बुधवार, 17 सितंबर 2014

स्वस्थ जीवन के दस नियम

हर आदमी स्वस्थ और सुखी रहना चाहता है लेकिन स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी के अभाव में वह दीन-हीन बना रहता है। आइये हम आपको स्वस्थ रहने के कुछ आसान नियम बतायें :-
- प्रात: शीघ्र उठें और नींबू पानी अथवा तांबे के बर्तन में रखा बासी पानी पर्याप्त मात्रा में पियें। इससे आपका पेट साफ रहेगा और जी हल्का लगेगा।
- प्रात:काल और सायंकाल हल्का व्यायाम अथवा टहलना अत्यंत लाभदायक होता है। आप जैसे भी हों- बाल, वृध्द या युवा, बीमार अथवा स्वस्थ, गरीब या अमीर, बेकार अथवा अत्यं व्यस्त, आपको यह नियम अवश्य बनाना चाहिये।
- स्ान और प्रार्थना भी नित्य नियम से करनी चाहिये। शरीर की शुध्दि के लिये स्ान जितना जरूरी है उतनी ही प्रार्थना भी लेकिन दोनों ही क्रियाएं औपचारिकता की तरह नहीं होनी चाहिये। जो भी करें, पूरे मन से करें।
- नाश्ता और भोजन में मधुर, रसदार तथा पौष्टिक आहार लेना चाहिये। सड़े गले, जले-भुने, बासी और सस्ते फास्टफूड से बचना चाहिये। उत्तम भोजन घर का पकाया गया सात्विक भोजन ही हो सकता है।
- परिश्रम से जी न चुरायें। जितना संभव हो, शारीरिक और मानसिक श्रम करें तथा पूरी तन्मयता से करें, प्रसन्नतापूर्वक करें।
- नींद और विश्राम में कटौती न करें। भोजन और श्रम की तरह नींद भी आवश्यक है। यह टानिक की तरह शरीर तथा मन को ताजगी प्रदान करती है।
- विहार में संतुलन रखें। ऋतु,काल और शक्ति के अनुसार काम सेवन (सहवास) करें, न तो अत्यधिक और न ही अति अल्प। ‘काम’ जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। संतुलित काम सेवन स्त्री पुरुष दोनों के लिये फायदेमंद हैं।
- सप्ताह में एक दिन हर कार्यालय में अवकाश रहता है। ठीक इसी प्रकार पेट को भी विश्राम देना चाहिये। व्रत के नाम पर शरीर को मारना नहीं चाहिये बल्कि नींबू पानी, छाछ या फलों का रस पीकर पेट को तनिक विश्राम देना चाहिये। ताकि आगे के दिनों के लिये वह शक्ति संचय कर सके।
- दिनभर में एक समय ऐसा निकालना चाहिये जब आप एकांत में आत्मनिरीक्षण कर सकें। इससे आपको अच्छा बनने में मदद मिलेगी।
- आत्मविश्वास, ईश्वर विश्वास और सदैव सक्रियता तथा जागृति आपके सुखी स्वस्थ जीवन के लिये संजीवनी का कार्य करती हैं। आप जिस तरह की नौकरी या व्यापार करते हैं उसी को ईश्वर की सेवा मानें।
उपरोक्त प्रकार के नियम अपनाकर आप स्वस्थ सानंद जीवन बिता सकते हैं।

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