल्‍दी काम करता है। इससे फैट बर्न होने के साथ ही शरीर में पानी की कमी भी दूर होती है। अगर आपकी मासपेशियों में दर्द है तो इस पानी में अदरख डाल कर पिएं जिससे दर्द गायब होगा। 

4. गाजर का रस: गाजर में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल सबसे अधिक पाए जाते हैं जिसके प्रयोग से आप अपनी एनर्जी लेवल को अप कर सकते हैं। गाजर का रस प्रणाली को दूर करके शरीर से थकान को मिटाता है। महनत का काम करने के बाद अगर थकान महसूस हो रही हो तो अपने इस जूस में अंडे की जर्दी मिला लें और फिर सेवन करें, थकान दूर हो जाएगी। 

घरेलू उपचार से दूर करें‍ शिशु में पीलिया

इन तरीको से दूर करें पीलिया- 

1. ब्रेस्‍टफीडिंग- शिशु के शरीर से बिलीरुबिन को मल या फिर पेशाब दा्रारा निकाला जाता है। शिशु का लीवर उस वक्‍त कमजोर होता है, जिस कारण वह अपने शरीर से बिलीरुबिन को नहीं निकाल पाता। पर शिशु को अच्‍छे से ब्रेस्‍टफीडिंग करवा कर इसे पेशाब या मल दा्रा निकलवाया जाता है। पीलिया होने से बच्‍चे को बहुत नींद आती है इसलिए उसे 2-3 घंटे के अंतराल पर जगा कर या तो दूध पिलाना चाहिये या तो डॉक्‍टर दा्रा फॉर्मुला। 

2. सूरज की रौशनी- पीलिया को जड़ से मिटाने के लिए यह एक प्राकृति उपचार है। सूरज की किरणों से बिलीरुबिन का स्‍तर कम होने लगता है। बच्‍चे को धूप में 1-2 घंटे तक बाहर धूप में लिटाएं और ध्‍यान रखें की उसके शरीर पर केवल डायपर ही हो। इसके अलावा सूरज की सीधी रौशनी शरीर पर न ही पड़े वरना उसकी त्‍वचा टैन हो जाएगी। 

3. फारमूला- अगर आपके बच्‍चे को स्‍तन से दूध पीने में परेशानी होती है, तो उसके लिए लैक्‍टेशन स्‍पेशलिस्‍ट से संपर्क कर के मां के दूध का इंतजाम करें। आप चाहें तो अपना दूध निकाल कर बच्‍चे को चम्‍मच से पिला सकती हैं।

घर पर ही बनाइये ये ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट


1. टाइटनिंग-टोनिंग लेमन मास्‍क
सामग्री- 1/2 नींबू रस और 1 अंडा (सफेद भाग)
विधि- नींबू का रस और अंडे के सफेद भाग को लेकर 3 मिनट तक के‍ लिये अच्‍छे से फेंट लें। आंख बचा कर इस पेस्‍ट को डायरेक्‍ट चेहरे पर लगा लें। 30 मिनट तक चेहरे पर पेस्‍ट ऐसे ही लगा रहने दें और फिर हल्‍के गरम पानी से धो लें।
2. हनी लिप बाल्‍म
सामग्री- 2 चम्‍मच ऑलिव ऑयल, 1/2 चम्‍मच शहद, 3/4 चम्‍मच बीवैक्‍स, 1/2 चम्‍मच कोकोआ बटर, अपनी पसंद का फ्लेवर तेल (पिपरमिंट), 1 विटामिन इ कैप्‍सूल।
विधि- एक छोटे पैन में तेल, शहद, वैक्‍स और बटर गरम करें और पिघला लें। इसको आंच से उतारने के बाद 2-3 मिनट तक के लिये ठंडा होने के लिये रखें। इसको चलाते हुए विटामिन इ की गोली को पीस कर डालें। यह तैयार हो चुका है, अब इसे किसी हवा बंद डिब्‍बी में स्‍टोर कर लें।
3. सी साल्‍ट बॉडी स्‍क्रब
सामग्री- 1 कप दरदरा सेंधा नमक, 1/2 कप बेबी ऑयल
विधि- एक कटोरे में सारी सामग्रियों को आपस में मिला लें और जार में बंद कर के 24 घंटे के लिये रख दें। अब यह इस्‍तमाल करने के लिये बिल्‍कुल तैयार है, इसे अपने शरीर पर किसी भी भाग पर लगा कर स्‍क्रब कीजिये। इसको लगाने के बाद नहाइये।
4. फेस मास्‍क
सामग्री- 1/2 कप घिसा खीरा, 1/2 कप घिसा ऐवकाडो, 1 अंडे का सफेद भाग, 2 चम्‍मच मिल्‍क पाउडर।
विधि- सभी सामग्रियों को एक साथ मिक्‍सर में पीस लें और पेस्‍ट तैयार कर लें। इस मास्‍क को अपने चेहरे और गर्दन पर गोलाई में ऊपर की ओर लगाएं। इस मास्‍का को 30 मिनट तक के लिये लगाए रखें और इसके बाद गरम पानी से धो लें।
5. ब्राउन शुगर हैंड सॉफ्टनर
सामग्री- 1/4 कप ब्राउन शुगर, 1 चम्‍मच बेबी ऑयल।
विधि- इन सामग्रियों को एक साथ मिला कर पेस्‍ट बनाएं। फिर जिस तरह से आप हाथ धोती हैं, उसी मोशन में इस पेस्‍ट को अपने हाथों पर लाइये और थोड़ी देर के लिये मालिश कीजिये। कुछ देर बाद अपने हाथों को गरम पानी से धो कर सुखा लीजिये।

एसीडिटी के कारण जलन कर रही हो परेशान तो ये है एक आसान निदान

एसीडिटी के कारण पेट में कई बार असहनीय जलन भी परेशान करती है। अगर आपके साथ भी ऐसी ही समस्या है तो जरूर आजमाएं ये आयुर्वेदिक उपाय, पेट की जलन तुरंत दूर हो जाएगी।

आयुर्वेदिक उपाय- पुष्कर मूल, एरण्ड की जड़, जौ और धमासा- चारों को मोटा-मोटा कूट कर बोतल में भर लें। एक गिलास पानी में दो चम्मच चूर्ण डाल कर उबालें। जब पानी आधा कप बचे तब उतार कर आधा सुबह व आधा शाम को पी लिया करें। पेट की जलन दूर हो जाएगी। यह प्रयोग आठ दिनों तक करके बंद कर दें।

क्या ध्यान रखें- इस प्रयोग के साथ उचित आहार का सेवन करें यानी गरिष्ट भोजन से बचें। सुबह एक कप कच्चा दूध और एक कप पानी मिलाकर इसमें एक छोटी चम्मच मिश्री या चीनी डालकर फेंट लगाएं और खाली पेट चाय व दूध की जगह पीएं। भोजन के अंत में आगरे का पेठा या केला खाएं। सुबह -शाम आवंलें का मुरब्बा चबा-चबाकर खाएं।

सोमवार, 18 जून 2012

क्या आप पाइल्स की पीड़ा से परेशान हैं?



