मंगलवार, 31 जनवरी 2012

रोज ऐसे खाएं मुट्ठी भर चने...तो हेल्दी हो जाएंगे बॉडी, स्कीन और बाल

बड़े-बुजुर्ग कहते हैं चने रोज खाने वाले का शरीर बहुत स्वस्थ और ताकतवर बना रहता है। चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी तेज हो जाता है। इसलिए अगर आप भी उसके जैसे फुर्तीले बनना चाहते हैं तो चने का सेवन नियमित रूप से करना शुरू कर दीजिए। 

इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं। चने या दालें या किसी भी प्रकार के अनाज के दाने हमारा रोजाना के आहार में शामिल होना चाहिए, माना जाता है कि इन अनाज के दानों में एमीनो एसीड्स पाया जाता है, लेकिन अंकुरित होने के बाद इनकी पोषक वैल्यू कई गुनी बढ़ जाती है। हमारे शरीर की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। 

अंकुरित हो कर ये दाने फाइबर से भरपूर, पाचक और पोषक हो जाते है। मोटापा  घटाने  के  लिये  नाश्ते  में  चना  और  चाय  लें। अंकुरित  चना 3 वर्ष  तक  खाते  रहने  से  कुष्ट  रोग  में  लाभ  होता  है। 250  ग्राम  चने  को  एक  किलो  पानी  में  रात  को  भिगो  दें। चांदनी रात  हो  तो  इन्हें  चांदनी में  रखें। प्रात:  इनको  इतना  उबालें  कि  चौथाई  पानी रह  जाए। इस  पानी  को  पीने  से  शारीरिक  शक्ति  बढ़ती  है। प्रात:  अंकुरित  चने  का  नाश्ता  प्रत्येक  परिवार  को  करना  चाहिये।गुर्दे  या  मुत्राशय  में  पथरी  हो  तो  रात  को  चने  कि  दाल एक  मुट्ठी  भिगो  दें,  सुबह इस  दाल  में  शहद  मिलाकर  खाएं। 

केवल  चने  की  रोटी  दस  दिन  तक  खाते  रहने  से  पेशाब  में  शक्कर  आना  बन्द  हो  जाता  है। गर्भवती  को  उल्टी  हो  तो भुने  हुए  चने  का  सत्तू  पिलाएं। डॉक्टरों का कहना है कि चने में बहुत प्रोटीन होता है जो आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी है। चना आपकी पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है। चने से खून साफ  होता है जिससे आपकी त्वचा निखरती है।आपको यकीन नहीं होगा चना लोगों में यौन शक्ति को भी बढ़ाता है।चने का गरीबों का बादाम कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लडऩे की क्षमता है। चने से बालों का गिरना भी रूकता है क्योंकि इसमें उपस्थित प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करता है।

सरल इलाज: परेशान नहीं करेगा सिरदर्द, बिना दवा के ही ठीक हो जाएगा

सिरदर्द एक आम समस्या है जिसके कई कारण हो सकते हैं। थोड़े समय तक या हल्का सिरदर्द तो किसी को भी हो सकता है। लेकिन अगर सिरदर्द बार-बार होता है तो आगे चलकर यह कई बीमारियों का कारण बन जाता है। अगर आप भी बार-बार होने वाले सिरदर्द से परेशान हैं तो नीचे लिखे आसनों को नियमित रूप से करें।

 विधि

ध्यान-  इस आसन में सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठें। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में होंगे। आंखें बंद, गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। चित्त बिल्कुल शांत करें और श्वास, प्रश्वास और प्रश्वसन आसन में बैठ जाएं।

योग मुद्रा- दोनों पैरों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर पद्मासन की मुद्रा में आ जाएं। दोनों हाथों को  पीछे ले जाकर कलाइयां पकड़ लें। उसके बाद धीरे-धीरे कमर को आगे की ओर झुकाते हुए अपनी ठोड़ी को जमीन पर लगाने की कोशिश करें। 

चन्द्रभेदी प्राणायाम- पद्मासन में बैठें। गर्दन, कमर बिल्कुल सीधी रखें। दायें हाथ के अंगूठे से दाहिनी नाक को बंद करें। फिर नाक के बाएं छिद्र से सांस भरें और दाएं हाथ की उंगलियों से नाक को बंद करते हुए दाईं और से श्वास बाहर निकालें। इस प्राणायाम को 12-15 बार करें। 

पवनमुक्त आसन- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइए। उसके बाद दायीं टांग को घुटनों से मोड़ते हुए अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिला लें और ठोड़ी को घुटनों से मिलाने की कोशिश करें। बायीं टांग जमीन पर सीधी रहेगी। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें। इसी प्रकार इस आसन को बायीं टांग से करें। इस आसन को कम से कम पांच बार दोहराएं। 

वज्रासन- घुटनों को मोड़कर अपने शरीर का पूरा भार अपने दोनों पैरों की एडिय़ों पर रखकर बैठ जाएं। दोनों पैरों के पंजे आपस में मिले हों और दोनों एडिय़ां आपस में जुड़ी नहीं हों। दोनों हाथ घुटनों पर रखें। गर्दन, कमर और कंधे बिल्कुल सीधे और आंखें खुली रखें। इस आसन में कम-से-कम पांच मिनट तक बैठें।

शवासन-  इसमें पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों के बीच एक से दो फुट का फासला रखें। दोनों हाथ जांघों के पास और दोनों हथेलियां ऊपर की ओर हों। इस आसन में हम अपने पूरे शरीर को आराम देते हैं और अपना सारा ध्यान सांस लेने और छोडऩे में लगाते हैं। इससे हम अपने अंतर्मन से शरीर के एक-एक अंग का अवलोकन करते हैं।



सावधानी-दमा, ब्रॉन्काइटिस, निम्न रक्तचाप के रोगी व गर्भवती महिलाएं ये आसन ना करें।

सोमवार, 30 जनवरी 2012

खराब फिगर को परफेक्ट बनाना है तो अपनाएं ये प्रयोग

महिला हो या पुरुष सुडौल शरीर किसी के भी सौन्दर्य को और अधिक बड़ा देता है। कई बार परफेक्ट फिगर न होना भी कान्फिडेन्स में कमी का कारण बन जाता है विशेषकर महिलाओं में । इसी कारण से कई बार उनमें हीन भावना विकसित हो जाती है। सही योगासन और मुद्राओं के आदि नियमित अभ्यास से महिलाएं अपना पूर्ण सौंदर्य प्राप्त कर सकती हैं। यहां हम एक मुद्रा जिसे हस्तपाद मुद्रा कहते हैं की जानकारी दे रहे हैं। इस मुद्रा के नियमित प्रयोग से स्त्रियों का शारीरिक सौंदर्य पूर्ण विकसित हो जाता है। शरीर के अंगों में कसावट आ जाती है।





