शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

शारीरिक मानसिक समस्या से निजात दिलाता है यह पौधा

 लेखक - नजूमी जी

हालांकि आधुनिक दौर में इन बातों का कोई मूल्य नहीं है परंतु फिर भी कई बार जिनकी शरीर की और आभामंडल कमजोर होती है और जब भी वह कभी नकारात्मक जगह से गुजरते हैं तो ऐसे समय में कुछ लोगों में कुछ शारीरक तथा मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उनमें से एक समस्या यह है कि शरीर का रक्तचाप या तो अत्यधिक धीमा हो जाना या फिर शरीर का रक्तचाप अत्यधिक उच्च हो जाना और तथा आंखों में लाली शरीर में कंपन और अत्यधिक तेज बुखार हालांकि यह अचानक से ही आता है और फिर चला जाता है दवाइयां ली जाती हैं परंतु फिर भी जैसे ही अचानक किसी प्रकार की नकारात्मक विचारों का अनुभव हो इस समय तुरंत तेज बुखार उठना है और इसे देसी गांव की बोली में भूतिया बुखार भी कह देते हैं यानी की दवाई इत्यादि बहुत करने के बाद भी अचानक से तेज बुखार उठ जाना चेहरे पर लाल लाल रंग के धब्बे तथा बेवजह मुंह से कुछ ना कुछ बोलने लग जाना जो की शरीर की समस्या के साथ-साथ ही मानसिक समस्या भी प्रतीत होती है यह एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का ही प्रभाव होता है।

इस पौधे को अपा मार्ग या फिर चिरचिटामूल कहते हैं और यह उत्तर भारत में लगभग हर जगह पर सड़क के किनारे देखने को मिल जाता है आयुर्वेद में कम से कम 20 बीमारियों में जैसे की पेट की चर्बी अत्यधिक मोटापा लीवर की बीमारियां पित्त की पथरी तथा गुर्दे के रोग इत्यादिक मैं प्रयोग होता है और इसके साथ ही तंत्र में भी प्रयोग होता है तंत्र का मतलब यह नहीं है कि कि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु दर्द का अर्थ यकि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु तंत्र का अर्थ यह है कि जो यह संसार की प्रकृति है यह एक तंत्र है और प्रकृति द्वारा उपलब्ध चीजों को किस प्रकार से प्रयोग ला सके असल में यही तंत्र है और इस तंत्र के अंतर्गत संसार का वह प्रत्येक काम जो मनुष्य की भलाई के लिए है वह सभी के सभी तंत्र ही हैं जैसे की खेती किसानी आयुर्वेद या फिर प्रकृति द्वारा उत्पन्न खनिजों का प्रयोग करके उन्हें लोहा सोना पत्थर इत्यादि में दवाइयां में मनुष्य की भलाई में प्रयोग लाना असल में तंत्र की परिभाषा मूल रूप से यह है, लेकिन लेकिन हम तंत्र को कुछ अलग ही नाम से मानकर बैठे हैं मूल रूप से देखा जाए और एक अलग नजरिए से देखा जाए प्रकृति द्वारा प्राप्त लोहा एक प्रकार का तंत्र है और उसका प्रयोग करके जो चीज बनाई जाती हैं वह यंत्र है और उसे जिस प्रकार की ऊर्जा जैसे मनुष्य प्रयोग में लाता है मनुष्य की प्रयोग की शक्ति ही मंत्र है या अगर वह स्वचालित है तो वह सॉफ्टवेयर की ऊर्जा शक्ति ही मंत्र है यानी की तंत्र मंत्र यंत्र की यह एक सरल परिभाषा जो कि आम एक इंसान को समझ आ सके मैं पेश करने की कोशिश की है।

हालांकि अपने मूल बात पर चलें जिसे मैं जिक्र किया था अगर किसी व्यक्ति को उपरोक्त प्रकार की शारीरिक मानसिक समस्या जिसमें की तेज बुखार और आंखों में लाली और मानसिक विकार जिसकी मैं चर्चा सबसे पहले की है, ऐसे में अपामार्ग
 इस पौधे के 7 पत्ते परमपिता परमात्मा प्रकृति को विनय पूर्वक आज्ञा लेकर पत्ते तोड़कर थोड़ा सा हल्का सा जैसे तंबाकू मसला जाता है ऐसे ही मसलते हुए जब हल्का सा रस निकल स्त्री की बाई कलाई पर और पुरुष हो तो दाईं कलाई पर सीधे हाथ की तरफ थोड़ा सा रगड़े अगर ऐसे किसी प्रकार की समस्या होगी तो नसों में बहुत ही तेज सी महसूस होती है, रगड़ना के पश्चात किसी भी सफेद रंग के रुमाल से रगदे हुए पत्तों को कलाई की नसों पर ही रखकर बांध देने से इस समस्या का समाधान हो जाता है यह प्रयोग दिन में तीन बार जब अत्यधिक समस्या हो और अगर समस्या कम है तो तीन दिन लगातार एक बार बांध देने से समस्या से निजात मिलती है। बढ़ने के लिए कोई तिथि या दिन समय मुहूर्त विचार करने की जरूरत नहीं है समस्या हो तो कभी भी कर सकते हैं।

अनचाहे बालों से हैं परेशान? इन आयुर्वेदिक उपायों की मदद से पाए निजात

लेखक - नजूमी जी

यह प्रयोग हमारे भारत में प्राचीन काल से है लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है जानकारी के अभाव में जो भी महिलाएं या पुरुष अधिक रोम वाले स्थान को रोमरहित करना चाहते हैं इनका प्रयोग करते हैं और यह प्रयोग भी बहुत ही पीड़ा दायक तथा दर्दनाक भी होता है और बहुत महंगे भी हैं। लेकिन फिर भी आधुनिकता के चक्कर में दर्द सहने को भी तैयार हैं और पैसे खर्च करने को भी तैयार है। भारत के पुरातन समय में कुछ सन्यासी के संप्रदायों में पूरी तरह से सर के बल तथा दाढ़ी का मुंडन यानी की सर और दाढ़ी के बाल रखने की परंपरा नहीं है, किसके साथ ही जैन धर्म में भी सर और दाढ़ी के बाल को नोच कर निकाल देने की परंपरा है। आयुर्वेद में शरीर से स्थाई तौर पर रोम रहित स्थान पानी की कई विधियां हैं परंतु जानकारी का अभाव है।

पुराने समय में जो साधु संत पूरी तरह से सिर के बाल मुड़वा देते थे उनमें से कुछ जो स्थाई रूप से ही गंजा होना चाहते थे निम्नलिखित औषधीय प्रयोग करते थे। हालांकि यह विधियां बहुत ही कम आयुर्वेद जानकारी तक सीमित है जिन औषधीय का प्रयोग करते थे वह निम्नलिखित तौर पर है -: 

(1) ढाक के पत्ते की राख, हरताल वर्किया को केले के जड़ की रस में घोट जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(2) हरताल एक भाग, जवाखार 1 भाग , पोस्त छिलका की राख एक भाग, चूना 1 भाग पानी में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(3) चुना तथा हरताल सेब का सिरका या फिर गुड़ के सिरके में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(4) 70 ग्राम चूना व 10 ग्राम हरताल वर्किया अच्छी तरह से मिलाकर अगर सिर पर लेप किया जाए या जिस स्थान पर रोम हो रोम स्थायी तौर गिर जाते है।