कहते हैं कि हम बीमार नहीं होते अपितु एक रोग को स्वयं निमंत्रण देते है। शरीर और मन बीमारी को बुलाते हैं। गलत खान-पान, दिनचर्या, जीवन शैली, रहन-सहन हमें रुग्णता की तरफ ले जाते हैं। हमारी 80 प्रतिशत बीमारियां स्वयं की पैदा की हुई होती है।
आजकल फास्ट फूड, जंक फूड व मांसाहारी भोजन कब्ज के जनक हैं और कब्ज बवासीर (पाइल्स) की जन्मदात्री है। वैसे कब्ज सब बीमारियों की जड़ है। कब्ज की पहली बेटी बवासीर दूसरी संतान सिरदर्द, सुस्ती, अपाच्य, गैस, अफारा, भूख न लगना है।
पाइल्स क्या है- कब्ज के कारण कड़े मल के कारण रैक्टम में जख्म हो जाते हैं। वे रिसते हैं तथा मलद्वार में से रक्तस्राव होता है। बैठने में असुविधा होती है। अनियमित खान-पान और जो मिला, वही खा लिया, सलाद, रेशेदार भोजन की कमी, कब्ज और अर्श की जन्मदात्री है।
अर्श का गुदा-दर्द आदमी को अर्श से फर्श पर ले आता है। बैठना लेटना दूभर हो जाता है। वसायुक्त, तले पदार्थ ज्यादा नानवेज उदर विकार करते है। गुदा की रक्तवाहिनियां एक गुच्छा बना लेती है। इसे मस्सा भी कहते हैं। शौच की हाजत को रोकने से ज्यादा देर तक सख्त आसन पर बैठने से भी बवासीर रोग हो जाता है। इसका दर्द रोगी ही जानता है। असहनीय दर्द से रोगी कराहता है।
पाइल्स, अर्श, बवासीर सभी एक रोग के नाम है। यह एक कष्टदाई दुखदाई रोग है। हम भोजन खान पान की परवाह किये बिना दुकानों, खोमचों पर जो मिला खा लेते हैं जिससे पाचन शक्ति प्रभावित होती है और हम कब्ज से पीड़ित हो जाते हैं।
कुछ सावधानी, पथापथ्य, खानपान व दिनचर्या में परिवर्तन एवं जागरुकता द्वारा हम रोग मुक्त हो सकते हैं।
* मल त्याग की भावना को कभी रोके नहीं। पूर्ण समय लगाकर पूर्ण सफाई रखें। पानी ज्यादा पिएं। भोजन को चबा-चबा कर खाएं।
* भोजन से पहले ज्यादा सलाद खाएं। सलाद में मूली गाजर, प्याज, फल प्रयोग करें।
* लस्सी मट्ठा नमक, कालीमिर्च डालकर पिएं। दही ज्यादा खाएं।
* पालक, साग, मेथी, मूली, शलगम की सब्जी प्रयोग करें।
* पपीता, आम, अमरूद कब्ज बवासीर के लिए घातक है।
* मल वेग के आवेग से तुरन्त मुक्त हों। बथुआ, चौलाई, मौसमी फल, सब्जी खाएं। हरी सब्जियां आतड़ियों में फंसा अन्न निकाल फेंकती है।
* आहार का दमन रोगों का शमन करने में सहायक रहता है। रोग को शुरू से ही पकड़ ले नहीं तो यह आपको पकड़ लेगा जिससे छूटना मुश्किल होगा।
* गर्म दूध के साथ च्यवनप्राश, ईसबगोल या त्रिफला नित्य लेकर चिरंजीवी बने।
* खान-पान का ध्यान रोगमुक्ति सूत्र है। मिठाई, नानवैज, तले पदार्थ, फास्टफूड गरिष्ठ भोजन वर्जित है। इलाज से परहेज बेहतर है।
* चिकित्सक की राय से क्षारसूत्र चिकित्सा, कांटरी चिकित्सा, जैली प्रयोग बर्फ सेंकन, कटिस्ान, औषधि सेवन लाभदायक हो सकते हैं परन्तु परम उपयोगी साधन है सौ बीमारी और एक परहेज जिन्दगी को स्वस्थ रखता है। परहेज सचमुच इलाज से बेहतर है क्योंकि निमंत्रण तो रोगों को हम स्वयं ही देते हैं।
* ईसबगोल का छिलका प्रात: खाएं दूध, शर्बत या पानी से लगातार दो मास तक लें। कब्ज के दुश्मन बन जाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य का दुश्मन है।
* हाट वाटर टब में कटि स्नान करें अर्थात मल द्वार डुबोएं रखें, इससे रैक्टम के जख्मों को राहत मिलती है और दर्द भाग जाता है।

काले हैं तो क्या हुआ… ‘स्वस्थ’ तो हैं!



