जब भी हम कोई तरल चीज पीते हैं, तो हमें धीरे-धीरे मुंह में घुमा-घुमा कर पीना चाहिये आब चाहे वह जूस हो या फर पानी ही क्यों न हो। पानी भी धीरे-धीरे ही पीना चाहिये। इस प्रकार पीने से हमारे मुंह में पैदा होने वाली गर्मी शांत हो जाती है तथा ये ठंडक हमारे पेट तक पहुंचती है। ऐसा करने से रक्त अधिक बनने की क्षमता पैदा होती है तथा रक्त संचार भी ठीक से होता है।
फल तथा सब्जियां सबके गुण-दोष को समझ लेना चाहिये कि हमें कौन सा फल सूट करता है या कौन सी सब्जी,उसी का जूस लें और अधिक जानकारी के लिये डाइटीशियन से भी परामर्श लें। ये रस तथा जूस रोगों के निवारण के साथ-साथ रोगों से बचाव कर शरीर को भीतर से स्वच्छ भी बनाता है। जब तक अधिक आवश्यक न हो फल एवं सब्जियों का रस अलग-अलग ही पियें।
जूस की आवश्यकता- अति व्यस्तता के कारण हमारे पास सुबह इतना समय नहीं होता कि हम गरिष्ठ या ठोस आहार ले सकें। जिसे चबा-चबा कर खाने के लिए हमारे पास समय नहीं है। ऐसी स्थिति में जूस को हम पोषक आहार के रूप में ले सकते हैं। जूस पीने से, फास्ट फूड तथा दूषित भोजन से होने वाले दोष नष्ट हो जाते हैं। अक्सर बीमारियां दूषित पानी से होती हैं, जो जूस पीते रहने से पानी की कमी तो पूरी होती है साथ दूषित पानी से होने वाली तमाम बीमारियों से बचा भी जा सकता है। इन रसों में होने वाले पोषक तत्व दूषित पानी में होने वाले कीटाणुओं का सफाया करता है।
जूस कैसे पियें-वैसे तो जूस को निकालते साथ ही पीना चाहिये ये सच है, मगर आवश्यकता पड़ने पर इन्हें रखना ही पड़ा तो 35-38 डिग्री फॉरेनहाईट तापमान पर रखें। इससे जूस खराब नहीं होने पाता दूसरे इन्हें कांच की गहरे रंग की बोतल में रखें, जो उबलते पानी से साफ की गई हो। इन सभी चीजों का ध्यान रखते हुए भी रस, जूस तभी निकाल कर रखना चाहिये। जब अति आवश्यक हो वरना जूस निकाल कर तुरंत पीयें।
जूस के गुण –जूस पीने से खून साफ होता है। पेशाब अधिक होकर शरीर का टॉक्सिक बाहर निकलता है। जूस शरीर के क्षतिग्रस्त कोषों को पुनः निर्माण में सहायक होता है। फल हो या सब्जी इनका रस पीने से पाचन तंत्र पर अधिक जोर नहीं पड़ता और अधिक से अधिक पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है।इसके बावजूद जूस को आवश्यकता से अधिक नहीं लेना चाहिये कारण फल के जूस अधिक अम्लीय(खट्टे) होते हैं, जो शरीर की प्राकृतिक अम्लता को बिगाड़ देंगे हैं।बीमारियों को मात दिया जा सकता है। रोगियों को दिये जाने वाले आहार में से रस एक पूरक आहार है। इससे रोगी को जल्दी लाभ मिलता है।
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