हस्तपाद मुद्रा बनाने का तरीका



इस मुद्रा के अभ्यास के लिए किसी आरामदायक स्थान पर बैठ जाएं। अब दोनो हाथों की हथेलियों को पीछे की ओर से आपस में जोड़ लें। हाथों की सभी उंगलियां आपस में मिल जाती है इसे हस्तपात मुद्रा कहा जाता है।



हस्तपाद मुद्रा के लाभ



इस मुद्रा से सांस के रोग, गले के रोग जैसे- दर्द, सूजन या टॉन्सिल आदि में काफी आराम मिलता है। इसके नियमित अभ्यास से ये रोग आपसे दूर ही रहेंगे।



हस्तपाद मुद्रा स्त्रियों के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी है। जिन स्त्रियों का शरीर ठीक से विकसित नहीं हुआ है या शरीर ढीला पड़ गया है उनके लिए यह मुद्रा बेहद लाभदायक है। इसके नियमित इस्तेमाल से स्त्रियां सुंदर सुड़ौल और स्वस्थ हो जाती हैं। स्त्रियों का फिगर आकर्षक हो जाता है।



इस मुद्रा से क्यों बढ़ती है सुंदरता



हस्तपाद मुद्रा से स्त्रियां की सुंदरता बढ़ती हैं क्योंकि हमारी कलाइयों के पीछे की मांसपेशियों का संबंध शरीर के कई अंगों से होता है। इस मुद्रा के माध्यम से वे मांसपेशियां एक्टिव हो जाती है और शरीर के अंगों में कसावट लाती है।

रविवार, 29 जनवरी 2012

स्कीन के रूखेपन से परेशान हैं तो ...कास्मेटिक्स से बेहतर हैं ये घरेलु नुस्खे

सर्दियों में हेल्दी स्कीन वालों को भी रूखी त्वचा की परेशानी सताने लगती है। त्वचा की खूबसूरती कम होने लगती है और खुश्की बढऩे लगती है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते ही इसका इलाज कर लिया जाए नहीं तो खुश्की एक सुंदर और आकर्षक चेहरे को बेजान, कांतिहीन और खुरदरे चेहरे में बदल सकती है। हम बताएंगे कि कैसे हम अपनी त्वचा को खुश्की की नजर से बचा कर रख सकते हैं।

- चने के आटे को गुनगुने दूध में भिगो दें। थोड़ी देर रखने के बाद इसमें चंद बूंदे नींबू का रस निचोड़ दें। थोड़ी हल्दी मिलाएं और चेहरे पर लगा लें। 10 मिनट बाद इसे गुनगुने पानी की मदद से निकाल दें।

- रूखी त्वचा पर आप फलों का रस या गूदा इस्तेमाल कर सकती हैं। खूब पका हुआ केला मैश करें और शहद मिला लें। इसमें नीबू का रस मिला सकती हैं। इसे चेहरे पर लगाकर कुछ समय के लिए छोड़ दें। गुनगुने पानी से धो लें।

- उबटन के प्रयोग के कुछ समय बाद अच्छा टोनर लगा सकती हैं। गुलाब जल एक आम टोनर है।

- बेहतर होगा कि नियमित बादाम तेल या तिल के तेल से बॉडी मसाज कराएं। अगर यह संभव न हो तो नहाने के पानी में एक चम्मच तिल का तेल डालकर नहाएं।

- सर्दियों में ऑलिव ऑइल का प्रयोग अवश्य करें। नहाने के पानी में इसे मिला लें और फिर उस पानी से नहाएं।

- बहुत देर तक व बहुत गर्म पानी से न नहाएं, इससे त्वचा और रूखी हो जाती है। नहाने के बाद एक मग पानी में एक चम्मच शहद डालकर शरीर पर डालें, इससे शरीर कोमल हो जाएगा और आप सारा दिन तरोताजा महसूस करेंगी।

- इस मौसम में हाथों की कोहनियों की त्वचा काफी शुष्क हो जाती है और कभी-कभी वहां कालापन आ जाता है। अगर ऐसा हो तो एक नीबू के छिलके पर थोड़ी-सी पिसी हुई फिटकरी डालकर कुछ देर प्रभावित त्वचा पर हल्के हाथ से मलें।

फ्रूट नहीं ये टॉनिक है, कुछ दिन इसे नाश्ते में लें तो सालभर सेहतमंद रहेंगे


आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है।  यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं।

आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता। आंवले में क्रोमियम काफी मात्रा में होता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हॉर्मोन का काम शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है। आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है।  यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और बालों  के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है।





- आंवले के जूस में शहद मिलाकर पीएं। यह मोतियाबिंद की परेशानी में भी फायदेमंद रहता है।



- आंवला बॉडी की इम्युनिटी पावर बढ़ाकर उसे इंफेक्शंस से लडऩे की स्ट्रेंथ देता हैं।



- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप सालभर स्वस्थ बने रहेंगे।



- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।



- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।



- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।



- आंवला हमारे शरीर की त्वचा और हमारे बालों के लिए बहुत लाभकारी होता है।



- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।



- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिससे दिल शरीर को ज्यादा व साफ खून सप्लाई कर पाएगा। बेशक इससे आप सेहतमंद रहेंगे।



-  आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।



-  आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।



- खाना खाने से पहले आंवले का पाउडर, शहद और मक्खन मिलाकर खाने से भूख अच्छी लगती है।



- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।



- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।
 

खाने के बाद बस कुछ देर ऐसे बैठें तो पेट की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी

अगर आप गैस, एसीडिटी या पेट से जुड़ी अन्य किसी समस्या से परेशान हैं? पाचनतंत्र से जुड़ी इन समस्याओं के कारण आपको पेट का दर्द आए दिन परेशान करता रहता है तो नीचे लिखी विधि से बताया गया योगासन दस मिनट करें। पेट से जुड़ी सारी समस्याएं अपने आप दूर हो जाएंगी।

वज्रासन के अतिरिक्त अन्य सभी योगासन खाने के पूर्व ही किए जाते हैं वज्रासन ही एक मात्र ऐसा आसन हैं जो खाने के बाद किया जाता है। वज्रासन हमारा पाचन तंत्र व्यवस्थित रखता है। इसी लिए प्रतिदिन खाने के बाद कुछ समय वज्रासन अवश्य करें।



वज्रासन करने की विधि



खाने के कुछ पश्चात समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर घुटनों को मोड़कर इस तरह से बैठें कि नितंब दोनों एडिय़ों के बीच में आ जाएं, दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिले रहें और एडिय़ों में अंतर भी बना रहे। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। पीछे की ओर न झुकें और शरीर को सीधा रखें। हाथों और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें और कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लें। अपना ध्यान सांस की तरफ बनाए रखें। धीरे-धीरे आपका मन भी शांत हो जाएगा। इस आसन में पाँच मिनट तक बैठना चाहिए।



वज्रासन के लिए सावधानियां



वज्रासान में अगर पैरों या टखनों में अधिक खिंचाव और तनाव हो रहा हो तो दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठें और पैरों को बारी-बारी से घुटने से ऊपर नीचे हिलाएं। वे लोग वज्रासन न करें जिनके घुटने कमजोर हैं जिन्हें गठिया है या फिर जिन्हें हड्डियों से संबंधित कोई बीमारी हो।



वज्रासन के लाभ



- इस आसन से रक्त का संचार नाभि केंद्र की ओर रहता है जिससे पाचन तंत्र व्यवस्थित होता है और पेट की कई छोटी-बड़ी बीमारियां दूर रहती हैं।



- यह आसन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद है। इस आसन से महिलाओं की मासिक धर्म की अनियमितता से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

पपीता के असरदार नुस्खे : ये मोटापे और स्कीन प्रॉब्लम्स के लिए है रामबाण

पपीता को पेट के लिए वरदान माना गया है। कहते हैं पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है। 



पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीता में विटामिन ए, बी, डी, प्रोटिन, कैल्सियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है।



इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता हैं। जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। चूंकि सारे रोगों का कारण पेट के सही ना होने के कारण होता है इसलिए पपीते का सेवन रोज करना चाहिए।  पपीता खाने से वजन कम हो जाता है। पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में करते हैं। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है। 



कच्चे पपीते की सब्जी खाने से याददाश्त बढ़ती है। जबकि पपीते का जूस पीने से मनुष्य में यौन शक्ति की वृद्धि हो जाती है। पपीता ऐसा फल है जो ना तो काफी महंगा होता है और ना ही मुश्किल से मिलता है इसलिए पपीते का सेवन हर व्यक्ति को रोज करना चाहिए। सिर्फ एक महीने नियमित रूप से आप पपीता खाइये फर्क आप खुद ही महसूस करेगें और सबसे कहेगें कि पपीता खाओ और काम पर जाओ।  समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है। अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है।  

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

ऐसे परोसें खाना तो नहीं लेनी पड़ेगी पेन-किलर

आयुर्वेद सदियों से भोजन या अन्न को जीवन के लिए श्रेष्ठ मानता रहा है और हमने यह सुना भी है कि निरोगी तन के लिए निरोगी अन्न भी जरूरी है- और यदि यह प्यार से बनाया,परोसा और खिलाया जाय तो क्या कहने, इसलिए हमने अक्सर घर के खाने में ये सभी गुण बताये  गए हैं, अब वैज्ञानिकों की मानें तो यदि भोजन प्यार से बनाया और परोसकर खिलाया जाय, तो यह दर्द को भी दूर करने में मददगार होता है। अब वैज्ञानिकों ने ठीक उसी बात को दुहराया है, जिसे सदियों से हमने अपनी दादी-नानी-मां और पत्नी द्वारा रसोई में बनाए गए खाने से प्राप्त किया है। शायद यह हमारी परम्परा और संस्कृति क़ी शोधपरक तकनीक रही है, जिसे हमारे पीछे-पीछे आज के वैज्ञानिक विभिन्न शोधों द्वारा पुष्ट कर रहे हैं, यूं ही नहीं हम एक  महान देश की संस्कृति के संवाहक कहे जाते हैं। 

यूनिवर्सिटी आफ मेरीलैंड के शोधकर्ताओं क़ी मानें तो  दर्द से पीडि़त रोगियों को यदि प्यार से बनाकर भोजन खिलाया जाय ,तो वह उसके दर्द को भी दूर करने में सहायक होता है। वैज्ञानिक कर्ट ग्रे का कहना है, कि हमारी भावनाएं इस दुनिया के भौतिक अनुभवों पर अच्छा या बुरा  प्रभाव डालती  हैं, चलो देर से ही सही अब वैज्ञानिक आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को घुमा फिराकर ही सही ,मान तो रहे ही हैं । उनका कहना है ,अच्छी भावना दर्द को घटाने,खुशियां बढाने और स्वाद को बढाने में सहायक होती  है। यह अध्ययन जर्नल सोशल साइकोलोजिकल एंड पर्सनालिटी साइंस में प्रकाशित हुआ है।

कभी नहीं लेनी पड़ेगी नींद की गोली, गहरी नींद के लिए ये है आयुर्वेदिक इलाज

सर्पगन्धा ये नाम आपने शायद ही सुना हो लेकिन आयुर्वेद में ये बहुत ही उपयोगी जड़ी के रूप में वर्णित है जैसे कि नाम से ही स्पष्ट हो जाते हैं। यह सर्प के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती दो-तीन साल पुराने पौधे की जड़ को उखाड़ कर सूखे स्थान पर रखते है, इससे जो दवा निर्मित होती हैं, उनका उपयोग उच्च रक्तचाप, गर्भाशय की दीवार में संकुचन के उपचार में करते हैं। 



इसकी पत्ती के रस को निचोड़ कर आंख में दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग मस्तिष्क के लिए औषधि बनाने के काम आता है। अनिद्रा, हिस्टीरिया और मानसिक तनाव को दूर करने में सर्पगन्धा की जड़ का रस, काफी उपयोगी है। इसकी जड़ का चूर्ण पेट के लिए काफी लाभदायक है। इससे पेट के अन्दर की कृमि खत्म हो जाती है।

पहचान- सर्पगन्धा के पौधे की ऊंचाई 6 इंच से 2 फुट तक होती है। इसकी प्रधान जड़ प्राय: 20 से. मी. तक लम्बी होती है। जड़ में कोई शाखा नहीं होती है। सर्पगन्धा की पत्ती एक सरल पत्ती का उदाहरण है। इसका तना मोटी छाल से ढका रहता है। इसके फूल गुलाबी या सफेद रंग के होते हैं।

उपयोग- इसकी जड़ भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है। उनके लिए तो ये जड़ी वरदान है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण सेवन करना चाहें तो इसकी जड़ को खूब बारीक पीसकर कपड़छान कर महीन पावडर बना लें। अनिद्रा दूर कर नींद लाने के लिए इसे 2 ग्राम मात्रा में सोने से घण्टेभर पहले ठण्डे पानी के साथ ले लेना चाहिए।