कुछ पुरुष अथवा महिलाएं अपने काले या सांवले रंग के कारण दुःखी बने रहते हैं। वे शीशे के सामने जाने से घबराते हैं। उन्हें अपने रंग की चिंता किये बिना, अपने शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। रंग गोरा होने पर यदि कोई रोगी रहता है तो उस गोरी त्वचा का क्या लाभ? हमें रोग मुक्त रहकर शरीर को स्वस्थ रखना चाहिए, यह हमारा धर्म है।
:) त्वचा के सांवलेपन को हटाने के लिए बाजारू प्रसाधनों पर पैसा बर्बाद मत करें। ऐसा खाएं कि आपकी सांवली त्वचा पर भी निखार आने लगे।
:) स्वस्थ रहने के लिए पूरे शरीर को नियमित साफ रखें। इससे त्वचा में भी सुधार आता जायेगा।
:) शरीर पर नियमित मालिश करने के पश्चात् नहाने की आदत बना लें। इससे त्वचा पर खुरदरा या रूखापन भी नहीं आयेगा। शरीर में रक्त संचार ठीक होगा। रोग दूर भागेंगे।
:) जैतून का तेल खुरदरी या रूखी त्वचा को ठीक कर देता है। इसको लगाना अच्छा रहता है।
:) कच्चा दूध थोड़ा-सा कटोरी में लें। हल्की चुटकी नमक डालें। रूई के साथ चेहरे तथा हाथों पर मलें। रंग रूप दोनों निखरेंगे। स्वास्थ्य में भी वृध्दि आने लगेगी, क्योंकि रक्त संचार बढ़ जायेगा।
:) कच्ची सब्जियां, कच्चे फल, हरी सब्जियां तथा मौसमी फल अधिक मात्रा में लें। तले पदार्थों तथा जंक फूड से बचें। स्वस्थ होते जायेंगे।
:) शरीर को दिन भर 8 से 10 गिलास पानी मिलना ही चाहिए। इससे शरीर तो स्वस्थ होगा ही, आपकी सांवली त्वचा में भी चमक आती जायेगी।
:) गाजर खाएं। इसका रस चेहरे पर मलें। पानी में नींबू डालकर पीएं। छिलके को चेहरे पर मलें। एक-दो सप्ताह में चमत्कारी परिवर्तन देखेंगे।
:) अधिकारिक ताजा हवा, शुध्द हवा में जाएं। स्वास्थ्य तथा रंग, दोनों उत्तम होंगे।

भुट्टा खाने का स्‍वास्‍थ्‍य लाभ


1. ताजे भुट्टे पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन, गुर्दों की कमजोरी दूर हो जाती है।
2. यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इ‍सलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्‍छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
3. भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्‍फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इन पोषक तत्‍वों से बुढापे में हड्डियों के टूटने के चांस कम रहते हैं और गुर्दे सामान्य कार्य करते हैं।
4. कार्न में एंटीऑक्‍सीडेंट पाया जाता है, जिससे स्‍किन लंबे समय तक जवान दिखती है। इसको लगातार खाने के अलावा आप इसका तेल लगाइये जिसमें लिनोलिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा स्‍किन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्‍टार्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्‍किन बहुत कोमल बन जाती है।
5. आयरन की कमी की वजह से एनीमिया की बीमारी हो जाती है, इसलिये इसको दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्‍योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है जिससे एनीमिया दूर होता है।

6. भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्‍योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
7. इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्‍चा अंडरवेट हो सकता है और कई अन्‍य बीमारियों से पीडि़त भी।
8. ताजे दूधिया भुट्टे के दाने पीसकर शीशी में भरकर खुली हुई शीशी धूप में रखें। दूध सूख कर उड़ जाएगा और तेल शीशी में रह जाएगा। छान कर तेल को शीशी में भर लें और मालिश किया करें। दुर्बल बच्चों के पैरों पर मालिश करने से बच्चा जल्दी चलेगा।

चमकदार त्‍वचा के लिये लगाइये कुकुम्‍बर मास्‍क मंगलवार, जून 19, 2012, 9:45 [IST]


तरह-तरह के कुकुम्‍बर फेस मास्‍क -
1. ओट, दही और शहद के साथ - आ‍धे खीरे को ले कर मिक्‍सी में अच्‍छे से पीस लें और उसमें एक चम्‍मच ओट, दही और शहद मिलाएं। इस पैक को अपने चेहरे और गर्दन पर 20 मिनट तक लगाएं रखें और फिर ठंडे पानी से धो लें।
2. नींबू और अंडे के साथ - खीरे का पेस्‍ट लें और उसमें नींबू का रस और अंडे का सफेद भाग मिला कर ड्राई स्‍किन पर लगाने से त्‍वचा मुलायम हो जाती है और पिंपल भी खतम हो जाते हैं। इस मिश्रण को त्‍वचा पर 20 से 25 मिनट तक के लिये रखें।
3. शहद, नींबू और मिन्‍ट के साथ - यह मिश्रण स्‍किन को अंदर से हाइड्रेट कर के ग्‍लो लाता है। इस पेस्‍ट को बनाने के लिये 4-5 चम्‍मच गाढा खीरे का पेस्‍ट लें और उसमें शहद और नींबू की कुछ बूंदे मिक्‍स कर दें। साथ ही पुदीने की कुछ पत्‍तियां लेकर उसे क्रश करें और उसके रस को भी इस पेस्‍ट में मिला दें। इस पेस्‍ट को अपने चेहरे पर 15-20 मिनट तक के लिये लगाए।
4. गुलाबजल और मुल्‍तानी मिट्टी के साथ - 3 चम्‍मच खीरे के रस में 12 बूंदे गुलाबजल की मिलाए और मुल्‍तानी मिट्टी भी डालें। इस पेस्‍ट को चेहरे और गर्दन पर 10-15 मिनट तक के लिये लगाएं और पानी से धो लें। इस पेस्‍ट से चेहरे के पिंपल कम हो जाते हैं।
5. एवोकाडो, टमाटर और शहद - इस फ्रूट फेस पैक से अपने चेहरे की थोड़ी देर के लिये मसाज करें। खीरा, एवोकाडो और टमाटर को अच्‍छे से चॉप करें और इसमें शहद की कुछ बूंदे मिलाएं। इस फ्रूट फेस मास्‍क को चेहरे पर लगा कर 20 मिनट तक के लिये छोड दें। जब यह फ्रूट मास्‍क चेहरे पर सूख जाए तब इसे रगड़ कर छुड़ा लीजिये। इससे चेहरे के दाग-धब्‍बे हटेगे और स्‍किन कोमल हो जाएगी।

