किसी भी व्यक्ति की आकर्षक पर्सनालिटी में उसके हष्ट-पुष्ट होने का भी बहुत योगदान होता है। कई बार हद से ज्यादा दुबलापन भी लो-कान्फिडेन्स का कारण बन जाता है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है शरीर सुडौल नहीं है तो घबराए नहीं शारीरिक बल से जुड़ी या कमजोरी की समस्या हो तो नीचे लिखे आयुर्वेदिक उपाय को जरूर अपनाएं।
सामग्री- बड़ के पेड़ की जटा का अग्रिम लाल रंग वाला भाग लेकर छाया में सुखाकर पीस लें। इस पिसे हुए चूर्ण की 100 ग्राम मात्रा लेकर उसको खरल में डालकर रोज 10 ग्राम बड़ का दूध डालकर खरल में बारिक पीस लें। इस प्रकार एक माह में 300 ग्राम दुग्ध खरल हो जाएगा। तब नुस्खा श्रेष्ठ फल देगा, यदि इतने दिन तक खरल करना संभव न हो तब 15 दिन तक खरल करना संभव हो तब 15 दिन में 150 ग्राम बड़ दुग्ध खरल करके 300 मि.ग्राम मात्रावत् गोलियां बनाकर रख लें।
सेवन विधि- एक-एक गोली सुबह शाम दूध, मधु, मक्खन, अथवा मलाई के साथ मिलाकर खाएं।
गुण व उपयोग- इसके सेवन से शरीर का ढीलापन दूर होता है। शरीर सुडौल व सुगठित बनता है। कमजोरी मिटती है। पौरुष शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा इस औषधी के नियमित सेवन से गैस्ट्रीक प्रॉब्लम्स भी धीरे-धीरे मिटती जाती है। अच्छे से अच्छे टॉनिक भी इस दवाई के आगे नहीं टिक पाता है।
सामग्री- बड़ के पेड़ की जटा का अग्रिम लाल रंग वाला भाग लेकर छाया में सुखाकर पीस लें। इस पिसे हुए चूर्ण की 100 ग्राम मात्रा लेकर उसको खरल में डालकर रोज 10 ग्राम बड़ का दूध डालकर खरल में बारिक पीस लें। इस प्रकार एक माह में 300 ग्राम दुग्ध खरल हो जाएगा। तब नुस्खा श्रेष्ठ फल देगा, यदि इतने दिन तक खरल करना संभव न हो तब 15 दिन तक खरल करना संभव हो तब 15 दिन में 150 ग्राम बड़ दुग्ध खरल करके 300 मि.ग्राम मात्रावत् गोलियां बनाकर रख लें।
सेवन विधि- एक-एक गोली सुबह शाम दूध, मधु, मक्खन, अथवा मलाई के साथ मिलाकर खाएं।
गुण व उपयोग- इसके सेवन से शरीर का ढीलापन दूर होता है। शरीर सुडौल व सुगठित बनता है। कमजोरी मिटती है। पौरुष शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा इस औषधी के नियमित सेवन से गैस्ट्रीक प्रॉब्लम्स भी धीरे-धीरे मिटती जाती है। अच्छे से अच्छे टॉनिक भी इस दवाई के आगे नहीं टिक पाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें