बुधवार, 24 सितंबर 2014

सूखा रोग (रिकेटस)



         सूखा रोग (रिकेटस) अधिकतर गरीब व्यक्तियों को होता है तथा इस रोग से ज्यादातर छोटे बच्चे ग्रस्त होते हैं। इस रोग को कुपोषण जन्य रोग भी कहते हैं।
सूखा रोग होने का लक्षण:-
      जब किसी छोटे बच्चे को सूखा रोग (रिकेट्स) हो जाता है तो उसमें चिड़चिडापन, मांसपेशियां ठंडी होना, बेचैनी, फीकापन लगना, सिर से अधिक पसीना निकलना, दस्त, पेचिश तथा हडि्डयां कमजोर होना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। जब सूखा रोग से पीड़ित रोगी की रीढ़ की हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं तो उसकी छाती में भी विकार हो जाते हैं, जिसके कारण रोगी बच्चे को चलने-फिरने तथा उठने-बैठने में परेशानी होने लगती है।
सूखा रोग होने का कारण:-
          सूखा रोग बच्चों के शरीर में विटामिन `डी´ की कमी हो जाने के कारण होता है। विटामिन `डी´ के द्वारा ही शरीर में कैल्शियम तथा फास्फोरस की  पर्याप्त मात्रा बनी रहती है। कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो जाने के कारण शरीर की हडि्डयों को पोषण नहीं मिलता है जिसके कारण यह रोग बच्चे को हो जाता है।
सूखा रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
•सूखा रोग से अपने बच्चे को बचाने के लिए छोटे बच्चे जो कि 1 वर्ष से कम के होते हैं उन्हें कम से कम 1 वर्ष तक मां का दूध पिलाना चाहिए। उसके बाद बच्चे को गाय या बकरी का दूध पिलाना चाहिए।
•जो स्त्री बच्चे को दूध पिलाती है उसे कैल्शियम तथा विटामिन `डी´ की मात्रा वाले पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि उसके दूध में कैल्शियम तथा विटामिन `डी´ की भरपूर मात्रा बन सके।
•यदि किसी बच्चे को यह रोग हो गया हो तो उस बच्चे को दूध में तिल मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
•बच्चे को प्रतिदिन वायुस्नान तथा धूपस्नान करना चाहिए ताकि उसका यह रोग ठीक हो सके।
•बच्चे की रीढ़ की हड्डी पर प्रतिदिन तेल की मालिश करनी चाहिए तथा उसके पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी कुछ समय के लिए करनी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से सूखा रोग (रिकेटस) जल्दी ठीक हो जाता है।

1 टिप्पणी:

  1. स्यात बालकों का रोग - what is meant by this? What you call this disease in English? and what are the domestic chitkas or methods of treatment for this?

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