हालांकि ब्यूटी पार्लर या फिर त्वचा से संबंधित संस्थानों में केमिकल युक्त प्लास्टिक के दाने को गर्म करके जो हॉट वैक्सिंग की जाती है उस दर्दनाक पीड़ा भी होती है और रोम क्षिद्र को हानि होती है जिसकी वजह से गर्मी में पसीना ना आने की वजह से शरीर में त्वचा में अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं या त्वचा में लाल लाल दाने हो जाते हैं और जो बाद में की काले रंग के पड़ जाते हैं त्वचा को नुकसान होता है प्रकृति ने हमें रोम छिद्र तथा रोम हमारी त्वचा की सुरक्षा के लिए दिए हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना व उपाय

 दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका का पाठ हम सब ने सुना व किया भी होगा । अलग अलग समस्याओं के लिये अलग अलग साधना व उपाय वर्णित हैं , लेकिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को हम भली भांति जानते हैं , और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महत्ता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि सप्तशती पाठ में वर्णित अन्य सभी जैसे स्वयं सप्तशती पाठ, कवच, अर्गला, कीलक इत्यादि के लिये एक पूरी नियमावली है , जो आम इंसान नही कर पाता या उसे पता नही होता । ऐसे में जाने अनजाने में कोई गलती न हो जाये इसके लिये भी सप्तशती में इसका भी उपाय है और वो है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जिसके लिये किसी नियम की आवश्यकता नही है । इसके लिये विनियोग की भी आवश्यकता नही है । मैं समझता हूं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का निर्माण ही शायद इसलिये हुआ था कि जो लोग नियम व तरीके नही जानते उनके लिये ये सुलभ हो सके । कहते हैं कि सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने मात्र से सम्पूर्ण सप्तशती का फल मिल जाता है । हम सभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को एक पाठ की तरह बेहद साधारण नियम से पढ़ते हैं आज आपको एक खास नियम के बारे में बताऊंगा जिसको करने से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का फल तो मिलेगा ही वरन ये जागृत होकर आपके लिये रक्षा कवच का कार्य भी करेगा । पाठ इस प्रकार करें :-

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यह 9 दिन का साधना है । आपको पहले दिन 1 पाठ दूसरे दिन 2 पाठ तीसरे दिन 4 पाठ व इसी तरह से 9 दिन तक पाठ करने हैं । हर दिन आपको पिछले दिन से दुगुना पाठ करना है । इस तरह आप नौवें दिन 256 पाठ करेंगे । फिर 10 वें दिन से आपको नित्य 3 या 7 पाठ करने हैं । नौवें दिन ही आप स्तोत्र की शक्ति को महसूस कर पाएंगे ।
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इस तरह से पाठ के लाभ :-
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1. माता की कृपा आप पर बनी रहेगी ।
2. जिन को विवाह के बाद समस्या है वो दूर होगी ।
3. जिन के पति या पत्नी कुसंगति में हैं , मन-मुटाव है या मतभेद हैं उसमें लाभ मिलेगा ।
4. जो अपने लिये अच्छा वर या वधु व ससुराल चाहते हैं वह भी इसे कर सकते हैं ।
5. संतान प्राप्ति में सहायक है व अगर संतान कुसंगति में है उसमें भी लाभप्रद है।
6. कर्ज, बीमारी, विवाद, कुंडली दोष, ग्रह दोष इत्यादि में बेहद लाभकारी है ।
7. जिनको विवाह होने में समस्या आ रही है वो भी कर सकते हैं ।
8. सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से आपकी रक्षा होती है ।
9. सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है ।

सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं मंजुघोष मंत्र से

 मंजुघोष का सामान्य रूप से प्रचार कम है इसीलिए इनकी साधना पद्वति गोपनीय रही है इसलिये इनका प्रचार प्रसार कम ही रहा है । इनका 6 अक्षरों का मंत्र है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं । आम इंसान व गृहस्थ व्यक्ति के लिये इस मंत्र के सात्विक व कर सकने लायक प्रयोग इस प्रकार हैं :-

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आपको बताई गई छवि को मन में उतार लेना है व इस मंत्र को प्रतिदिन 1 माला जाप करनी है । यह मंत्र सबसे पहले आप शरीर के आलस्य को दूर करेगा । आप सभी दिन का भोजन तो करते हीं हैं , आपको भोजन करते समय इस मंत्र को मन ही मन जपते जाना है । जब आप भोजन कर लेवें उसके पश्चात आपकी जो झूठी थाली या लंच बॉक्स है उसमें अपनी उंगली की सहायता से एक डमरू की आकृति बनाइये और इस मंत्र को लिख दीजिये , और थाली ऐसे ही छोड़ दीजिये , और हाथ मुँह धो लीजिये । आप ऐसा करते हैं तो आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपको आकस्मिक धन की प्राप्ति होगी या धन प्राप्ति के रास्ते खुलेंगे । आप स्नान करते हैं किसी नदी , तालाब या घर में भी किसी बाल्टी में उंगली की सहायता से डमरू की आकृति बनाएं व इस मंत्र को लिखें व फिर स्नान कर लेवें तो कोई कोर्ट कचहरी की समस्या है या कोई बंधन है तो उसमें अप्रत्याशित लाभ होगा । अगर आप इन सब बंधनों में नही पड़ना चाहते हैं कि आपको लगे कि भोजन की थाली में या स्नान के जल में मंत्र लिखना मुश्किल है तो आप दिन के भोजन के समय भोजन करते हुए इस मंत्र का मानसिक जप कर सकते हैं , ध्यान रखें कि रात्रि के भोजन के समय इस मंत्र का जप नही करना है । इस मंत्र का कहीं कोई साइड इफ़ेक्ट नही है । आप अगर कुछ नही करना चाहते तो आप अपनी नित्य पूजा के समय इस मंत्र का 108 बार जप कर सकते हैं । इस मंत्र के कई लाभ हैं .. शत्रु बाधा, आलस्य, धन, नौकरी, व्यापार, बीमारी,कोर्ट-कचहरी, मुकद्दमा , ग्रह दोष, कुंडली दोष अन्य सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं । मंत्र मैं आपको बता देता हूं , मंत्र इस प्रकार है :-

मंजुघोष मंत्र

" अ र व च ल धीं "
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इस मंत्र को आपको एक सांस में पढ़ना है ।
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दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप इस मंत्र को करें व इस बार दीपावली के अगले दिन ग्रहण काल भी है , इसीलिये इस मंत्र की जप सिद्धि और अच्छे से हो जायेगी । कोई लंबा चौड़ा विधान नही है , जैसा बताया कि इसे आप भोजन करते हुए व स्नान करते हुए भी कर सकते हैं । यह बेहद चमत्कारी व शीघ्र फल देने वाला मंत्र है , करके देखिये आपको निश्चित ही लाभ की अनुभूति होगी।