रविवार, 17 जून 2012

सिगरेट छोड़ने के लिए इन बातों को आजमाएं


सिगरेट की तलब इतनी तेज होती है कि संबंधित शख्स खुद को रोक नहीं पाता। वह न पीने की इच्छा रखते हुए भी कश मार लेता है। लेकिन कुछ उपायों को ध्यान में रख इससे छुटकारा पा सकते हैं। 


ई-सिगरेट एक अच्छा विकल्प है। इसमें न तो तंबाकू होती है और न ही निकोटीन। इसके अंदर मेंथॉल और मिंट होता है, जो सिगरेट की तलब को दिमागी स्तर पर शांत करता है।


च्युइंग गम भी एक विकल्प है। लेकिन ज्यादा च्युइंग गम से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। हालांकि शुगरलेस मिंट च्युइंग गम बेहतर रहता है।



मिंट गम स्वास्थ्यवर्धक और प्रभावी होती है। आप चाहें तो मिंट कैंडी भी खा सकते हैं।


डार्क चॉकलेट टेस्टी और स्वास्थ्यवर्धक होती है। जब आप सिगरेट छोड़ने की प्रक्रिया अपनाते हैं, तो भूख तेज लगती है। इस कारण आप कुछ भी खाने पर मजबूर हो सकते हैं। ऐसे में कई स्मोकर्स सिगरेट छोड़ने के लिए डार्क चॉकलेट का सहारा लेते हैं, जिसके स्वाद के आगे वह सिगरेट को भूल ही जाते हैं।


फ्लेवर्ड टूथपिक भी कई लोंगो के लिए सिगरेट छोड़ने में मददगार बनती है। यह बांस या फिर बिर्चवुड की बनी होती है, जो कि प्राकृतिक और जैविक पदार्थ हैं। इसका स्वाद मुंह में देर तक रहता है और सिगरेट पीने की तलब नहीं महसूस होती।

सौंफ या मेवे भी इसके अलावा सिगरेट छोड़ने के अच्छे विकल्प साबित हो सकते हैं। मेवे में बादाम को प्रमुखता से खाया जा सकता है।

केले में भी ऐसे तत्व होते हैं, जो सिगरेट की तलब शांत करते हैं। इससे शारीरिक लाभ भी मिलेगा।

योग उन लोगो को फायदा पहुंचाता है, जो स्ट्रेस या थकान की वजह से सिगरेट पीते हैं। योग में ऐसे कुछ आसन हैं, जो मन शांत रखेंगे और इससे वजन भी नियंत्रित रहेगा।

बिना इंजेक्शन डाइबिटीज को कंट्रोल में रखना है तो ये हैं कुछ घरेलू उपाय

डाइबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिससे रक्त के भीतर शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा अधिक हो जाती है। नियमित योगाभ्यास और नियमित दिनचर्या से इस रोग से बचा जा सकता है। डायबिटीज में शिथिल पेंक्रियाज की स्त्राव क्षमता को धीरे-धीरे कई अभ्यासों से दुरूस्त किया जाना संभव है।



घरेलू उपचार- डाइबिटीज के इलाज के लिए प्रतिदिन करेले और आंवले का जूस।

- नीम और तुलसी की पत्तियों से डाइबिटीज का इलाज।

- डाइबिटीज के मरीज़ो के लिए सर्वोत्तम आहार है सोयाबीन।

- डाइबिटीज का इलाज आम और जामुन से।

- प्याज खाएं और डाइबिटीजका इलाज करें। 

- सौंफ के सेवन से भी डाइबिटीज पर नियंत्रण संभव है।

-  काले जामुन डाइबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है।

-  शतावर रस और दूध समान मात्रा में लेने मसालों में थोड़ी सी दालचीनी डाल देने से आपको अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखने में मदद मिल सकती है ।

-  मेथी दाने को रात भर पानी में भिगाकर सुबह पानी फेंककर इसे सुखा लीजिए और पाउडर बनाकर फिर इसका इस्तेमाल करें या सब्जी की तरह खाएं ।

 डाइबिटीज की रोकथाम के लिए कुछ योगा

पश्चिमोत्तान आसन- दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। सांस छोडते हुए दोनों हाथों से पैरों के अंगूठे को पकडें। जितना हो सके, सिर को घुटनों के पास लाएं। क्षमतानुसार रूकें, फिर धीरे-धीरे पहले की स्थिति में आ जाएं।

योग मुद्रा-पद्मासन में बैठकर आंखें बंद कर लें। पीठ के पीछे एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड लें। कमर को आगे झुकाते हुए माथा जमीन पर रखें। इस स्थिति में कुछ देर रूककर फिर पहले वाली स्थिति में आ जाएं।

भुजंगासन-पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे सिर और छाती को ऊपर उठाएं। सांस को सामान्य रखते हुए क्षमतानुसार रूकें।

नोट- समस्या अगर अधिक गंभीर है जो चिकित्सकीय परामर्श बहुत जरुरी है।

चिकनी स्किन व आकर्षक फिगर के लिए याद रखें खाने से जुड़ी इन बातों को

संतुलित भोजन स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन में हरी सब्जियों को भी अधिक मात्रा में लेना चाहिए। फिर चाहे टमाटर हो पालक या करेला, सभी की अपनी खूबियां है। पिज्जा, बर्गर व अन्य फास्टफूड त्वचा के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। सुंदर बनने के लिए अन्न कम खाएं, सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें, वह भी रसेदार बनाकर। इससे शरीर के भीतर के अंग पुष्ट होते हैं। 

कुछ सब्जियां और फल तो बहुत उपयोगी हैं, जैसे करेला पेट के कीड़े नष्ट करता है। टमाटर रक्त बढ़ाता है एवं त्वचा निखारता है। नींबू शरीर के पाचक रसों को बढ़ाता है। पालक हड्डियों को कैल्शियम से सुदृढ़ करता है। पत्तेदार सब्जी लौह तत्व से भरपूर होती है, अत: इन सबका उचित रूप से प्रयोग करें। खीरा रक्तकणों का शोधन करता है व इसका प्रवाह बढ़ाता है। लहसुन खून का थक्का जमने नहीं देता, अत: ये ह्रदय रोग में लाभकारी है। परवल शरीर को ऊर्जा देती है, जबकि फास्टफूड हमारे शरीर के लिए चरस की तरह है जिसकी शरीर को आदत हो जाती है। इससे न सिर्फ मोटापा तेजी से बढ़ता है बल्कि ज्यादा ऑयली भोजन त्वचा को भी नुकसान पहुंचा सकता है। 

