गुरुवार, 12 जनवरी 2012

सिर्फ दस मिनट का प्रयोग और सर्दी में घूम सकेंगे बिना स्वेटर


ठंड का मौसम चरम पर है। सर्दी की बढ़ती ठिठूरन और घटते टेम्परेचर से लोग परेशान हैं। ऐसे में ठंड से बचने के लिए स्वेटर, शॉल, टोपी स्कार्फ व मोजे इन सभी चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आखिर करें भी तो क्या और कोई तरीका भी तो नहीं इस ठंड से बचने का? अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसे प्राणायाम के बारे में जिसे रोजाना करने से आपको ठंड में भी स्वेटर की जरुरत ही महसूस नहीं होगी। इस प्राणायाम को उज्जायी प्राणायाम कहा जाता है।

उज्जायी प्राणायाम विधि - सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर बैठ जाएं। अब गहरी सांस लें। कोशिश करें कि पेट की मांसपेशियां प्रभावित न हो। गला, छाती, हृदय से सांस अंदर खींचे। जब सांस पूरी भर जाएं तो जालंधर बंध लगाकर कुंभक करें। (जालंधर बंध और कुंभक के संबंध में लेख पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है।) अब बाएं नासिका के छिद्र को खोलकर सांस धीरे-धीरे बाहर निकालें।

सांस भरते समय श्वांस नली का मार्ग हाथ से दबाकर रखें। जिससे सांस अंदर लेते समय सिसकने का स्वर सुनाई दे। उसी प्रकार सांस छोड़ते समय भी करें।उज्जायी प्राणायाम को बैठकर या खड़े होकर भी किया जा सकता है। कुंभक के बाद नासिका के दोनों छिद्रों से सांस छोड़ी जाती है। प्रारंभ में इस प्राणायाम को एक मिनिटि में चार बार करें। अभ्यास के साथ ही इस प्राणायाम की संख्या बढ़ाई जाना चाहिए।



प्राणायाम के लाभ



यह प्राणायाम सर्दी में काफी लाभदायक सिद्ध होता है। इस प्राणायाम के अभ्यास कफ रोग, अजीर्ण, गैस की समस्या दूर होती है। साथ ही हृदय संबंधी बीमारियों में यह आसन बेहद फायदेमंद है। इस प्राणायम को नियमित करने से ठंड के मौसम का भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured post

PCOD की समस्या

 🌻 *मासिक की अनियमितता, मासिक में देरी, PCOD की समस्या* 🌻 ऐलोपैथी चिकित्सा पद्ध्यति में इस रोग के लिए कोई उपचार नही है, किन्तु आयुर्वेद की...