पितृ दोष निवारण बेहद सरल हैं और प्रभावी उपाय

 हर व्यक्ति अपने अनुसार या श्रद्धा के हिसाब से पितरों की संतुष्टि के लिये भोग लगता है दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को भोजन करवाता है । जिसकी जैसी श्रद्धा और जेब होती है वो वैसा ही करता है । मुझे हैरानी होती है पितरों से संबंधित या अन्य ज्योतिषीय उपाय बताने पर लोग बोलते हैं कि कब तक करना है ? सोचने की बात तो ये है कि अगर इससे आपको लाभ मिलता है तो निरंतर करने में क्या हर्ज है ? क्यों लोगों को लगता है कि बस काम निकल गया अब करने की क्या जरूरत है ? इसी तय मानसिकता को लेकर जब लोग उपाय करते हैं तो उनको उपाय फलित नही होते उसका दोष भी लोग ज्योतिष व ज्योतिषी को देते हैं । ये सर्व विदित है कि हम अपनी परेशानियों से मुक्ति के लिये अपने स्वार्थ वश ही ये उपाय करते हैं .. देवताओं व पितरों को भोग लगाते हैं उनके निमित दान करते हैं अन्यथा तो हम ये सब करें नही न हम माने इन सब को ..फिर भी भगवान की व्यवस्था में इतनी छूट मनुष्य को दी है कि ये सब जानते हुए भी सब कुछ ग्रहण करते हैं और इच्छा स्वरूप फल देते हैं । बहराल ये तो इंसान की प्रकृति की बात हो गई अब बात करते हैं कि इन सब का उपाय क्या है ? हम कैसे जानें कि पितरों से संबंधित उपाय फलित हो रहे हैं या नही ? इसकी बहुत आसान पद्वति आपको बताता हूँ ।

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ये आप किसी भी दिन आजमा के देख सकते हैं विशेष अमावस्या के दिन ... आपको सफेद बर्फी या कोई भी फल इत्यादि या हरा चारा या एक पालक की गड्डी जो भी उपलब्ध हो आसानी से उसे लेकर किसी पत्तल पर रख कर गाय को ये बोलकर खिलाइये कि अपने पितरों के निमित भोग अर्पण कर रहे हैं भोग ग्रहण कीजिये और देखिये कि अगर गाय पहली बार में खा लेती है भले ही एक ग्रास खाये तो समझ लीजिये आपके पितृ आपसे खुश हैं और आपसे भोग ले रहे हैं , और फिर तुरंत वहां से हट जाइये । अगर गाय सूंघ कर छोड़ दे तो समझिये की नाराज़ हैं भोग नही ले रहे । कोई अन्य जानवर आकर मुँह मार दे तो समझ लीजिये आपके पितरों का भोग कोई और ले रहा है । अगर कोई अन्य गाय आकर भी उसमें मुँह मार देवे तो समझिये कोई अन्य अतृप्त आत्मा आपके परिवार की भोग छह रही है तब पूर्ण शांति करवाइये । ये भोग आवारा खुली घूमती गायों को ही लगाएं न कि बंधी हुई गायों को और कोशिश कीजिये कि अकेली कोई गाय इस तरह से दिख जाये उसको ही इस तरह भोग अर्पण करें । ध्यान रखें जिस दिन आप इस मंशा से भोग देंगे या तो आपको गाय उस दिन मिलेगी नही या अकेली नही मिलेगी .. यह भी एक परीक्षा होती है । अगर गाय भोग नही लेती या अन्य जानवर आकर मुँह लगा देता है तब मानिये वो हफ्ता या महीना थोड़ा कष्टप्रद बीतेगा ।
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एक उपाय है जो बेहद सरल हैं और प्रभावी हैं जो आप अपने पितरों की शांति के लिये उनके आशीर्वाद पाने के लिये कर सकते हैं ।
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अमावस्या पर एक स्टील अथवा मिट्टी के लोटे में जौ, काले तिल, सफेद तिल मिश्रित दूध पीपल की जड़ में चढ़ाएं और चढ़ाते हुए मन में प्रार्थना करें कि मेरे सभी पूर्वजों व मेरे कुल की सभी तृप्त व अतृप्त पितृ भोग ग्रहण करें , इसके साथ एक दोने में 2 पीस सफेद बर्फी 4-5 सिक्के उस दोने में डाल कर पीपल की जड़ में रखें , तिल या घी का दिया प्रज्वलित कर पितृ स्तोत्र का पाठ करें । व उसके बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का 7 बार उच्चारण करके त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश से प्रार्थना करें कि कुल के सभी पितरों व मृत आत्माओं को मुक्ति प्रदान कर श्रीचरणों में स्थान देवें । यह हर अमावस्या करें । अब कई लोगों के मन में शंका उठेगी कि कोई अमावस्या रविवार को पड़ जाये तब क्या करें ? क्योंकि रविवार को पीपल पूजा व स्पर्श निषेध है .. तो वह जान लेवें की स्पर्श आपको करना नही है और ये आप पूजा नही कर रहे हो सिर्फ भोग अर्पण कर रहे हो अतः बिना आशंका के रविवार अमावस्या पर भी इस उपाय को करें कोई टोके या ज्ञान दे तब भी आपको शांत मन से करना है । निश्चित तौर पर आपको पितरों का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होगी ।

इच्छापूर्ति हेतु पुष्पदंत देव का यंत्र

 देखिये सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पुष्पदंत जी कौन हैं , इनका कार्य क्या है ... क्योंकि कई लोग हो सकता है जैन मुनि पुष्पदंत महाराज जी से इसे जोड़ कर देखें , जबकि यह ऐसे नही है । पुष्पदंत देव शिव जी और विष्णु जी के सहायक हैं । शिव जी व विष्णु जी को कोई भी कार्य या इच्छा पूरी करवाना होता है तो वे इनको बोलते हैं । पुष्पदंत जी मुख्यतः इच्छापूर्ति के देवता हैं , यह आपकी इच्छाओं को जो भी हैं जैसी भी हैं को पूरा करने में सहायता करते हैं । चित्र में दिया यंत्र इनका यंत्र है । यह तीन रंगों के समावेश से बनता है सफेद, पीला व नीला ... इसमें एक 4 अंकों का इच्छापूर्ति कोड है जो नीले सियाही से लिखा जाता है । यह कोड आपकी इच्छा को संबंधित देवता तक पहुंचाने का कार्य करता है । सबसे पहले इस यंत्र को बनाने की विधि जान लेते हैं जो बेहद सरल है :- 

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सबसे पहले आपको एक सफेद कागज पर स्केच पेन से चित्र में दिखाये अनुसार एक मोटी पट्टी द्वारा सर्कल बनाना है । चित्र में जहां संख्या 1176 लिखी हैं , वहां नीली स्याही /बॉल पेन/स्केच पेन की मदद से उसी जगह संख्या लिखनी है । अब पीले सर्कल के बाहरी एक्स्ट्रा सफेद आवरण को कैंची के माध्यम से हटा देना है , तत्पश्चात सर्कल के अंदर व लिखी हुई संख्या के ऊपर खाली स्थान पर नीली ही स्याही से अपनी इच्छा को लिखेंगे । ध्यान रहे आपको इच्छा मांगने के हिसाब से नही लिखनी है बल्कि इच्छा पूरी हो गयी है इस हिसाब से लिखनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपको शादी की इच्छा है तो आप इसमें लिखेंगे की फलानी तारीख तक मेरी शादी हो गयी है । जैसे आपने लिखा कि 31/12/2022 तक मेरी शादी हो गयी है । तो आप देखेंगे कि उस तारीख तक आपका काम बन जायेगा । इसी तरह आप अपने अन्य कार्यों को भी इसी हिसाब से लिखेंगे ।  अब कुछ महानुभाव यह उपहास करेंगे कि हम कल की या दो दिन की बाद तारीख लिख देंगे तो क्या 2 दिन में कार्य हो जाएंगे ? देखिये ... इसमें बुद्धि और विवेक भी जरूरी है । 

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इस यंत्र को कहां लगाना है ? 