सावधानी- यही मात्रा मानसिक उत्तेजना व उन्माद को शान्त करने के लिए सेवन योग्य है। इसको अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए और बहुत कमजोर शरीर वाले को भी इसका सेवन किसी वैद्य से परामर्श करके ही करना चाहिए।

शर्तिया नुस्खा- बड़ की जड़ का प्रयोग बना देगा हेल्दी और फिट


किसी भी व्यक्ति की आकर्षक पर्सनालिटी में उसके हष्ट-पुष्ट होने का भी बहुत योगदान होता है। कई बार हद से ज्यादा दुबलापन भी लो-कान्फिडेन्स का कारण बन जाता है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है शरीर सुडौल नहीं है तो  घबराए नहीं शारीरिक बल से जुड़ी या कमजोरी की समस्या हो तो नीचे लिखे आयुर्वेदिक उपाय को जरूर अपनाएं।



सामग्री- बड़ के पेड़ की जटा का अग्रिम लाल रंग वाला भाग लेकर छाया में सुखाकर पीस लें। इस पिसे हुए चूर्ण की 100 ग्राम मात्रा लेकर उसको खरल में डालकर रोज 10 ग्राम बड़ का दूध डालकर खरल में बारिक पीस लें। इस प्रकार एक माह में 300 ग्राम दुग्ध खरल हो जाएगा। तब नुस्खा श्रेष्ठ फल देगा, यदि इतने दिन तक खरल करना संभव न हो तब 15 दिन तक खरल करना संभव हो तब 15 दिन में 150 ग्राम बड़ दुग्ध खरल करके 300 मि.ग्राम मात्रावत् गोलियां बनाकर रख लें।



सेवन विधि- एक-एक गोली सुबह शाम दूध, मधु, मक्खन, अथवा मलाई के साथ मिलाकर खाएं।



गुण व उपयोग- इसके सेवन से शरीर का ढीलापन दूर होता है। शरीर सुडौल व सुगठित बनता है। कमजोरी मिटती है। पौरुष शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा इस  औषधी के नियमित सेवन से गैस्ट्रीक प्रॉब्लम्स भी धीरे-धीरे मिटती जाती है। अच्छे से अच्छे टॉनिक भी इस दवाई के आगे नहीं टिक पाता है।

नेचुरल तरीका: दस मिनट में हाइब्लडप्रेशर और टेंशन हो जाएगा छू-मंतर

अधिकांशत: बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ब्लडप्रेशर और तनाव दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दस मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें।

ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए, ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए।

- बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए।

- पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार को ढीला छोड़ दीजिए। 

- लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए। 

- इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी। 

- अपने सांस पर ध्यान दीजिए। 

- अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए। 

- इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए। 

-  कम से कम 30 सांस तक आप इसी अवस्था में रहें। 

- अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।

सोमवार, 23 जनवरी 2012

लहसुन का अनोखा फेसपैक : स्कीन हो जाएगी पिंपल्स फ्री

यौवन के दहलीज पर कदम रखते ही कई युवक व युवतियों को मुंह पर छोटे-छोटे दाने या फुन्सियां निकलती है जिनसे चेहरा कुरूप लगने लगता है। इसे मुंहासे कहते हैं। अधिकतर ये तैलीय त्वचा पर निकलते हैं अत: चेहरे क्रीम तेल कोई चिकनाई युक्त पदार्थ न लगाएं ये हार्मोन की गड़बड़ी, त्वचा की सफाई न करने, पेट की खराबी से भी होते हैं। 

इन्हें हाथ से न फोड़ें निशान पड़ जाते हैं। मुंहासे खाने पीने की गलत आदत से भी होते हैं।  कारण जब पेट अपना काम सुचारू रूप से नहीं करता जिसकी वजह से जो भी टॉक्सिक बाहर आ जाना चाहियें वो नहीं आ पाता तथा रक्त में जहरीले पदार्थ फैल जाते हैं और वह इस रूप में बाहर निकलते हैं। ऐसे भोजन जिनमें स्टार्च, प्रोटीन, वसा अधिक होता है उनसे बचना चाहिये। साथ ही नीचे लिखा आयुर्वेदिक फैसपेक भी उपयोग करें।

फैसपेक-
मुंहासे+ लहसुन की कोपलें+ मजीठ + लालचंदन+मसूर+ लोध- इन सबको जल के साथ महीन पीसकर रात को मुहांसों पर लगाकर सो जाएं और सबेरे गुनगुने जल से धो लेना चाहिए।

केसर का आयुर्वेदिक फार्मुला बाल नहीं उड़ेंगे, उड़ गए हैं तो वापस आ जाएंगे

केसर एक ऐसी औषधि है, जो सिर्फ खाने को स्वादिष्ट नहीं बनाती बल्कि देवपूजा व आयुर्वेदिक दवाईयों में भी उपयोग में लाया जाती है। केसर बहुत ही उपयोगी गुणों से युक्त होती है। केसर उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति बनाए रखने वाली होती है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से, अल्प मात्रा में ग्रहण करने पर यह त्रि-दोषों (वात, पित्त व कफ) से निजात दिलाता है। इसका स्वभाव गर्म होता है। अत: औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।

यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। अत: इसका उपयोग बाजीकरण के लिए भी किया जाता है। कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। त्रिदोष नाशक, रुचिकर, मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।

त्वचा का रंग उज्ज्वल करने वाली, रक्तशोधक, धातु पौष्टिक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है। अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं। शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।

 गंजे लोगों के लिये तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। तत्पश्चात् उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऐसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरुषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है।

बिना एक्सरसाइज हो जाएं स्लिम-ट्रिम, देसी इलाज करें अरंडी के पत्तों से

अगर आप बढ़ते मोटापे से परेशान हैं और एक्सरसाइज के लिए टाइम नहीं निकाल पाते हैं तो टेंशन न लें। आप बढ़ते मोटापे को रोक सकते हैं वो भी देसी इलाज से। एरंड यानी अरण्डी भारत में बहुत अधिक पाया जाता है। इसका आयुर्वेदिक तरीके से प्रयोग करके आप मोटापा घटा सकते हैं। लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि अरंडी या एरंड की क्या पहचान है। 

एरंड के पौधे के तने, पत्तों और टहनियों के ऊपर धूल जैसा आवरण रहता है, जो हाथ लगाने पर चिपक जाता है। ये दो प्रकार का होते हैं लाल रंग के तने और पत्ते वाले एरंड को लाल और सफेद रंग के होने पर सफेद एरंड कहते हैं।एरंड दो प्रकार का होता है पहला सफेद और दूसरा लाल।

लाल एरंड- एरंड का तेल पेट साफ  करने वाला होता है। एरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाते है। 

