प्राकृतिक चिकित्सा से जहर का नशा उतारने के लिए उपचार निम्नलिखित हैं-
•यदि किसी व्यक्ति ने शीशे का चूरा खा लिया है तो उस व्यक्ति का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने के लिए उसको दही पिलाना चाहिए। फिर रोगी को उल्टी कराने का प्रयास करना चाहिए। उल्टी करने से रोगी के पेट से शीशे का चूरा बाहर निकल जाता है।
•यदि कोई व्यक्ति तेजाब या किसी प्रकार का जहर खा लेता है तो रोगी व्यक्ति को दूध या पानी में अण्डे की सफेदी अच्छी तरह फेंटकर या फिर दूध या ठंडा पानी कई बार काफी मात्रा में पिलाना चाहिए। फिर इसके बाद उतना दूध अन्तड़ियों में पहुंचाना चाहिए जितना रोगी रोक सके। उसके बाद रोगी की गर्दन के सामने वाले हिस्से पर मिट्टी की उष्ण गीली मिट्टी लगानी चाहिए। इस प्रकार से रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोगी के शरीर से जहर का असर खत्म हो जाता है।
•यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का जहर खा लेता है तो उसे तुरंत उल्टी कराकर पेट में गए जहर को निकाल देना चाहिए। इसके लिए गर्म पानी में अधिक मात्रा में नमक मिलाकर प्रत्येक 5 मिनट के बाद रोगी को पिलाते रहना चाहिए और फिर रोगी के हलक में उंगुली आदि डालकर उल्टी करनी चाहिए। रोगी व्यक्ति को बार-बार उल्टी करानी चाहिए। इसके बाद उसे नमक मिले गुनगुने पानी से एक या दो बार गरारा कराना चाहिए। फिर रोगी व्यक्ति को उदरस्नान तथा भापस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो रोगी के शरीर से जहर का असर कम हो जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने अफीम का जहर खा लिया है तो उसका जहर उतारने के लिए हींग को छाछ में घोलकर पिलाना चाहिए या फिर जामुन के पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो रोगी के शरीर से जहर का असर कम हो जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने धतूरे का जहर खा लिया है तो उस व्यक्ति के शरीर से जहर के असर को खत्म करने के लिए रोगी को नमक मिला पानी पिलाना चाहिए या गूलर की जड़ की छाल को कालीमिर्च के साथ पीसकर पिलानी चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो रोगी के शरीर में जहर का असर कम हो जाता है और कुछ ही समय में रोगी व्यक्ति ठीक हो जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने संखिया का जहर खा लिया है तो उसके शरीर में फैले जहर के असर को खत्म करने के लिए कड़वी नीम की पत्तियों को गर्म पानी के साथ पीसकर पिलाना चाहिए या फिर दूध में घी मिलाकर पिलाना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो रोगी के शरीर से जहर का असर कम हो जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने बहुत अधिक भांग खा ली हो जिसके कारण रोगी व्यक्ति को बहुत ज्यादा नशा चढ़ गया हो तो रोगी व्यक्ति का इलाज करने के लिए उसे अरहर की दाल की धोवन का पानी पिलाना चाहिए। व्यक्ति को अरहर की दाल के धोवन को पिलाने से भांग का नशा कम हो जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने पारे या जस्ते का जहर खा लिया है तो उस व्यक्ति के शरीर से जहर का असर खत्म करने के लिए उसे गेहूं के आटे को पानी में घोलकर पिलाने से जहर उतर जाता है।
•यदि किसी व्यक्ति ने कुचला का जहर खा लिया है तो उसके शरीर से जहर के असर को खत्म करने के लिए उसे घी मिला दूध पिलाना चाहिए या फिर जामुन की गुठली का 10 ग्राम चूर्ण फांककर पानी में मिलाकर पीने से जहर उतर जाता है। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करें तो रोगी के शरीर में जहर का असर कम हो जाता है रोगी व्यक्ति ठीक हो जाता है।
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