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पुष्पदंत देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं , उसमें भी विशेष 260° से 270° का स्थान .... आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवार पर कंपास की मदद से 260° से 270° का स्थान ढूँढिये , मिलने पर इस यंत्र को उस स्थान पर लगा देना है । यह बेहद असरदार व आजमाया उपाय है । करके देखिये निश्चित रूप से आपको शीघ्र सफलता मिलेगी ।


धन व शीघ्र विवाह और सुखी वैवाहिक जीवन के लिये अनुभूत उपाय

 शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्र की होरा में अपनी अनामिका उंगली की नाप का छल्ला खरीद कर लायें । इसे गंगाजल, दूध , शहद से पवित्र करके...केले के पेड़ में चाकू से चीरा लगा कर अंदर फंसा देवें, छल्ले को तने में इतना फंसा देवें की बाहर से दिखाई न देवे । इस कटे भाग पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर केले के पेड़ में जल देवें और धूप दीप जला कर केले के पेड़ की पूजा करें । यह पूजा नित्य पूर्णिमा तक करें व केले के पेड़ को जल नित्य देवें । पूर्णिमा को पूजा करने के बाद छल्ले को तने से निकाल कर घर ले आयें और विधिवत पूजा करके चन्द्र की होरा में उंगली में धारण कर लेवें ।

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धन की कामना करने वालों के लिये व जिन बच्चों के विवाह में देरी हो रही है उनके शीघ्र विवाह के लिये और सुखद वैवाहिक जीवन के लिये सर्वश्रेष्ठ व अत्यंत लाभकारी है ।

बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो

 बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो , बात एक दम गले तक आ गई हो , जान पर बन आयी हो तब यह उपाय करें , आप निश्चित ही उस समस्या से निकल जाएंगे । यह प्रयोग उनके लिये खास है जो सघन बीमारी झेल रहे हों , अचानक कोई दुर्घटना हो गयी हो, पुलिस कोर्ट-कचहरी का मामला हो गया हो । किसी का विवाह या अन्य कोई शुभ कार्य होना है उसमें धन या अन्य वजह से रुकावट आ रही हो , कर्ज से गला घुट रहा हो , कर्जदार बहुत परेशान कर रहें हो, शत्रु परेशान कर रहा हो..नौकरी नही लग रही हो या कोई भी मनोकामना सिद्धि के लिए यह एक उपाय विधि कीजिये तुरंत समाधान व राहत मिल जायेगी । यह प्रयोग विधि 3 दिन मंगलवार-शनिवार-मंगलवार की है । विधि इस प्रकार है :-

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मंगलवार को आपको एक दौने में 2 इमरती एक पान का बीड़ा जिसमें सिर्फ कत्था, सुपारी, इलायची हो और ऊपर दो लौंग लगी हो , उसे हनुमान जी को शाम को अर्पित करना है । इमरती हनुमानजी को बेहद पसंद है । अगर किसी शहर कस्बे में इमरती नही मिलती तब दो बूंदी के लड्डू चढ़ायें । यह प्रयोग मंदिर में ही करना है । वहीं खड़े होकर 7 बार हनुमान चालीसा पढ़नी है । प्रसाद घर नही लाना है । बीड़े का महत्व है जिस तरह हम कहते हैं कि काम का बीड़ा उठाना उसी तरह यह बीड़ा है जो आपको हनुमानजी को बोलना है कि मेरे कार्य सिद्धि का बीड़ा आपके ऊपर है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये बोलें व घर आ जाएं ।
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शनिवार को आपको 2 जटा वाला नारियल लेना है , उसकी जटा हटा दीजिये , फिर नारियल को हल्दी पेस्ट से पूरा पीले रंग में रंग लेवें , उसपर कुमकुम से एक तरफ तिलक करें और दूसरी तरफ कुमकुम से त्रिशूल बनावें । अब थोड़े अखरोट, बादाम, काजू, मूंगफली, मखाने, चने लेकर मिक्सी में बारीक कूट लेवें , गुड़ को पीस कर अच्छे से इस सामग्री में मिला लेवें । 4 गेहूं की मोटी रोटी बना लेवें , उसे ठंडी करके उसका चूरा कर लेवें व उपरोक्त सामग्री व घी की मदद से 7 लड्डू बनावें । लड्डू आपको शनिवार सुबह बनाने हैं व 3 लड्डू पत्तल या कागज़ पर रख कर गाय को सुबह ही खिलाने हैं व शाम को 2 लड्डू पान के पत्ते पर रख कर और एक नारियल हनुमानजी को अर्पित करें । 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें व दो लड्डू पान के पत्ते पर रख कर पीपल की जड़ में रख देवें व एक नारियल पीपल पर चढ़ा देवें । तिल्ली के तेल/ देसी घी के दीपक को जला कर 7 बार वहीं खड़े होकर हनुमान चालीसा पढ़नी है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये प्रार्थना करें व घर आ जायें ।
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मंगलवार को पिछले मंगलवार की तरह जो कार्यविधि की थी उसी तरह करें ।
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*नोट:- मंगलवार से मंगलवार तक ब्रह्चर्य का पालन करें , भले ही बीच के दिनों में आप कोई प्रयोग या विधि नही कर रहे हों तब भी । यह प्रयोग विधि संध्या समय मंदिर में जा कर ही करनी है , घर पर नही । शनिवार को सुबह पहले लड्डू बनाने हैं और गाय को खिलाने हैं उसके पश्चात ही घर का खाना बनाना है व खाना है ।

कालसर्प योग/दोष व इसका सटीक उपाय

 ये उपाय आप वैसे तो किसी भी दिन कर सकते हैं पर सोमवार हो या मास शिवरात्रि हो या मुख्य शिवरात्रि हो या नागपंचमी को करें तो सबसे बढ़िया है । इसके लिये आपको चाहिये बालू मिट्टी ... मिट्टी कहीं खुदाई में नीचे के मिल जाये तो अति उत्तम वरना सही जगह से ज़मीन खोद के मिट्टी लेवें , नदी किनारे की हो या समुद्र किनारे की हो तो भी कोई हर्ज नही । उस मिट्टी को छान कर घर ले आएं जो लोग किसी पोखर, तालाब, नदी या समंदर के किनारे पूजा करना चाहते हैं तो कोई नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है । इस मिट्टी में थोड़ा दूध, गंगाजल, गौमूत्र का छांटा दे देवें और एक शिवलिंग का निर्माण करें ।सभी धातुओं, पदार्थों में मिट्टी का शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ होता है । स्वयं श्रीराम जी ने मिट्टी की शिवलिंग की स्थापना की थी जो अब रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है । ऐसी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें । बिल्कुल थोड़ा दूध या जल ही चढ़ाएं । पूजा करने के बाद जब शाम को या अगले दिन वह शिवलिंग की मिट्टी सूख कर मिट्टी के ढेर में बदल जायेगी , अब आप चाहें तो इस मिट्टी को एक गमले में डाल कर कोई भी पौधा लगा सकते हैं या तुलसी के पौधे को छोड़कर अन्य पौधों में डाल सकते हैं ।