सफेद एरंड- सफेद एरंड, बुखार, कफ, पेट दर्द, सूजन, बदन दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, मोटापा, प्रमेह और अंडवृद्धि का नाश करता है।एरंड के तेल का जुलाब देना चाहिए। इसका जुलाब बहुत ही उत्तम होता है। इससे पेट में दर्द नहीं होता और पानी की तरह पतले दस्त भी नहीं होते, केवल मल-शुद्धि होती है। यदि इसका जुलाब फायदा नहीं पहुंचाता तो यह कोई हानि नहीं पहुंचाता। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए यह समान उपयोगी है। सोंठ के काढ़े के साथ पीने से एरंड के तेल की दुर्गन्ध कम हो जाती है।

एरंड की जड़ का काढ़ा छानकर एक-एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें। एरंड के पत्ते, लाल चंदन, सहजन के पत्ते, निर्गुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, बाद में 2 कलियां लहसुन की डालकर पकाकर काढ़ा बनाकर रखा रहने दें इसमें से जो भाप निकले उसकी उस भाप से गला सेंकने और काढ़े से कुल्ला करना चाहिए। एरंड के पत्तों का क्षार को हींग डालकर पीये और ऊपर से चावल खाएं। इससे लाभ हो जाता है।अरण्ड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है

रविवार, 22 जनवरी 2012

चना पाक: ठंड में ये रखेगा आपको स्वस्थ और रोगों को कर देगा पस्त

चने को आयुर्वेद में शारीरिक स्वास्थ्य और सौंदर्य में लाभकारी माना गया है। माना जाता है कि चना अनेक रोगों की चिकित्सा करने में भी सहायक होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। रक्ताल्पता, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। चने के गुणों को ध्यान में रखते हुए ही हम आज आपको बताने जा रहे हैं चने का एक अनोखा प्रयोग जो ठंड में दुबले से दुबले व्यक्ति की भी हेल्थ बना देगा और बीमारियों की छुट्टी कर देगा।

एक किलो देशी चने शाम को दूध में डालकर गलाने के लिए रख दें। दूसरे दिन इन्हें खूब महीन छिलका सहित पीस कर पीठी बना लें। छोटे-छोटे बड़े बना कर शुद्ध घी में बड़े की तरह तल लें और ठंडा कर मसल लें। इस मसल ने के बाद इसे घी में सेंक लें, पीस लें। जब अच्छा सिक कर लाल हो जाए, तब उतार लें और इसमें ककड़ी के बीज, चिरौंजी, किशमिश व कतरा हुआ अखरोट डाल कर बराबर शकर की चाशनी बना कर पाक बना लें या 25-25 ग्राम के लड्डू बना लें। सुबह नाश्ते में एक लड्डू खाकर दूध पीएं। यह बहुत पुष्टि और स्फूर्ति देने वाला योग है। जिसे बच्चे, जवान और वृद्ध किसी भी आयु वाले स्त्री पुरुष सेवन कर सकते हैं। दुबले शरीर वालों को इन लड्डूओं का सेवन करना चाहिए। सयंम से रह कर कम से कम 40 दिन सेवन करना चाहिए।

हींग और गुड़ का असरदार ये प्रयोग कर देगा गैस और एसीडिटी की छुट्टी

कहते हैं अगर हींग का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कई बीमारियों की दुश्मन है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए।



- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही देर में दर्द से राहत मिलेगी।



- हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है ।



- भुनी हुई हींग , काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें। पेट से जुड़ी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।



- एक ग्राम हींग ,पीसी हुई दस काली मिर्च ,दस ग्राम गुड में सबको मिलाकर सुबह शाम खाएं।



- पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना ठीक हो जाता है।



- अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें। इसे आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। पेट की प्राब्लम्स में जल्द ही आराम मिलेगा।



- पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है।



- थोड़ी सी हींग को गुड़ में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस व एसीडिटी का पेट दर्द ठीक हो जायेगा।



- दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है।



- हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है।

आयुर्वेदिक टिप्स: ऐसे दिन शुरू करेंगे तो ठंड से बचे रहेंगे

क्या बच्चे क्या जवान और बुजुर्ग,....ठण्ड सभी की दिनचर्या को थोड़ा बहुत तो प्रभावित तो करती ही है! आइये हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिनसे ठण्ड में आप रोगों से बच सकेंगे।

-दिन की शुरुआत शहद और काली मिर्च के इस मिश्रण  से करें : सात काली मिर्च के दानों को पीसकर एक चम्मच शहद  के साथ 108 बार घडी की सुई की दिशा में घुमाएं और लें .....।

-इस मिश्रण को लेने के बाद  आधी कली लहसुन को गुनगुने पानी के साथ चबाकर निगल लें।

-दिन में तीन से चार बार निम्न घरेलु द्रव्यों से बनी चाय को लें :-मेथी एक चम्मच,सात काली मिर्च औए एक चम्मच ताजा कुटा हुआ अदरख इन सबको दो कप पानी में उबाल लें और एक कप रहने पर अपनी आवश्यकता अनुसार शक्कर मिलाकर चाय बनाकर लें।

- जाड़ों में जितना हो सके भोजन नियमित अंतराल पर लें ,लेकिन खट्टे,एवं ठंडी तासीर वाले चीजों को लेने से परहेज करें।

-सिगड़ी या हीटर  को अपने नजदीक रखें,इसकी ताप आपको ठण्ड से बचाएगी ।

-शरीर को जहां तक हो सके कपड़ों से पूरा ढककर रखें।

- इस ऋतु में कफ का संचय होता है, जो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है अत: संचित दोष को साम्य में रखने हेतु व्यायाम,वमन,कुंजल आदि क्रियाएं आगे आनेवाली वसंत ऋतु में आपको कफ  के प्रकोप से होने वाली बीमारियों से बचाएगी।

मामूली मूली का कमाल: पढ़े और जानें ये क्यों है इतनी खास

मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली में विटामिन ए भी होता है। विटामिन बी और सी भी इससे प्राप्त होते हैं। जिसे हम मूली के रूप में जानते हैं, वह धरती के नीचे पौधे की जड़ होती हैं। धरती के ऊपर रहने वाले पत्ते से भी अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। 

सामान्यत: हम मूली को खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं। यह गलत आदत हैं। मूली के साथ ही उसके पत्तों का सेवन भी किया जाना चाहिए। सामान्यत: लोग मोटी मूली पसन्द करते हैं। मुली का उपयोग सलाद के रूप में किया जाता है इसका कारण उसका अधिक स्वादिष्ट होना है, मगर स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी, पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी है। ऐसी मूल वात, पित्त और कफ नाशक है। 