कमरदर्द से तुरंत राहत चाहिए... तो ये हैं कुछ छोटे-छोटे टिप्स कमरदर्द से तुरंत राहत चाहिए... तो ये हैं कुछ छोटे-छोटे टिप्स

1. अजवाइन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें तथा ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। लगातार 7 दिनों तक यह प्रयोग किया जाए तो आठवे दिन से कमर दर्द में 100 फीसदी लाभ होता है।

2. जहां दर्द हो, वहाँ 5 मिनट तक गरम सेंक और दो मिनट ठंडा सेंक देने से तत्काल लाभ पहुंचता है। 

3. सुबह सूर्योदय के समय 2-3 मील लंबी सैर पर जाने वालों को कमर दर्द की शिकायत कभी नहीं होगी।

4. नियमित रूप से चक्रासन करें।

सावधानियां- नीचे लिखी बातों का भी जरुर ध्यान रखें।

- नियमित रूप से पैदल चलें। यह सर्वोत्तम व्यायाम है।

- अधिक समय तक स्टूल या कुर्सी पर झुककर न बैठें।

- शारीरिक श्रम से जी न चुराएँ। शारीरिक श्रम से मांसपेशियां पुष्ट होती हैं।

- एक सी मुद्रा में न तो अधिक देर तक बैठे रहें और न ही खड़े रहें।

- किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें।

- भारी सामान को उठाकर रखने की बजाय धकेल कर रखना चाहिए।

एक आसान योगासन इससे खत्म हो जाती है पेट की सारी प्रॉब्लम्स

पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे एसीडिटी और कब्ज। यह बीमारियां अधिकांश लोगों को परेशान करती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए कूर्मासन का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद है।

कूर्मासन की विधि

किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।

कूर्मासन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।

एक आसान योगासन इससे खत्म हो जाती है पेट की सारी प्रॉब्लम्स

पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे एसीडिटी और कब्ज। यह बीमारियां अधिकांश लोगों को परेशान करती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए कूर्मासन का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद है।

कूर्मासन की विधि

किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दोनों कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाएं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथ को मिलाकर सीधा रखें। सांस बाहर निकालते हुए सामने झुकें। ठोड़ी का हथेलियों से स्पर्श करें। दृष्टि सामने रखें। सांस लेते हुए वापस आएं या सांस की स्थिति सामान्य रखते हुए कुछ देर नीचे ही झुके रहें।

कूर्मासन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से अग्न्याशय (पेन्क्रियाज) को सक्रिय करता है। जिससे डायबिटीज की बीमारी में काफी हद तक रोक लग जाती है। पेट संबंधी कई छोटे-छोटे रोग सदैव दूर ही रहते हैं। साथ ही यह आसन हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मदद करता है।

अचूक तरीके ....ऐसे रखें कोलेस्ट्रोल को काबू में हमेशा


कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल का स्तर जब सामान्य से अधिक हो जाता है तो वह रक्त वाहिनियों में जमने लगता है जिसके कारण हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या दिल की बीमारी से पीडि़त हैं तो नीचे लिखे उपाय आपके बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे।

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।

- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।

- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।

- सोयाबीन का तेल प्रयोग करें यह भी उपचार है।

- लहसुन, प्याज के रस का सेवन भी उपयोगी साबित होता है।

- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे रोजाना केभोजन में शामिल करें।

- शराब या कोई नशा ना करें।

- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार लेने से भी फायदा होता है।

- दूध में थोड़ी सी दालचीनी डालकर पीने से भी कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहता है।

- रात के समय दो चम्मच धनिया एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।

- एक गिलास ठंडे पानी में 40 तुलसी के पत्ते डाल लें और 1 नींबू निचोड़ लें। तुलसी के पत्तों को चबाते जाएं और नींबू का पानी पीते गए।
 

शुक्रवार, 15 जून 2012

चंदन एक फायदे अनेक



कीलमुंहासों के ठीक होने के बाद चेहरे पर किसी प्रकार के दागधब्बों को भी चंदन के लेप से साफ़ किया जा सकता है। 
  चंदन का लेप केवल कीलमुंहासों को, ठीक नहीं करता बल्कि त्वचा को साफ़ कर नमी भी प्रदान करता है। 1 चम्मच चंदन पाउडर में आधा चम्मच पाउडर मिला कर पेस्ट बना कर चेहरे पर 20 मिनट लगाए रखने से केवल कीलमुंहासे कम नहीं हो, आप का चेहरा भी खिलाखिला प्रतीत होता है। बराबर मात्रा में चंदन पाउडर हलदी पाउडर मिला कर थोड़े दूध के साथ पेस्ट बनाएं, इस में चुटकी भर कपूर भी मिलाएं। इस लेप की चेहरे पर मालिश कर रात भर लगा रहने दें। इस से आप को ठंडक के एहसास के साथसाथ चेहरे के दागधब्बे दूर होने का फायदा भी मिलेगा।
   समान मात्रा में चंदन पाउडर, हल्दी और नीबू का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद ठंडे पानी से धो लें। इस से आप की त्वचा नरम और दागरहित होगी।
  चंदन पाउडर और रोज वाटर का पेस्ट नियमित लगाने से अगर आप की त्वचा तैलीय है तो मुंहासे होने का डर नहीं रहेगा। इस के अलावा चंदन पाउडर में काले चने का पाउडर सामान मात्रा में मिला कर दूध गुलाबजल के साथ मिला कर चेहरे पर लगा कर रात भर रखने से आप कीलमुंहासों को हमेशा के लिए बायबाय कह सकेंगे।

साइड इफैक्ट नहीं 
चंदन  का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। खासकर आयुर्वेद में चंदन का प्रयोग खूब किया गया है। किसी प्रकार का घाव, फोड़ेफुंसी, कटनाछिलना आदिसभी पर चंदन के लेप से आराम मिलता है। यह एक कीमती पेड़ है, जो दक्षिण भारत में ज्यादातर पाया जाता है। चंदन का उबटन शादी से पहले नववधू लगाती है ताकि उस के चेहरे और काया की चमक बनी रहे। यह एक प्राकृतिक पदार्थ है, इसलिए इस के नियमित प्रयोग से किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। 