अब आप सोचेंगे कि इतने छोटे से कार्य से कालसर्पयोग हट जायेगा । तो बताना चाहूंगा कि भले देखन में छोटे लगे, पर घाव करे गंभीर है ये प्रयोग .... सबसे पहली बात तो मिट्टी का शिवलिंग सब धातुओं और पदार्थों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । जैसा मैं पहले बता चुका हूं ।दूसरा ये कि शिवलिंग का निर्माण अपने हाथों। से करना ही बहुत बड़ी बात है , आपके हाथों की लकीरों में जो अशुभता है उसको शुभता में बदलने का साहस है इस प्रयोग में ... इसे आप हर साल भी कर सकते हैं । इससे भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है । भोलेनाथ का निवास घर में बना रहता है । करके देखिये ये प्रयोग आपको असीम कृपा की प्राप्ति होगी ।
जिन व्यक्तियों ने हजारों लाखों रुपये कालसर्प योग/दोष की शांति में खर्च कर दिये हैं फिर भी उनको लाभ नही मिला व जो भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए ये प्रयोग करते हैं, उनको हज़ार शिवलिंग की हज़ार पूजा करने का पुण्य इस एक बार की पूजा में मिलेगा । वैसे भी मैं तो व्यक्तिगत रूप से कालसर्प योग/दोष को नही मानता मैंने ये उपाय सिर्फ भोलेनाथ की कृपा प्राप्ति के लिये बताया है पर अगर जो लोग कालसर्प योग/दोष को मानते हैं या इसको लेकर असमंजस में हैं या जो लोगों को लगता है हम महंगी पूजा afford नही कर सकते , वो एक बार ये प्रयोग कर के देखें ।
अंत मे मेरा अनुरोध उन विद्वानों से है जो कसलसर्प योग/दोष के पक्ष में हैं वो वाद-विवाद न करें । हर किसी के तथ्य व विचार अलग हैं , तो किसी तरह का विवाद न करते हुए भोलेनाथ जी की जय बोलें ।

हनुमान चालीसा व उसको करने का असरकारी तरीका

 हनुमान चालीसा एक ऐसा पाठ है जो अधिकांश व्यक्ति अपनी नित्य पूजा में करते ही हैं। पर अधिकांश व्यक्तियों को इसका समुचित लाभ नही मिल पा रहा है ,उसका कारण है कि हम हनुमान चालीसा को गलत तरीके से पढ़ रहे हैं । इसकी एक छोटी सी विधि है जिसको करने से हनुमान चालीसा का लाभ आपको मिलेगा वरन इसकी शक्ति का भी आभास होने लगेगा ।यह विधि इस प्रकार है कि जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करें उससे पूर्व 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें फिर हनुमान चालीसा व उसके बाद फिर 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें । इस तरह से ये कवच का कार्य करता है । कहा जाता है कि सीधे हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसकी शक्ति भटक जाती है , इधर उधर फैल जाती है । इसको एकत्र करने के लिये हनुमान चालीसा के आगे व पीछे 108-108 बार श्रीराम नाम लगाना चाहिये । ये एक कैप्सूल की तरह काम करता है । एक कवच एक ताबीज़ की तरह ..इससे चालीसा की शक्ति ऊर्जा आपके शरीर में ही समाने लगती हैं । करके देखें अवश्य लाभ मिलेगा ।

गुरु की महादशा प्रयोग

 वे सभी व्यक्ति जिनकी गुरु की महादशा अच्छी नही चल रही है , और जिनका गुरु नीच का हो, पीड़ित हो अथवा पापी हो वह सभी व्यक्ति गुरु की दशा सुधारने के लिये प्रयोग कर सकते हैं । एक पीतल के लोटे में दूध लेवें उसमें केसर की कुछ पत्तियां डाल देवें , एक चुटकी बेसन, थोड़ा बूरा मिला लेवें और बृहस्पतिवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा आएं । ध्यान रहे शिवलिंग के अलावा किसी और पर यह न चढ़ावें , चढ़ाने के बाद मंदिर में न रुकें न प्रार्थना करें न चढ़ाते हुए किसी मंत्र का जप करें । सीधे शब्दों में कहूँ तो ये आपको शिवलिंग पर ढोल के आ जाना है । बृहस्पतिवार के अलावा ये प्रयोग न करें ।

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दुर्गा बीसा यंत्र : एक चमत्कारी यंत्र उसके महत्व और लाभ

 हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़े पैमाने पर यंत्र विद्या का जिक्र मिलता है। ग्रंथों में तंत्र, मंत्र और यंत्र, इन तीनों मार्गों को जीवन सुखमय बनाने का मार्ग बताया गया है। इनमें से आम लोग तंत्र से दूर ही रहना पसंद करते हैं और मंत्र सिद्ध करना आसान नहीं है। ऐसे में तीसरा मार्ग बचता है यंत्र। यंत्र कुछ विशेष प्रकार की ज्यामितिय आकृतियों का संयोजन होता है, जिसे किसी देवी या देवता विशेष के लिए बनाया जाता है। शास्त्रों में यंत्रों को साक्षात देवी-देवता का स्वरूप कहा गया है। शास्त्रों में मंत्र को देवी-देवताओं की आत्मा कहा गया है तो यंत्र को उनका शरीर। यह बात इस मंत्र से सिद्ध हो जाती है 'यंत्र देवानां गृहम्" अर्थात यंत्र देवताओं का निवास स्थान है।

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दुर्गा बीसा यंत्र
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यंत्र की पूजा करने से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्र बताए गए हैं, जो विभिन्न् कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। उन्हीं में से एक यंत्र है दुर्गा बीसा यंत्र। यह एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र है जिसमें स्वयं देवी दुर्गा निवास करती है। शास्त्रों का कथन है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने या धारण करने से धन की हानि नहीं होती है। दुर्घटना से बचाव होता है। शत्रुओं का नाश होता है और समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है।
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क्या होता है दुर्गा बीसा यंत्र
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दुर्गा बीसा यंत्र एक त्रिकोण की तरह होता है जिसमें एक केंद्र और उसके आसपास नौ त्रिकोण खाने होते हैं। इनकी जमावट इस तरह होती है कि यह एक त्रिकोण की तरह नजर आता है। इससे अलग-अलग खानों में 1 से 9 तक के अंक लिखे होते हैं , मार्केट में यह तांबे, अष्टधातु, चांदी, सोना, क्रिस्टल आदि धातुओं से बना हुआ मिलता है। घर में इसे बनाने के लिए भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है। इसके बाद इसका षोडशोपचार पूजन करके दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से सिद्ध किया जाता है। 'ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:" मंत्र की एक माला से सिद्ध किया जाता है। सिद्ध होने के बाद इसे चांदी के ताबीज में भरकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधें या गले में पहनें। इसे चांदी की डिबिया में रखकर तिजोरी में भी रखा जा सकता है।
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दुर्गा बीसा यंत्र के लाभ
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यह सिद्ध यंत्र जिसके पास होता है, स्वयं मां दुर्गा समस्त संकटों से उसकी रक्षा करती है। इस यंत्र के प्रभाव से कभी धन हानि नहीं होती। दुर्गा बीसा यंत्र को धन प्रदायक माना गया है। इससे लक्ष्मी की अनुकूलता प्राप्त होती है। दुर्गा बीसा यंत्र साथ में होने से शत्रु हावी नहीं हो पाते। शत्रु शांत होते हैं। उनसे रक्षा होती है। दुर्घटना में रक्षा होती है। दुर्गा बीसा यंत्र को अपने वाहन में लगाने से दुर्घटना में मृत्यु नहीं होती। बुरी नजर, जादूटोना, काला जादू आदि का प्रभाव शून्य हो जाता है। सभी नवग्रह दोष, कुंडली के अन्य दोषों का शमन होता है ।
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बीसा यंत्र कैसे प्राप्त करें ?
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बाजार में तांबे, चांदी अथवा सोने के भी यंत्र पूजा योग्य बनाये जाते हैं , जिसे आप अपने मंदिर में स्थापित करके लाभ ले सकते हैं अथवा ये गले के पेन्डेन्ट रूप में उपलब्ध है । इसकी सबसे खास बात ये है कि बहुत कम दाम में ये उपलब्ध है । आज बाजार में हज़ारों लाखों के रत्न या अन्य वस्तुएं लोग खरीदते हैं जबकि ये बेहद कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है , और अन्य वस्तुओं से अति शीघ्र असर दिखाता है । मैंने खुद पर व अन्य लोगों पर इसके अभूत प्रयोग किये हैं , सभी ने सकारात्मक होना बताया है । हमारे द्वारा दुर्गा बीसा यंत्र संक्रांति, होली-दीवाली, ग्रहण, नवरात्रों में विशेष पूजा पद्वति से इस यंत्र को तैयार किया जाता है । इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं ।