इसके विपरीत मोटी और पकी मूली त्रिदोष कारक मानी जाती है।मूली कच्ची खायें या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गर्दे की खराबी  हो सकती है।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ  दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता  है। खट्टी डकारें आती हो  तो  एक कप मूली  के रस में  मिश्री मिलाकर पीने  से लाभ होता है। मासिकधर्म की कमी के कारण लड़कियों के यदि मुहांसे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली नित्य खाएं।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।रोज मूली खाने से शरीर की खुश्की दूर होती है। मूली के रस में नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।त्वचा के रोगों में यदि मूली के पत्तों और बीजों को एक साथ पीसकर लेप कर दिया जाये, तो यह रोग खत्म हो जाते हैं।    

7 चीजे: ठंड में इन्हें खाएंगे तो सालभर एनर्जी से भरपूर रहेंगे


माना जाता है कि सर्दी में पौष्टिक शक्तिवर्धक चीजों को लेना हमारे शरीर को सालभर के लिए एनर्जी देता है। आयु और शारीरिक अवस्था के मान से अलग-अलग पदार्थ सेवन करने योग्य होते हैं। लेकिन ठंड में पौष्टिक पदार्थों का सेवन शुरू करने से पहले पेट शुद्धि यानी कब्ज दूर करना आवश्यक है। 

क्योंकि इन्हें पचाने के लिए अच्छी पाचन शक्ति होना जरूरी है। वरना पौष्टिक पदार्थों या औषधियों का सेवन करने से लाभ ही नहीं होगा। ऐसी तैयारी करके, सुबह शौच जाने के नियम का पालन करते हुए, हर व्यक्ति को अपना पेट साफ रखना चाहिए। ठीक समय 32 बार चबा चबा कर भोजन करना चाहिए।अब हम पहले ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं। जो किशोरवस्था से लेकर प्रोढ़ावस्था तक के स्त्री-पुरुष सेवन कर अपने शरीर को पुष्ट, सुडौल, व बलवान बना सकते हैं। 

क्या खाएं सर्दियों में-

         - सोते समय एक गिलास मीठे कुनकुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए।

         -  दूध में मलाई और पिसी मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।

         - एक बादाम पत्थर घिस कर दूध में मिला कर उसमें पीसी हुई मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। 

         - सप्ताह में दो दिन अंजीर का दूध लें।

         - तालमखाना।

         - सफेद मुसली,असगंध चूर्ण।

         - उड़द की दाल दूध पका कर बनाई हुई खीर।

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

एलोवेरा का कमाल: ये है इन जानलेवा बीमारियों का बेहतरीन इलाज

आयुर्वेद में घृतकुमारी को बहुत उपयोगी माना गया है। इस पौधे के पत्ते ही होते हैं जो जमीन से ही निकलते हैं। यह 2 से 3 फिट लम्बे और 3 से 4 इंच चौड़े होते हैं। इसके दोनों तरफ नुकीली कांटे होते हैं। इनके पते गहरे हरे रंग के मोटे, चिकने और गूदेदार होते है। जिन्हें काटने या छिलने पर घी जैसे गुदा ( जेल ) निकलता है। इसीलिए इस पौधे को घृतकुमारी व घी ग्वार भी कहा जाता है।

एलोवेरा के  कई नाम हैं, जैसे संजीवनी बूटी, साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि, ग्वारपाठा,  घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार आदि से पुकारा जाता है।कब्ज से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है। एलोवेरा बढिय़ा एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है।जोड़ों के दर्द में एलोवेरा जूस का सेवन सुबह-शाम करें और प्रभावित जोड़ों पर लगाने से विशेष फायदा होता है। ह्रदय रोग होने का मुख्य कारण मोटापा कोलेस्ट्रोल का बढऩा और रक्तवाहिनियों में वसा का जमाव होना है। ऐसी स्थिति में इसका जूस बेहद फायदेमंद है।बालों के लिए भी इसके जूस को सिर में लगाने से बाल मुलायम, घने, काले व बालो का झडऩा बंद होता है।एलोवेरा जेल चेहरे पर लगाने से मुहांसे, झाइयां दूर होती है।

एलोवेरा में शरीर की अंदरूनी सफाई करने और शरीर को रोगाणु रहित रखने के गुण भी मौजूद है। एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस व नाडिय़ों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है।एलोवेरा औषधि हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है। यह शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। शरीर में मौजूद हृदय विकार, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, यूरीनरी प्रॉब्लम्स, शरीर में जमा विषैले पदार्थ इत्यादि को नष्ट करने में मददगार है। त्वचा की देखभाल और बालों की मजबूती व बालों की समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा एक संजीवनी का काम करती है।इसके प्रयोग से बीमारियों से मुक्त रहकर लंबी उम्र तक स्वस्थ और फिट रहा जा सकता है।

अनोखा 'पान' इसे खाकर, कैसा भी हो बुखार भाग जाएगा

बुखार सेहत से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जो हर किसी को किसी न किसी बहाने और किसी न किसी रूप में होते ही रहता है। कभी साधारण बुखार, तो कभी वायरल बुखार, तो कभी मलेरिया के रूप में यह हमारे ऊपर हमला करता है। कई बार यह कई दिनों तक जाने का नाम ही नहीं लेता और धीरे-धीरे हमें कमजोर भी कर देता है। 

अगर आपके  साथ भी ऐसी ही समस्या है। सर्दी लगकर बार-बार बुखार आता है। इस तरह ठंड लग कर आने वाला किसी भी प्रकार का बुखार (चाहे रोज आता हो, एक या दो दिन छोड़कर आता हो) इसके लिए पान में आकड़े (आकौआ, अर्क या मदार भी कहते हैं) का 2 बूंद दूध टपका कर पान मुंह में रख लें।

यह पान कत्था ,चूना, सुपारी आदि से जैसे पान बनाया और खाया जाता है। वैसे ही उसी प्रकार से रूचि अनुसार बने हुए पान में यह दूध 2 बूंद टपका कर पान मुंह में रख लें। इसे चबाएं और इसकी पीक निगलते रहें। पीक थूकना नहीं है। यह प्रयोग बुखार चढऩे से पहले ही कर लें। एक बार के प्रयोग से लाभ न हो तो दूसरी बार फिर बुखार चढऩे से पहले एक पान का सेवन और कर लें। वैसे दूसरी बार लेने का अवसर नहीं आता है। 

सोमवार, 16 जनवरी 2012

छोटे-छोटे उपाय: चेहरा चमकाएं, पहली नजर में छोड़े अपनी छाप

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका व्यक्तित्व आकर्षक हो, कोई भी उससे मिले तो प्रभावित हो। इसके जरूरी है कि आप हर पल ऊर्जावान और जोश से भरपूर दिखाई दें आपके चेहरे पर हमेशा चमक बनी रहे।मुरझाया हुआ चेहरा किसी को आकर्षित नहीं सकता। पहली नजर में ही अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप यदि किसी पर छोडऩा हो तो नीचे दिये उपायों को अपनाकर चेहरे पहले ज्यादा प्रभाशाली बनाया जा सकता है....नीचे दिये गए छोटे व सरल उपायों से त्वचा की चमक को बढ़ाया और लंबे समय तक टिका-कर रखा जा सकता है.... 