इस की खूबियाँ 
- चंदन में कीटाणुनाशक विशेषता होने की वजह से यह हर्बल एंटीसेप्टिक है, इसलिए किसी भी प्रकार के छोटे घाव और खरोंच को ठीक करता है। यह जलने से हुए घाव को भी ठीक कर सकता है।
- शरीर के किसी भाग पर खुजली होने पर चंदन पाउडर में हल्दी और एक चम्मच नीबू का रस मिला कर लगाने से खुजली तो दूर होगी ही, साथ में त्वचा की लालिमा भी कम होगी।
- चंदन का तेल सूखी त्वचा के लिए गुणकारी होता है। यह सूखी त्वचा को नमी प्रदान करता है।
- अगर खटमल या मच्छर ने काटा है तो खुजली और सूजन को चंदन का लेप लगा कर कम किया जा सकता है।
- शरीर के किसी भाग का रंग अगर काला पड़ गया हो तो 5 चम्मच नारियल तेल के साथ 2 चम्मच नारियल तेल के साथ 2 चम्मच बादाम तेल और 4 चम्मच चंदन पाउडर मिला कर उस खुले भाग पर लगाएं। इस से कालापन तो  जाएगा ही, फिर से त्वचा काली नहीं होगी।
- शादी से पहले नववधू उबटन लगाए तो हल्दी में चंदन मिला कर लगाने से त्वचा में निखार आएगा।
- अगर किसी को अधिक पसीना आता है तो चंदन पाउडर में पानी मिला कर बदन पर लाने से पसीना कम होगा।
  इतना ही नहीं, चंदन का किसी भी रूप में प्रयोग गुणकारी होता है, चाहे वो साबुन, तेल या पाउडर किसी भी रूप में हो। चंदन शरीर की प्रक्रिया प्रक्रिया का संतुलन बनाता है, पाचन क्रिया को ठीक करता है, साथ ही श्वास प्रक्रिया और स्नायुतंत्र को मजबूत बनाता है।

लों पुराने आयुर्वेदिक टिप्स: इन्हें अपनाएं और पाएं गुणवान संतान


हिन्दू वैदिक मान्यताओं के अनुसार १६ संस्कारों को बहुत जरुरी माना गया है। इन्हीं में से एक बहुत महत्वपूर्ण संस्कार है, पुंसवन संस्कार। पुंसवन का उद्देश्य विकृति रहित, गुणवान संतान की प्राप्ति से है। आयुर्वेद में इस सम्बन्ध में बताये गए कुछ सरल उपाय संतान प्राप्ति में मददगार हो सकते हैं। आयुर्वेद के मनीषियों ने गर्भधारण से सम्बंधित विषयों को बड़ी सहजता से शास्त्रों में उल्लेखित किया है, इसके कुछ पहलु आपके सम्मुख प्रस्तुत है-

- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन (अर्थात मन, वचन एवं कर्म से यौन विषयों से एक माह तक दूर रहना) करने वाले पुरुष को उड़द की दाल से बनाई गई खिचड़ी के साथ दूध खाने का निर्देश है, साथ ही मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद छठी, आठवीं एवं दसवीं रात को यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश है। परन्तु ऐसा नहीं है कि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान की प्राप्ति नहीं होगी।

- ऋतुकाल के बाद की चौथी रात्रि की अपेक्षा,छठी रात्रि एवं छठी की अपेक्षा आठवी रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टीकोण से अच्छा माना गया है।

- ऋतुकाल के सोलहवें से तीसवें दिन यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है।

- आयुर्वेद के मतानुसार ऋतुकाल के सामान्य चार दिनों में से पहले दिन स्त्री से यौन सम्बन्ध बनाना आयु को नष्ट करनेवाला बताया गया है तथा चौथे दिन के बाद यौन सम्बन्ध बनाना संतानोत्पत्ति की दृष्टी से उत्तम माना गया है अर्थात मासिक स्राव के दिनों को छोड़कर ही यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश दिया गया है।

- उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका छिद्र में डालना चाहिए।

- इस प्रकार गर्भधारण संस्कार में बताये गए नियमों से उत्पन्न संतान बलवान, ओजस्वी व स्वस्थ होती है।

बिना साइड इफैक्ट नींद न आने की परेशानी दूर हो जाएगी

सर्पगन्धा, ये नाम आपने शायद ही सुना हो लेकिन आयुर्वेद में ये बहुत ही उपयोगी जड़ी के रूप में वर्णित है। जैसे कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है, यह सर्प या सांप के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सांप काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती है। दो-तीन साल पुराने पौधे की जड़ को उखाड़ कर सूखे स्थान पर रखते है, इससे जो दवा निर्मित होती हैं, उसका उपयोग उच्च रक्तचाप, गर्भाशय की दीवार में संकुचन के उपचार में करते हैं। इसकी पत्ती के रस को निचोड़ कर आंख में दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। अनिद्रा, हिस्टीरिया और मानसिक तनाव को दूर करने में सर्पगन्धा की जड़ का रस काफी उपयोगी है। इसकी जड़ का चूर्ण पेट के लिए काफी लाभदायक है। इससे पेट के अन्दर की कृमि खत्म हो जाती है।

पहचान- सर्पगन्धा के पौधे की ऊंचाई 6 इंच से 2 फुट तक होती है। इसकी प्रधान मुख्य जड़ प्राय: 20 से. मी. तक लम्बी होती है। जड़ में कोई शाखा नहीं होती है। सर्पगन्धा की पत्ती एक सरल पत्ती का उदाहरण है। इसका तना मोटी छाल से ढका रहता है। इसके फूल गुलाबी या सफेद रंग के होते हैं।

उपयोग- इसकी जड़ भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, उनके लिए तो ये जड़ी वरदान है। यदि इसकी जड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहें तो इसकी जड़ को खूब बारीक पीसकर कपड़े से छानकर महीन पावडर बना लें। अनिद्रा दूर कर नींद लाने के लिए इसे 2 ग्राम मात्रा में सोने से घण्टेभर पहले ठण्डे पानी के साथ ले लेना चाहिए।