धन संबंधी और कर्ज़ संबंधी परेशानी का सरल उपाय

लेखक - पी. ए. बाला

जो भी व्यक्ति धन संबंधी , कर्ज़ संबंधी परेशानियों से गुज़र रहे हैं । वह व्यक्ति नित्य प्रातः 3:00-3:30 बजे उठ कर अपने पलंग पर ही "वेंकटेश सुप्रभातम" सुनें । जो पढ़ सकते हैं वह पढ़ें , अन्यथा सुनें । एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जी की आवाज़ में बेहद दिव्य है । इसके पश्चात आप वापिस सो सकते हैं । सुप्रभातम श्रीहरि को उठाने के लिये किया जाता है , कई विद्वान ये भी मत रखेंगे कि आप विष्णु जी को जगा कर खुद वापिस कैसे सो सकते हैं .. सच मानिये जब आप इस प्रयोग को करेंगे तो पाएंगे थोड़े दिन में आपकी दिनचर्या बदल गई है , आप स्वयं स्वेच्छा से ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाया करेंगे ।


मनोकामना इच्छापूर्ति के लिये हनुमान चालीसा राम बाण उपाय

लेखक - पी. ए. बाला 

आज के युग में हर इंसान किसी न किसी मनोकामना ,इच्छा को लेकर जी ही रह होता है । वो किसी भी प्रकार की हो सकती है , और हर इंसान उस इच्छापूर्ति के लिये भरसक प्रयास भी करता है । चाहे वो ज्योतिष के माध्यम से हो या अन्य फिर भी सफल नही हो पा रहा , ऐसी स्थिति इंसान के लिये बड़ी कष्टदायक होती है, कि चाह कर भी वो कुछ नही कर पाता । ऐसी स्थिति से उबरने के लिये आपको एक राम बाण प्रयोग बताता हूं, जो कि बड़ा तीव्र है तुरंत फायदा देने वाला है चूंकि मैं उसे राम बाण उपाय कह ही रह हूँ तो इसका तात्पर्य यही है कि ये उपाय कभी असफल नही होता । ये उपाय प्रायः सभी जानते हैं पर तरीका क्या है इसका उससे लोग अनभिज्ञ हैं , तो आज हम उसी तरीके के बारे में जानेंगे । उपाय बेहद आसान है परन्तु ये परिश्रम मांगता है , अगर आपने जान लगा कर ये कर लिया तो निश्चित मत है कि आपके कार्य को सफल होने से कोई नही रोक सकता । उपाय इस प्रकार है :-

आपको किसी भी मंगलवार या शनिवार को 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना है । इस विधि से :--- जिस भी दिन आप ये करें कोशिश करें उस दिन प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें , अगर करते भी हैं तो इस साधना से 2 घंटे पहले खाना खायें और साधना से पहले नमक के पानी से कुल्ला करके अच्छे से हाथ मुँह धो कर , नहा सके तो और बेहतर है ।लाल आसन लेकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके बैठें । साथ में 108 दाने एक कटोरी में चने की दाल ले कर बैठे , एक खाली कटोरी ले कर बैठें । एक चने की दाल हाथ में लेकर सबसे पहले 108 बार श्रीराम नाम का जप करें, फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें और ऐसे 108 बार चालीसा का पाठ करें । श्रीराम नाम आपको शुरू में एक बार और अंत में 108 चालीसा पाठ के बाद करना है । साधना के नियम इस प्रकार हैं :-
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1. यह साधना बेहद श्रद्धा और विश्वास की है , इसमें किसी प्रकार की वैसे तो भौतिक चीजों जैसे तस्वीर, चौकी, दीया-बत्ती , प्रसाद, माला की आवश्यकता नही है । फिर भी आप इन सब के साथ करना चाहें तो कर सकते हैं । इसके लिये जरूरी है कि पूरे साधना के समय दीया जलता रहना चाहिये ।
2. उपरोक्त भौतिक चीजों के अलावा करने पर सिर्फ आपको आसन और दिशा का ध्यान रखना है । चने की दाल भी सम्भव न हो तो उंगलियों पर भी गिनती कर सकते हैं ।
3. इस साधना को करने में 3-4 घंटे या उससे ज्यादा का वक़्त भी लग सकता है । इस पूरे साधना काल में आपको आसन नही छोड़ना है बाकी आप हाथ पैर हिला डुला सकते हैं ।
4. इस साधना को ऐसे समय करें जब रात को बीच में 12 अवश्य बजें ।
5. साधना के बाद प्रयोग की गई चने की दाल को लाल कपड़े में छोटी पोटली बना कर या तो अपने जेब में रखें या तिजोरी में रखें ।
6. साधना के दौरान आपका शरीर कई बार आपका साथ छोड़ने लगेगा । आपकी हिम्मत जवाब देने लगेगी, शरीर के कई हिस्सों से दर्द निकलेगा पर आपको हिम्मत रख कर एक बार ये पूरा साधना करनी है । दरअसल वो पीड़ा आपके शरीर को होती है वो आपकी नकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर से निकल रही होती है ।
7. जब आप साधना पूरी कर लें तो "जयश्रीराम" बोल के आसन छोड़ देवें व आसन को लपेट के रख देवें और लघुशंका वगैरह कर के सीधा बिना कुछ बोले या किसी से बात किये हुए साधना स्थल पर जमीन पर ही सो जाएं अगर ऐसा संभव न हो तो बिस्तर में जा कर लेट जाएं ।
8. साफ सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें ।
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यह साधना विशेष फलदायी है और आजमाई हुई है , इसके कई सफल प्रयोग मैंने स्वयं के जीवन में किये हैं, और जिनको भी यह साधना बताई गई है उनके सभी के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं । यह साधना मैंने कई ऐसे परिवारों को बताई है जिनके परिजन जेल में थे , जो बिना किसी गुनाह के जेल में सज़ा भुगत रहे थे , जिनको बाहर निकलने का कोई अवसर नही मिल रहा था , उन्होंने जेल में रहकर ये साधना सिर्फ श्रद्धा और विश्वास से पूरी की और बाहर निकलने के बाद उनके द्वारा बताया गया कि जेल में बिना किसी सामग्री, सामान , आसन के रात को ये साधना की और परिणामस्वरूप हम बाहर हैं और निश्चित ही कोर्ट केस भी जीतेंगे और वे जीते भी ...कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आपकी इच्छा, मनोकामना सही है, आप सही हैं । बस आपको समर्पण भाव से श्रद्धा और विश्वास से ये साधना करनी है , भले आपके पास कोई भौतिक सुविधा न हो तब भी .... प्रभु आपकी जरूर सुनेंगे और आपके कष्टों को हर लेंगे ।
धन्यवाद
।।जय श्री राम।।

