अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा है। आयुर्वेद में इस पौधे को बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसकी जड़ें नर,नारी ,बालक ,बुजुर्ग सबके लिए एक टॉनिक का काम कर देती है। जड़ों के चूर्ण का सेवन अगर तीन महीने तक बच्चों को करवाया जाए तो कमजोर बच्चों के शरीर का सही विकास होने लगता है। यह जड़ी सभी प्रकार के वीर्य विकारों को मिटा करके बल-वीर्य बढाता है। साथ ही धातुओं को भी पुष्ट करती है।
साथ ही नसें भी सुगठित हो जाती हैं। लेकिन इससे मोटापा नहीं आता। गठिया, धातु, मूत्र तथा पेट के रोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है। इससे आप खांसी, सांस फूलना तथा खुजली की भी दवा बना सकते हैं । इसका आप अगर नियमित सेवन शुरू कर दें तो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ जायेगी जिसका दूर गामी परिरणाम यह होगा कि आप लंबे समय तक युवा बने रहेंगे बुढ़ापे के रोग आपसे काफी समय तक दूर रहेंगे।
महिलाओं कि बीमारी में यह जड़ काफी लाभकारी है। इसके नियमित उपयोग से नारी की गर्भ-धारण की क्षमता बढती है ,प्रसव हो जाने के उपरांत उनमें दूध कि मात्रा भी बढती है तथा उनकी श्वेत प्रदर,कमर दर्द एवं शारीरिक कमजोरी से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके नियमित सेवन से हिमोग्लोबिन तथा लाल रक्त कणों की सख्या में वृद्धि होती है। व्यक्ति की सामान्य बुद्धि का विकास होता है।
साथ ही नसें भी सुगठित हो जाती हैं। लेकिन इससे मोटापा नहीं आता। गठिया, धातु, मूत्र तथा पेट के रोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है। इससे आप खांसी, सांस फूलना तथा खुजली की भी दवा बना सकते हैं । इसका आप अगर नियमित सेवन शुरू कर दें तो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ जायेगी जिसका दूर गामी परिरणाम यह होगा कि आप लंबे समय तक युवा बने रहेंगे बुढ़ापे के रोग आपसे काफी समय तक दूर रहेंगे।
महिलाओं कि बीमारी में यह जड़ काफी लाभकारी है। इसके नियमित उपयोग से नारी की गर्भ-धारण की क्षमता बढती है ,प्रसव हो जाने के उपरांत उनमें दूध कि मात्रा भी बढती है तथा उनकी श्वेत प्रदर,कमर दर्द एवं शारीरिक कमजोरी से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके नियमित सेवन से हिमोग्लोबिन तथा लाल रक्त कणों की सख्या में वृद्धि होती है। व्यक्ति की सामान्य बुद्धि का विकास होता है।
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