सावधानी- यही मात्रा मानसिक उत्तेजना व उन्माद को शान्त करने के लिए सेवन योग्य है। इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए और बहुत कमजोर शरीर वाले व्यक्ति को भी इसका सेवन किसी वैद्य से परामर्श करके ही करना चाहिए।

बुधवार, 13 जून 2012

फूड प्‍वाइजनिंग: रोकथाम और इलाज


बरतें यह सावधानियां - 
  • खाना बनाने के पहले और बाद में अपने हाथों को धोएं, खास कर कच्‍चा मांस छूने के बाद।
  • कच्‍ची हरी साग-सब्‍जियों को पकाने से पहले या फिर खाने से पहले जरुर धोएं।
  • भोजन को तब तक पकाएं जब तक उसके विषैले तत्‍व बाहर न निकल जाएं। साथ ही खाने को हमेशा साफ कंटेनर में ही रखें।
  • भोजन करने के तुरंत बाद ही बचा हुआ भोजन फ्रिज में रखें।
  • ऐसे खाना न खाएं जो कई देर से खुले में रखा हुआ हो और उसमें से महक आने लग गई हो। इसके अलावा अगर पैकेट पर डेट एक्‍सपायर हो गई हो तो भी उसे न खाएं।
  • टॉयलेट से आने के बाद अपने हाथों को साबुन से जरुर धोएं। अगर आपके घर पर पालतू जानवर है तो भी उसे छूने के बाद हाथों को धोएं।
  • ट्रैवल के दौरान अपने साथ घर का बना गरम और ताजा खाना ही ले जाएं। ठंडा और कच्‍चा खाना तब न रखें जब तक वह छिलके वाला न हो, जैसे केला।
ध्‍यान देने वाली बातें -
  • हमेशा भरोसेमंद स्‍टोर से ही खाने का सामान खरीदें। हमेशा सड़े-गले और किसी तरह की असामान्यता वाले फलों को लेने से बचना चाहिये। खाना अगर पैकेट वाला है तो हमेशा उसकी एक्‍सपायरी डेट को पढ़ लेना चाहिये।
  • अगर साबुत अनाजों में किसी तरह का कीड़ा या भुकड़ी लगी है, तो तुरंत उसे छोड़ कर आगे बढ़ जाना चाहिये।
  • जमे हुए खाने के सामानों को शौपिंग करने के सबसे आखिर में खरीदना चाहिये जिससे घर पर जाते ही वह आपके फ्रिज में जल्‍द से जल्‍द रखा जा सके।
इलाज -
  • अगर यह समस्‍या हल्‍की है तो इसका समाधान बड़े ही आराम से घर पर खूब सारा पानी पी कर किया जा सकता है।
  • शराब, कैफीन या फिर चीनी से भरे ड्रिंक का सेवन बंद कर दें। इस दौरान एलेक्‍ट्रॉल, ग्‍लूकोज़ या फिर शिकंजी का प्रयोग करें।
  • इससे शरीर से जितना पानी निकला होगा वह इन एनर्जी ड्रिंक से वापस आ जाएगा और आप बेहतर महसूस करने लगेंगे।
  • अगर पेट खराब हो गया हो तो ब्‍लैक टी पिएं और एक पेय तैयार करें जिसमें 1 चम्‍मच मेथी के दाने, पानी और मठ्ठा मिला हो, इसे पीने से जरुर राहत मिलेगी।
कब दिखाएं डॉक्‍टर को?
  • अगर साथ में बुखार भी हो।
  • दस्‍त में खून आ रहा हो।
  • अगर बार-बार उल्‍टी हो रही हो और पानी निकल रहा हो।
  • अगर समस्‍या 3 दिन से ज्‍यादा हो रही हो। अगर समस्‍या सीफूड या मशरूम खाने पर हुई हो।
  • अगर पेचिश की शंका हो, मुंह सूख रहा हो, पेशाब कम हो रही हो, चक्‍कर, थकान या फिर हार्ट रेट बढ गया हो और सांस लेने में परेशानी हो रही हो।

ये दो काम करें दिमाग हो जाएगा एकदम शार्प


बढ़ते पढ़ाई व काम के बोझ के कारण आजकल भूलने की बीमारी आम हो चली है। उम्र कोई भी हो यह समस्या किसी के भी साथ हो सकती है। इसी कारण लोग अपने कार्यक्षेत्र में अपना सौ-प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। इसलिए याददाश्त बढ़ाने के लिए लोग कई तरह की दवाईयां भी खाते हैं। अगर आपके साथ भी बार-बार भूल जाने की समस्या है तो नीचे लिखी दो यौगिक क्रियाओं से आप इससे छुटकारा पा सकते हैं।

विधि- सीधे खड़े होकर इसमें पैर के दोनों पंजे मिलाकर खड़े हो जाएं, सामने देखते हुए एक सीधे रखें हाथ को जंघाओं से सटे हुए हों। ध्यान को मस्तिष्क पर केंद्रित करें। दस बार तेजी से सांस ले और छोड़े।

- दूसरी क्रिया इसमें ध्यान मस्तिष्क पर केंद्रित करें। ठीक उसी प्रकार सांस लें और छोड़े। फिर सांस भरें और ऊपर की तरफ देखें। ललाट, कनपटी, और मस्तिष्क को शिथिल छोड़ें।
लाभ- इस क्रिया सोचने की शक्ति बढ़ जाती है। मन शांत रहता है। आंखों का व्यायाम भी हो जाता है। मस्तिष्क की शक्ति का विकास होता है। सिरदर्द में ठीक हो जाता है। आंखों की रोशनी तेज होती है। यादादश्त बढ़ती है।

सायटिका का भयानक दर्द खत्म हो जाएगा, सिर्फ दो हफ्तों में


सायटिका एक तरह का भयानक दर्द है जिसका मुख्य कारण सायटिक नर्व है, यह वो नर्व है जो रीढ़ के निम्न भाग से निकलकर घुटने के पीछे की ओर से पैर की तरफ जाती है। शरीर को अधिक समय तक एक ही स्थिति में रखने से यह दर्द बढ़ जाता है यह पेन बहुत असहनीय होता है। अक्सर यह समस्या उन लोगों में होती है जो बहुत समय तक बैठ कर काम करते हैं या बहुत अधिक चलते रहने से अत्यधिक साइकिल, मोटर साइकिल अथवा स्कूटर चलाने से सायटिका नर्व पर दबाव पड़ता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि अचानक हड्डियों पर जोर पड़ जाने से भी इस प्रकार का दर्द होता है। इस प्रकार का दर्द अकसर 40 से 50 वर्ष की उम्र में होता है और यह बीमारी बरसात या ठंड के मौसम में ज्यादा तकलीफ देती है। अगर आप भी सायटिका पेन से परेशान है तो आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक प्रयोग जिनसे सायटिका पेन जल्द ही ठीक हो जाएगा।