विवाह में देरी व बाधा, सुखी गृहस्थ जीवन का शुद्ध सात्विक उपाय

 लेखक- पी. ए. बाला

आज के समय में विवाह में देरी होने भी एक विकट समस्या है। कई जातक स्वयं की शादी न होने के कारण परेशान रहते हैं । कई के माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर चिंतित रहते हैं ।इसके कई कारण है जैसे मांगलिक दोष या अन्य दोष.. इसके अतिरिक्त एक समस्या ये भी है कि शादी होने के बाद परिवार अच्छा मिले, जीवनसाथी अच्छा हो .. दाम्पत्य जीवन सुख से बीते व जिनकी शादी तो हो गई है पर दाम्पत्य जीवन में सुख नही है , पति-पत्नी में अनबन व क्लेश रहता है .. लड़ाई झगड़े बहुत रहते हैं । इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिये एक सुंदर सात्विक प्रयोग बता रहा हूँ , करके देखिये लाभ होगा । ये उपाय श्रद्धा के ऊपर हैं आप श्रद्धा रखते हैं और मानते हैं तो सब कुछ है अन्यथा तो कुछ नही है । जिनको लगता है बहुत कुछ करके देख लिया कुछ फायदा नही है तो उनसे कहना है बहुत कुछ में एक ये भी करके देख लीजिये , इसमें खर्चा भी कुछ खास नही है .. करके देखिये प्रार्थना कभी व्यर्थ नही जाती । उपाय इस प्रकार है :-


शुक्ल पक्ष के किसी भी बृहस्पतिवार को अपने नजदीक के किसी मंदिर में जहां लक्ष्मीनारायण जी का विग्रह हो उनको पीले फूलों का युगल हार पहनावें । युगल हार का मतलब है कि एक ही माला जो लक्ष्मीनारायण भगवान को एक साथ पहनाई जाये । इसके साथ ही आपको सवा किलो केले व पंडित जी को श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी है । मंदिर और विग्रह ऐसा हो जहां आप पंडित जी की मदद से प्रभु को हार अपने हाथों से पहना सकें । जहां ऐसी व्यवस्था न हो तो फिर पंडित जी को कहकर अपने सामने ही पहनवाईये । प्रभु से प्रार्थना कीजिये निश्चित ही पूरी होगी । जो लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह भी यह प्रयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से गुरु और शुक्र दोनों के शुभ फल प्राप्त होंगे ।
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ध्यान देने योग्य बातें :-
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1. हार एक ही धागे में बना हो , क्योंकि अक्सर माला तैयार करने वाले लोग दो माला या तीन माला को तोड़कर गांठ बांधकर दे देते हैं अतः उनसे कहियेगा की एक ही माला बनायें ।
2. जिनका यह प्रश्न हो कि घर में तस्वीर पर यह उपाय कर सकते हैं क्योंकि आस पास कोई लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर नही या मंदिर में विग्रह नही है । उनसे कहना है कि ऐसा मंदिर ढूँढिये जरूर मिलेगा । घर पर करना चाहें तो कर सकते हैं क्योंकि श्रद्धा ही सब कुछ है , पर मंदिर में करें तो श्रेष्ठ है ।
3. जिस भी मंदिर में आप ये करें उससे एक दिन पहले पुजारी जी से बात कर लेवें व माला का माप आदि ले लेवें , क्योंकि कई बार माला छोटी पड़ जाती है या बड़ी पड़ जाती है । व आपको भटकना न पड़े इसके लिये पहले से तैयारी कर लीजियेगा ।

कोर्ट केस व वाद-विवाद में विजय प्राप्ति हेतु अचूक उपाय

 लेखक - पी. ए. बाला

आज के माहौल में बहुत सारी समस्याओं में एक समस्या कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद इत्यादि की भी है । बहुत लोग मासूम व निर्दोष होते हुए भी कानून व कोर्ट के चक्करों में फंस जाते हैं , और चाह कर भी इससे निकल नही पाते । न्यायालय में किसी का मामला सालों से चल रहा है पर सुलझ नही रहा । कोर्ट और वकीलों के चक्कर लगाते हुए आम इंसान की माली हालत भी खराब हो जाती है । उनको समझ नही आता कि करें भी तो क्या करें । कई लोग छोटी सी गलती या गलत संगत की वजह से जेल भुगत रहे हैं । ये केस किसी भी प्रकार के हो सकते हैं चाहे वो तलाक का भरण पोषण का हो , जमीन व मकान का हो , पैसों के लेन देन इत्यादि का हो , लड़ाई झगड़े या अन्य इत्यादि भी हो सकते हैं । इनसे बचने या निकलने के लिये कई लोग ज्योतिष तंत्र मंत्र का सहारा लेते हैं । ज्योतिष और तंत्र में कई उपाय हैं जो आपकी रक्षा करते हैं । इनमें एक अति प्रभावशाली उपाय एक स्तोत्र या पाठ के रूप में आपको बताने जा रहा हूँ , जो कि माँ बगलामुखी से संबंधित है और अत्यंत सरल और प्रभावी है । इस उपाय को वही करें जो जानते हैं कि सही में निर्दोष हैं या इतनी बड़ी गलती नही है जिसकी वो सजा भुगत रहे हैं । क्योंकि जिससे भी पूछा जायेगा वो अपने को सही सामने वाले को गलत ही बतायेगा । यह तो आपका अंतर्मन जानता है कि आप दोषी हैं अथवा निर्दोष क्योंकि आप खुद से समाज से कानून से झूठ बोल सकते हो , उनको धोखा दे सकते हो पर माता को धोखा नही दे सकते, वो सब जानती है कि कौन क्या है अतः पूरा भरोसा रख कर पूरे विश्वास के साथ उपाय करें , निश्चित आपको सफलता मिलेगी । सारा खेल ही श्रध्दा और विश्वास का है ..मानो तो बहुत कुछ है न मानो तो कुछ नही है ।

श्रीबगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्

यह पाठ आप स्वयं भी कर सकते हैं अथवा किसी के लिये कर भी सकते हैं । पाठ अत्यंत सरल है , इसमें आसन और दिशा का ध्यान रखें पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठें साथ में एक कटोरी में थोड़ा सा जल बिल्कुल नाम मात्र लेकर बैठें । तस्वीर या यंत्र इनकी जरूरत नही है पर आप रखना चाहें तो रख सकते हैं ।

ध्यान देने योग्य बात :- पाठ के शुरुआत में विनियोग है जिसमें आपको अपने हाथ में जल लेना है व विनियोग पूरा होते ही जहां "जपे विनियोग" आता है वहां जल को भूमि पर उंगलियों की तरफ से छोड़ना है । फिर आगे का पाठ आप कर सकते हैं ।

