बुधवार, 17 सितंबर 2014

सेहत के अनमोल नुस्खे


विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अविकसित तथा विकासशील देशों में हर वर्ष पांच लाख स्त्रियों की मौत होती है। इनमें एक बड़ी संख्या को उन मामलों में सतर्कता बरत कर बचाया जा सकता है। मृत्यु का कारण बनने वाले रोगों से सतर्कता के साथ ही निबटा जा सकता है। निर्धन देशों में जहां अज्ञानता का बोलबाला है, प्रति एक लाख पांच सौ स्त्रियां गर्भावस्था या प्रसवकाल में मृत्यु को प्राप्त होती हैं जबकि अमेरिका तथा यूरोप के विकसित देशों में यह दर केवल बीस स्त्री प्रति एक लाख है। गर्भकाल में स्त्रियों की मृत्यु का एक बड़ा कारण असंतुलित भोजन तथा गन्दगी है। कुछ नियमों का पालन करते हुए हम अपनी सेहत को उत्तम बना सकते हैं।
* पेट के रोगियों को हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक मात्रा में खानी चाहिए। पालक, लालसाग, मेथी का साग, बथुआ का साग अपने भोजन में नियमित लेते रहना चाहिए।
* अपने भोजन में यदि आप पौष्टिक तत्वों को कायम रखना चाहती हैं तो सब्जी में हमेशा तब नमक डालिए जब उसके पकने में सिर्फ थोड़ी-सी कसर बाकी हो।
* सलाद के साथ नमक का इस्तेमाल कतई मत करिए, क्योंकि कच्चे सलादों में नमक की मात्रा प्राकृतिक रूप से ही रहती है। सलाद के साथ अलग से नमक खाने पर मूत्राशय संबंधी अनेकानेक बीमारियां हो जाती हैं।
* यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए शुध्द शहद के साथ गर्म दूध पीना अत्यधिक लाभदायक होता है। एक गिलास भैंस के दूध के साथ दो चम्मच शहद डालकर पीते रहने से वृध्दावस्था तक यौन-शक्ति बरकरार रहती है।
* आप कोई एन्टीबायोटिक, नींद लेने वाली गोलियां, दौरे की दवा या टीबी की दवाएं ले रही हों तो उस अविध में सिर्फ गर्भ निरोधक गोलियां ही लेना काफी नहीं होता बल्कि उसके साथ-साथ गर्भ निरोध का दूसरा उपाय भी अपनाना चाहिए।
* बिना चिकित्सक की सलाह के एन्टीबायोटिक दवाएं, गर्भ निरोधक दवाएं, गर्भपात की दवाएं या सेक्स से संबंधित दवाएं कभी न लें अन्यथा स्वास्थ्य के साथ-साथ सुन्दरता पर भी ग्रहण लग सकता है।
* एक नयी धारणा यहह बन रही है कि चेहरे की मालिश तथा ‘फेशियल’ से चेहरे पर बुढ़ापा नहीं उभर पाता किन्तु अमेरिकी त्वचा विशेषज्ञ डा. लेलीमेण्ड तथा टोण्डो एलने का कहना है कि उपरोक्त धारणा का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। यह लाभ केवल मनोवैज्ञानिक कारणों से ही होता है। इससे होता सिर्फ इतना है कि ‘फेशियल’ तथा मालिश से रोमछिद्र साफ हो जाते हैं जिससे रक्त संचार में अस्थायी वृध्दि हो जाती है और व्यक्ति कुछ अवधि के लिए सुखद अनुभव करता है।
* आयुर्वेद के अनुसार भोजन के तुरन्त बाद मट्ठा (तक्र) पीना, सौ कदम चलना (टहलना) आदि ठीक होता है परन्तु भोजन के बाद अधिक बोलना, अधिक भोजन के बाद अधिक घूमना या अधिक गरम पदार्थों का सेवन करना हानिकारक होता है।
* सोयाबीन के अधिक सेवन से स्तन कैंसर नहीं होता अतः अपने दैनिक आहार में सोयाबीन के बने पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
* नियमित रूप से जुकाम की शिकायत रहने पर दूब की कोपलों को तोड़कर उसे चटनी के समान पीस लीजिए और शहद के साथ प्रतिदिन रात्रि में लीजिए। जुकाम एकदम गायब हो जायेगी।
* पेट की किसी भी तरह की शिकायत होने पर गाढ़ा दूध का दलिया, कच्चा नारियल, पेठा व रसगुल्ला खाइए। पेट की बीमारी आपके कब्जे में होगी।
* स्तन पर अनचाहे बालों के होने को गम्भीरता से लीजिए। उन्हें काटिए नहीं बल्कि मूंगदाल के उबटन से हल्का-हल्का मसाज करते हुए नियमित प्रयोग से हटा लें। यह ग्रंथी रोग के कारणों से होता है।
* कच्चे नारियल का पानी दिन भर में 4-5 बार 50-50 ग्राम की मात्रा में पीने से शरीर पर दुबलापन दूर होता है।
* बेर के पत्तों को पीसकर पानी में मथने से जो झाग उठता है, उस झाग को सिर में लगाने से बाल झड़ने बन्द हो जाते हैं।
* अदरक के एक किलो रस में 500 ग्राम तिल का तेल मिलाकर गर्म करिए और जब केवल तेल बचा रहे, उतार कर छान कर बोतल में रखकर बन्द कर रख दीजिए। इस तेल से उस अंग पर मालिश कीजिए जहां कहीं भी दर्द होता है।

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