आयुर्वेदिक प्रयोग- मीठी सुरंजान 20 ग्राम + सनाय 20 ग्राम + सौंफ़ 20 ग्राम + शोधित गंधक 20 ग्राम + मेदा लकड़ी 20 ग्राम + छोटी हरड़ 20 ग्राम + सेंधा नमक 20 ग्राम इन सभी को लेकर मजबूत हाथों से घोंट लें व दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम गर्म जल से लीजिये।

-  लौहभस्म 20 ग्राम + रस सिंदूर 20 ग्राम + विषतिंदुक बटी 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंट कर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिये और दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लीजिये।

- एरण्ड के बीज की पोटली बनाकर उस से सेंक करें। दर्द से जल्द ही राहत मिलेगी।

- 50 पत्ते परिजात या हरसिंगार व 50 पत्ते निर्गुण्डी के पत्ते लाक र एक लीटर पानी में उबालें। जब यह पानी 750 मिली हो जाए तो इसमें एक ग्राम केसर मिलाकर उसे एक बॉटल में भर लें। यह पानी सुबह शाम पौन कप मात्रा में दोनों टाइम पीएं। साथ ही दो-दो गोली वातविध्वंसक वटी की भी लें।
 

ऐसा एक गिलास जूस आपकी उम्र को कभी ढलने नहीं देगा

आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में हमेशा से ही शहतूत को सेहत के लिये बेहद लाभदायक बताया जाता रहा है। आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों से भी यही बात साबित और सिद्ध हो रही है। हाल ही में हुई एक शोध में शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि शहतूत में एंटी एज यानी उम्र को रोकने वाला गुण होता है।

अध्ययन में यह पाया गया कि शहतूत बालों के लिये भी बेहद लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है।परीक्षण के दौरान देखा गया कि शहतूत में दूसरे लाभदायक फलों की तुलना में 79 प्रतिशत ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

डेली एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि शहतूत के जूस में एंटीऑक्सीडेंट संतरे से दोगुना होता है। इसके अलावा शहतूत में रेजवर्टेरोल पाया जाता है जिसमें स्वास्थ को लाभ पहुंचाने वाला गुण पाया जाता है। रेजवर्टेरोल के बारे में माना जाता है कि यह शरीर में फैले प्रदूषण को साफ  करता है और संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है। परीक्षण में पाया गया कि शहतूत में ऐसे गुण पाए जाते हैं जिससे आंखों की गड़बड़ी ठीक हो सकती है। यहां तक कि लंग कैंसर का जोखिम कम हो सकता है और कोलोन और प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है।  

मंगलवार, 12 जून 2012

बालों को लंबा और चमकदार बनाना है तो जरुरी है ये सात चीजें खाना क्योंकि....




बाल लंबे होने के बावजूद एक खास बात जो ब्यूटी निखारती है, वह है बालों की चमक। अगर आप बालों को लंबा और चमकदार बनाना चाहते हैं तो  इसके  सिर्फ अच्छे उत्पादों का इस्तेमाल ही जरूरी नहीं बल्कि बालों की सही देखरेख भी जरूरी है। इसके साथ ही उपयुक्त आहार का सेवन ना किया जाएं तो भी बालों की ग्रोथ रूक जाती हैं। आइए जानें कैसे पायें लंबे बाल।


सामन फिश- भोजन में सामन फिश को शामिल करें। इसमें पर्याप्त मात्रा में ओमेगा 3 व विटामिन बी 12 पाया जाता है। जिससे हेयर फालिकल्स मजबूत होते हैं। अगर ओमेगा ३ और विटामिन बी १२ की कमी हो जाती है तो सिर की त्वचा से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं। साथ ही बाल भी रूखे और बेजान नजर आने लगते हैं।


सेम- सेम में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं। एक कप पके हुए बीन्स में कम से कम 9 से 13 ग्राम फाइबर पाया जाता है। इसमें प्रोटिन पर्याप्त मात्रा में होता है इसलिए ये बालों के विकास में मदद करता है।


साबुत अनाज- साबुत अनाज खाने से भी बाल स्वस्थ होते हैं। साबुत अनाज में विटामिन बी, जिंक व आयरन पाया जाता है। ड्राय फ्रूटस- बादाम, काजू, मुंगफली, अखरोट आदि के पर्याप्त मात्रा में सेवन से ओमेगा ३, खनिज, सेलेनियम व जिंक आदि मिलते हैं जिससे बाल हेल्दी और शाईनी बन जाते हैं।


हरी सब्जियां- ब्रोकली, पालक व अन्य हरी सब्जियों में आयरन, विटामिन्स, कैल्शियम आदि मिलते हैं जो बालों की अच्छी ग्रोथ के लिए बहुत आवश्यक है।अंडे- अंडे में प्रोटिन, विटामिन बी 12, बायोटिन आदि पाए जाते हैं। इसे पकाते समय थोड़े आइल या बटर का उपयोग करें तो ये विटामिन और प्रोटिन बनाने में मदद करता है।


गाजर- हेल्दी स्केल्प और बालों की नेचुरल कंडिशनिंग के लिए गाजर का सेवन बहुत अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है।


लो-फैट डेयरी प्रोडक्टस- लो-फेट डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दही व पनीर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। बालों को हेल्दी बनाना है तो इनका सेवन भी बहुत जरुरी है।

Featured post

PCOD की समस्या

 🌻 *मासिक की अनियमितता, मासिक में देरी, PCOD की समस्या* 🌻 ऐलोपैथी चिकित्सा पद्ध्यति में इस रोग के लिए कोई उपचार नही है, किन्तु आयुर्वेद की...