1. चेहरे पर कुदरती चमक लाने के लिये शुद्ध प्राकृतिक ग्वारपाठा यानी ऐलोविरा का ज्यूस हथेलियों पर लेकर चेहरे पर मसाज करते हुए लगाएं। और सूख जाने पर चेहरे को साफ गुनगुने पानी से धो लें। 7 दिनों के भीतर ही आप बदलाव देखकर दंग रह जाएंगे।



एक अन्य प्रयोग में दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएं। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएं व 10 मिनट बाद  धो लें। इससे त्वचा निखर जाएगी।



2.  कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएं। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।



3.  होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएं, सुबह ठंडे पानी से धो लें।



4.  आंखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आंखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।



5.  8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ की त्वचा निखर जाएगी।

इस जड़ का थोड़ा सा चूर्ण सभी की मिटा देगा कमजोरी बना देगा ताकतवर

अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा है। आयुर्वेद में इस पौधे को बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसकी जड़ें नर,नारी ,बालक ,बुजुर्ग सबके लिए एक टॉनिक का काम कर देती है। जड़ों के चूर्ण का सेवन अगर तीन महीने तक बच्चों को करवाया जाए तो कमजोर बच्चों के शरीर का सही विकास होने लगता है। यह जड़ी सभी प्रकार के वीर्य विकारों को मिटा करके बल-वीर्य बढाता है। साथ ही धातुओं को भी पुष्ट करती है। 

 साथ ही नसें भी सुगठित हो जाती हैं। लेकिन इससे मोटापा नहीं आता। गठिया, धातु, मूत्र तथा पेट के रोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है। इससे आप खांसी, सांस फूलना तथा खुजली की भी दवा बना सकते हैं । इसका आप अगर नियमित सेवन शुरू कर दें तो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ जायेगी जिसका दूर गामी परिरणाम यह होगा कि आप लंबे समय तक युवा बने रहेंगे बुढ़ापे के रोग आपसे काफी समय तक दूर रहेंगे। 

महिलाओं कि बीमारी में यह जड़ काफी लाभकारी है। इसके नियमित उपयोग से नारी की गर्भ-धारण की क्षमता बढती है ,प्रसव हो जाने के उपरांत उनमें दूध कि मात्रा भी बढती है तथा उनकी श्वेत प्रदर,कमर दर्द एवं शारीरिक कमजोरी से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके नियमित सेवन से हिमोग्लोबिन तथा लाल रक्त कणों की सख्या में वृद्धि होती है। व्यक्ति की सामान्य बुद्धि का विकास होता है।

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

सर्दी स्पेशल: घी-बादाम के इस प्रयोग से याददाश्त हो जाएगी तीन-गुना

अच्छा व नियमित खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का बड़ा कारण है। इसीलिए लोग ठंड में घी और बादाम का सेवन करते हैं। लेकिन अगर घी व बादाम का सेवन आयुर्वेदिक तरीके से किया जाए तो किसी की भी याददाश्त तीन गुना बढ़ सकती है।

कैसे बनाएं बादाम घृत- बादाम का छिलका रहित गिरी और नारियल की गिरी 50-50 ग्राम खसखस व मगज 70-70 ग्राम, खरबूजे की गिरी 5 ग्राम, चिरौंजी 5 ग्राम और पिस्ता 5 ग्राम इन सबको कूट पीसकर रखें। फिर 400 ग्राम घी लालिमायुक्त होने तक गर्म करें और उक्त मिश्रण को डाल दें। तब घी का रंग बदलने लगे तब नीचे उतारकर छानकर सुरक्षित रखें।

इस प्रकार तैयार इस घृत बादाम को  दूध में मिलाकर सेवन करें। मस्तिष्क और तलुवों पर इस घी की मालिश भी उपयोगी है। इस घी के उपरोक्त प्रकार सेवन से दिमाग की निर्बलता, शुष्कता , आंखो की ज्योति बढ़ती है व मानसिक कार्य करने वालों के लिए बादाम घृत बहुत अधिक लाभदायक है। 

नोट- घी को छानने के बाद शेष पदार्थ को आटे में भूनकर मिलाकर और थोड़ी चीनी डालकर पंजीरी बनाकर सुबह नाश्ते के रुप में सेवन करें। बहुत उत्तम रहेगा।

सिर्फ दस मिनट का प्रयोग और सर्दी में घूम सकेंगे बिना स्वेटर


ठंड का मौसम चरम पर है। सर्दी की बढ़ती ठिठूरन और घटते टेम्परेचर से लोग परेशान हैं। ऐसे में ठंड से बचने के लिए स्वेटर, शॉल, टोपी स्कार्फ व मोजे इन सभी चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आखिर करें भी तो क्या और कोई तरीका भी तो नहीं इस ठंड से बचने का? अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसे प्राणायाम के बारे में जिसे रोजाना करने से आपको ठंड में भी स्वेटर की जरुरत ही महसूस नहीं होगी। इस प्राणायाम को उज्जायी प्राणायाम कहा जाता है।

उज्जायी प्राणायाम विधि - सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर बैठ जाएं। अब गहरी सांस लें। कोशिश करें कि पेट की मांसपेशियां प्रभावित न हो। गला, छाती, हृदय से सांस अंदर खींचे। जब सांस पूरी भर जाएं तो जालंधर बंध लगाकर कुंभक करें। (जालंधर बंध और कुंभक के संबंध में लेख पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है।) अब बाएं नासिका के छिद्र को खोलकर सांस धीरे-धीरे बाहर निकालें।

सांस भरते समय श्वांस नली का मार्ग हाथ से दबाकर रखें। जिससे सांस अंदर लेते समय सिसकने का स्वर सुनाई दे। उसी प्रकार सांस छोड़ते समय भी करें।उज्जायी प्राणायाम को बैठकर या खड़े होकर भी किया जा सकता है। कुंभक के बाद नासिका के दोनों छिद्रों से सांस छोड़ी जाती है। प्रारंभ में इस प्राणायाम को एक मिनिटि में चार बार करें। अभ्यास के साथ ही इस प्राणायाम की संख्या बढ़ाई जाना चाहिए।



