मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली में विटामिन ए भी होता है। विटामिन बी और सी भी इससे प्राप्त होते हैं। जिसे हम मूली के रूप में जानते हैं, वह धरती के नीचे पौधे की जड़ होती हैं। धरती के ऊपर रहने वाले पत्ते से भी अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
सामान्यत: हम मूली को खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं। यह गलत आदत हैं। मूली के साथ ही उसके पत्तों का सेवन भी किया जाना चाहिए। सामान्यत: लोग मोटी मूली पसन्द करते हैं। मुली का उपयोग सलाद के रूप में किया जाता है इसका कारण उसका अधिक स्वादिष्ट होना है, मगर स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी, पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी है। ऐसी मूल वात, पित्त और कफ नाशक है।
इसके विपरीत मोटी और पकी मूली त्रिदोष कारक मानी जाती है।मूली कच्ची खायें या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गर्दे की खराबी हो सकती है।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है। खट्टी डकारें आती हो तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। मासिकधर्म की कमी के कारण लड़कियों के यदि मुहांसे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली नित्य खाएं।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।रोज मूली खाने से शरीर की खुश्की दूर होती है। मूली के रस में नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।त्वचा के रोगों में यदि मूली के पत्तों और बीजों को एक साथ पीसकर लेप कर दिया जाये, तो यह रोग खत्म हो जाते हैं।
सामान्यत: हम मूली को खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं। यह गलत आदत हैं। मूली के साथ ही उसके पत्तों का सेवन भी किया जाना चाहिए। सामान्यत: लोग मोटी मूली पसन्द करते हैं। मुली का उपयोग सलाद के रूप में किया जाता है इसका कारण उसका अधिक स्वादिष्ट होना है, मगर स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी, पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी है। ऐसी मूल वात, पित्त और कफ नाशक है।
इसके विपरीत मोटी और पकी मूली त्रिदोष कारक मानी जाती है।मूली कच्ची खायें या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गर्दे की खराबी हो सकती है।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है। खट्टी डकारें आती हो तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। मासिकधर्म की कमी के कारण लड़कियों के यदि मुहांसे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली नित्य खाएं।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।रोज मूली खाने से शरीर की खुश्की दूर होती है। मूली के रस में नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।त्वचा के रोगों में यदि मूली के पत्तों और बीजों को एक साथ पीसकर लेप कर दिया जाये, तो यह रोग खत्म हो जाते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें