सोमवार, 22 सितंबर 2014

शिशु को स्तनपान(फीडिंग) कराने का तरीका




बच्चे   को स्तनपान (फीडिंग) कराना शुरू करवाना चाहिये कारण डिलिवरी कनाम  काहारमोन निकलता है जो मां का पहला दूध कहलाता है यह बहुत गाढा होता है शिशु  केलिये बहुत लाभकारी होता है। इम्यून पावर बढाता है तथा तमाक लड़ने की क्षमता  बढाता है।दिन में हर चार घंटे बाद तथा रात में छ: घंटे पर शिशु को दूध पिलाना चाहिये।  लोग शिशु को हर थोडी दिर में दूध पिलाने लगते हैं ये सोचकर कि शायद उसका पेट नहीं    भरा होगा।जल्दी जल्दी दूध पिलाने से बच्चे को भूख लगने का मौका आप  नहीं देते बल्कि  इससे उसका पेट खराब हो सकताहै। पाचन क्रिया बिगड़ सकती है दस्त लग सकते हैं  डिहाईड्रेशन हो सकता है।इतने छोटे शिशु को अलग से पानी  नहीं दिया जाता कारण मां के दूध से सारी जरूरतें पूरी हो जाती है। शिशु को मां के दूध के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिये करीब तीन-चार माह तक।जितने दिन तक शिशु मां का दूध पीता है उतने तक मां को कोई ऐसी चीज नहीं खानी चाहिये जिससे मां को गैस या ठंड चढ़ जाये कारण इसका पूरा पूरा असर बच्चे के पेट पर पड़ता है यानि पेट दर्द,दस्त ,पेट में तनाव इत्यादि हो सकता है।कम से एक साल तक।इतने दिन तक मां का दूध अवश्य दें।छ माह पर उपर की चीजें खिलाना जैसे पतली खिचड़ी,साबुदाने का पानी,फल का जूस इत्यादि दें।इसके बाद वेजीटेबल खिचड़ी दे सकते हैं मिक्सी में ग्राइंड करके ताकि गले में न फंसे तथा आसानी से हजम भी हो जाय

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