प्राणायाम के लाभ



यह प्राणायाम सर्दी में काफी लाभदायक सिद्ध होता है। इस प्राणायाम के अभ्यास कफ रोग, अजीर्ण, गैस की समस्या दूर होती है। साथ ही हृदय संबंधी बीमारियों में यह आसन बेहद फायदेमंद है। इस प्राणायम को नियमित करने से ठंड के मौसम का भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
 

बुधवार, 11 जनवरी 2012

ठंड में पुरुष कर लें ये प्रयोग, ताकत के लिए और कुछ भी खाने की जरुरत नहीं रहेगी

आयुर्वेद में ठंड को खाने-पीने और सेहत बनाने के लिए सबसे बढिय़ा मौसम माना गया है। कहा जाता है कि सर्दियों के मौसम में सेवन की गई चीजों का प्रभाव शरीर पर सालभर रहता है। इसीलिए ठंड में सेहत बनाने के लिए लोग कई तरह की चीजों का सेवन करते हैं।

पुरुषों को तो आयुर्वेद में विशेषकर नपुंसकता दूर कर ठंड में ताकत देने वाली चीजों को प्रयोग करने को कहा गया है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको एक ऐसा आयुर्वेदिक योग, जिसका प्रयोग करने के बाद पुरुषों को सालभर किसी भी तरह की ताकत बढ़ाने वाली दवाई या किसी अन्य चीज के इस्तेमाल की जरुरत नहीं होगी।

सामग्री - असगंध, सफेद मूसली, काली मूसली, कौंच के बीज, शतावर, ताल मखाना, बीजबंद, जायफल, जावित्री, ईसबगोल, नागकेशर, सोंठ, गोल मिर्च, लौंग, पीपर कमलगट्टे की गिरी, छुहारे, मुनक्का, चिरोंजी सब 50-50 ग्राम, मिश्री सवा दो किलो, घी 400 ग्राम। 

बनाने की विधि- मिश्री और घी को छोड़कर  शेष सारी औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर कपड़े से छान लें। सबको मिलाकर घी में भून लें।अब मिश्री की पतली चाशनी बनाकर उतार लें और सारी दवा इसमें डालकर अच्छी तरह मिलाकर उपर सोने व चांदी का वर्क मिला दें।

सेवन विधि - 10 से 20 ग्राम इस योग को चाटकर उपर से एक गिलास गरमागरम दूध पी जाएं। 

 लाभ -सर्दियों में कुछ दिन इसका लगातार सेवन करते रहने से नपुंसकता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है। शरीर बलवान बन जाता है।इसके अलावा पेशाब में जलन, पथरी और वात रोग भी इसके लगातार सेवन से मिट जाते हैं।

बिना पैसे की ये दवा खूबसूरती को कर देगी सौ-गुना

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका व्यक्तित्व आकर्षक हो, कोई भी उससे मिले तो प्रभावित हो। इसके जरूरी है कि आप हर पल ऊर्जावान और जोश से भरपूर दिखाई दें आपके चेहरे पर हमेशा चमक बनी रहे।मुरझाया हुआ चेहरा किसी को आकर्षित नहीं सकता। परंतु आजकल की दौड़भाग भरे जीवन में खुद को हमेशा ऊर्जावान बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। तो आकर्षक व्यक्तित्व के लिए प्रतिदिन कुछ समय ध्यान अवश्य करें साथ ही नटराज आसन व हंसासन करें। 



नटराज आसन-

समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर दोनों पैर मिलाकर खड़े हो जाएं। इसके बाद बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर जितना अधिक से अधिक संभव हो ऊपर उठाएं। अब दाएं हाथ को पीछे करके ऊपर उठे दाएं पैर के टखनों को पकड़ लें। सिर को सीधा करके दाएं हाथों को ऊपर की ओर नाक के सीध में रखें। सांस सामान्य रखें। आसन की इस स्थिति में शरीर का संतुलन जितने देर तक बनाकर रखना सम्भव हो बनाकर रखें और सामान्य स्थिति में आ जाएं। इसके बाद सीधे होकर यह क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इस क्रिया को दोनो पैरों से बदल-बदल कर करें।



 हंसासन- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को फर्श पर टिकाकर रखें। अंगुलियों को आगे की ओर करके व अंगुलियों को खोलकर रखें। दोनों हाथों के बीच 10 इंच की दूरी रखें। अब घुटनों को मोड़कर आगे की ओर और कोहनियों को मोड़कर पीछे की ओर करें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हथेलियों पर जोर देकर अपने शरीर के पिछले भाग को ऊपर उठाएं तथा शरीर का पूरा भाग हथेलियों पर रखकर संतुलन बनाएं। अब गर्दन को आगे की ओर झुकाकर शरीर का आकार पक्षी की तरह बनाएं। इस स्थिति में 10 से 30 सैकेण्ड तक रहें और इस क्रिया को 2 से 3 बार करें। शुरु में यह अभ्यास कठिन होता है, परन्तु प्रतिदिन अभ्यास करने से यह सरल हो जाता है। आसन करते समय रखें सावधानी: इस आसन का अभ्यास शुरु में करना कठिन होता है। इस आसन की सभी क्रिया धीरे-धीरे करें तथा सांस लेने व छोडऩे की क्रिया सामान्य रुप से करें। आसन के लाभ: इस आसन से हाथ व पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है तथा गर्दन का मोटापा कम होता है। इस से छाती मजबूत, तथा शरीर शक्तिशाली बनता है। इस आसन से चेहरे पर तेज, चमक तथा शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है। नाड़ी-तंत्र (स्नायु तंत्र) सही रुप से काम करने लगता है, जिससे रक्त संचार (खून का बहाव) तेज हो जाता है।



सीत्कारी प्राणायाम-

सीत्कारी प्राणायाम में सीत्कार का शब्द करते हुए सांस लेने की क्रिया होती है। इस प्राणायम में नासिका से सांस नहीं ली जाती है बल्कि मुंह के होठों को गोलाकार बना लेते हैं और जीभ के दाएं और बाएं के दोनों किनारों को इस प्रकार मोड़ते हैं कि जीभ का का आकार गोलाकार हो जाए। इस गोलाकार जीभ को गोल किए गए होठों से मिलाकर इसके छोर को तालू से लगा लिया जाता है। अब सीत्कार के समान आवाज करते हुए मुख से सांस लें। फिर कुंभक करके नासिका के दोनों छिद्रों से सांस छोड़ी जाती है। पुन: इस क्रिया को दोहराएं। इसे बैठकर या खड़े होकर भी किया जा सकता है।इस प्राणायाम से चेहरे पर तेज, चमक आती है।

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