सर्व मनोकामना सिद्धि के लिये त्रिधातु का अचूक रामबाण प्रयोग

 लेखक: पी. ए. बाला

आज किसी भी प्रकार का ज्ञान न देते हुए आप सभी को ऐसे उपाय या प्रयोग के बारे में बताता हूँ जो कि सिद्ध है, आजमाया हुआ है । मैंने पेज पर कई लोगों को परेशान होते देखा है , कई प्रकार की परेशानियों से त्रस्त हैं । किसी न किसी पोस्ट पर अधिकतर अपने किसी ग्रह के कारण पूछताछ करते मिल जाते हैं। आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी से दुखी है .. चाहे वो कर्ज़ , बीमारी, ग्रह दशा, कुंडली के बहुत सारे बुरे योग, पित्र दोष, संतान प्राप्ति, विवाह, तलाक, लड़ाई झगड़े, नौकरी, तरक्की, ज़मीन जायदाद, कोर्ट कचहरी इत्यादि समस्याओं से जूझ रहा है । अब ऐसे में किस किस ग्रह का या क्या क्या उपाय करें कि सब सुचारू रूप से चल सके , वो भी तब जब आजकल के समय न तो किसी के पास पैसा है बार बार लगातार उपाय करने का , न समय है । हर किसी व्यक्ति को किसी न किसी रूप में त्वरित सुकून चाहिये ही ,ऐसे में आपको ऐसे सिद्ध उपाय के बारे में बताने जा रहा हूँ जो हल्का खर्चीला तो है परंतु अगर एक बार दुख सुख पाकर ये उपाय कर लिया तो फिर आपको वापिस पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नही पड़ेगी । उपाय इस प्रकार है :-

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गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन अपने किसी जानकार सुनार से अपने सामने बैठ कर एक त्रिधातु का छल्ला जिसमें तांबा 65% सोना 20% चांदी 15% हो , आप चाहे तो तीनों धातु के तारों को समान रूप से मुड़वा कर भी छल्ला तैयार कर सकते हैं , परन्तु मैं ठोस छल्ले को श्रेष्ठ मानता हूं । ये आपकी सीधे हाथ की रिंग फिंगर के नाप से बनेगा । ये आपके ऊपर है कि आप कितने वजन का बनवा रहे हो ... आप जितना भी वजन का बनवाएं पर ध्यान रखें कि उसमें मात्रा ऊपर बतायी मात्रा के अनुसार हो, इसको अपने सामने बैठ के बनवाएं । छल्ले को आप को उसी दिन किसी भी मंदिर के अंदर पीपल के पेड़ पर तने पर छुपा देना है अथवा बांध देना है, ध्यान रहे कि छल्ला तने से स्पर्श करता हुआ हो । उसको इस तरह से छुपाएं की न वो किसी को नज़र नही आये, ताकि कोई निकाल न सके । ठीक 5 दिन बाद उस छल्ले को त्रिदेवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश व पीपल की आज्ञा लेकर अपने साथ ले आएं और शिवलिंग के ऊपर रख कर गंगाजल व दूध से अभिषेक करें, ध्यान रहे अभिषेक करते समय छल्ला शिवलिंग पर स्पर्श करता रहे । शिवजी की आज्ञा लेकर छल्ले को हाथ में रख कर 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और घर ले आएं । एक कटोरी में गंगाजल लेकर उसमें छल्ले को डुबोकर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रखें और उसके बाद उसको ले आएं और पूर्व या उत्तर मुखी होकर अपने सामने एक पाटे अथवा चौकी पर पीला रुमाल बिछा कर छल्ले को उसमें रख देवें , छल्ले को केसर का इत्र लगावें । एक दिया प्रज्ज्वलित करें उसकी तिलक, फूल , धूप-दीप आदि देकर पूजा करें , उसमें एक हल्दी की साबुत गांठ , निम्बू व 11 लौंग रखें । उसके पश्चात 3 माला "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें । इसके पश्चात 108 साबुत गुलाब की पंखुरी एक प्लेट में रखें और निम्न मंत्र का जप करते हुए एक-एक पंखुरी उस छल्ले रुमाल में चढ़ाते जायें , इस तरह आपको 108 बार मंत्र बोलना है और 108 गुलाब की पंखुरी उसपर चढ़ानी है ।
मंत्र इस प्रकार है :-
"देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥"
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इसके बाद इस रुमाल को समस्त सामग्री समेत बांध कर अपने पूजा घर में अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार तक रोज धूप दीप दिखाते हुए रखना है । अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्योदय के समय इस रुमाल को खोल कर छल्ला अपनी रिंग फिंगर में "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करते हुए धारण कर लेवें । उसी दिन छल्ले के निमित यथाशक्ति दान करें, बाकी सामग्री को उसी रुमाल में बांध कर नदी, तालाब, कुएं में डाल देवें ध्यान रहे आपको सामग्री पीपल पर नही चढ़ानी । उसके बाद आप अपने जीवन में होने वाले चमत्कार और बदलाव को महसूस करें । आप पाएंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी समस्त परेशानियां दूर होती जा रहीं हैं , बहुत सुकून आपके जीवन में होगा जिसे आप खुद महसूस कर पाएंगे ।
*नोट :- रोज स्नान के बाद उस छल्ले पर केसर का इत्र जरूर लगाएं इससे उसकी ऊर्जा जागृत रहेगी ।
हर पूर्णिमा पर छल्ले को गंगाजल में एक कटोरी में डूबा कर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रख कर फिर निकाल कर वापिस धारण कर लेवें , इससे छल्ला एक्टिवेट रहता है ।*

3 प्रयोग जो दिलाएंगे आपको विशेष परेशानियों में मुक्ति

लेखक - पी. ए. बाला

 वैदिक ज्योतिष व तंत्र-मंत्र के उपाय कुछ समय लेते हैं अपना असर दिखाने में, परन्तु कभी कभी ऐसी परेशानी या मुसीबत में इंसान फंस जाता है कि उसे कुछ त्वरित फायदा मिल जाये जिससे उसको थोड़ी राहत की सांस मिले, उसे थोड़ा समय मिल जाये जिससे उसको परेशानी से मुक्ति पाने के लिये कोई ठोस कदम उठाये । ऐसे ही 3 प्रयोग हैं जो आप करेंगे तो आपको विशेष परेशानियों में मुक्ति मिल जायेगी । उपाय इस प्रकार हैं :-

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1. आपके शहर के बाहर हाइवे पर सड़क के दोनों ओर या आस पास कोई पहाड़ हो तो उसमें आप ऐसे सूखे पेड़ देखेंगे जो गर्मियों में पूरी तरह सूख जाते हैं , सिर्फ बारिश के मौसम में उसमें पत्तियां आती हैं । ऐसे पेड़ में रविवार को एक मिट्टी के मटके से पानी डाल देवें । पानी रविवार को डालें , आपातकाल में कभी भी डाल सकते हैं । कोई समय नही बस मिट्टी के मटके से पानी देवें । पानी सिर्फ एक बार ही चढ़ाना है ।
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2. थोड़े बादाम, पिस्ता, काजू गर्म पानी में भिगो कर थोड़ा पानी डाल कर उसका पेस्ट बना लेवें । इलायची, काली मिर्च , सूखी अदरक व ताज़ी हल्दी को कूट लेवें । गाय के दूध में एक दालचीनी का टुकड़ा व लौंग डाल कर उबालें , दूध उबलने के बाद उसमें इलायची , काली मिर्च, सूखी अदरक, ताज़ी हल्दी कुटी हुई दूध में डालें व थोड़ी देर में काजू, बादाम, पिस्ता का पेस्ट डालें व केसर चीनी या गुड़ डाल कर उबालें जब दूध आधा रह जाये तब उतार कर हल्का गुनगुना हनुमानजी को भोग लगावें । सर्दियों में विशेष लाभ होता है । कहा जाता है कि माता अंजनी बाल हनुमान जी को यही दूध पिलाया करतीं थीं । हनुमान जी इस दूध से बहुत प्रसन्न होते हैं जैसे वो माता अंजनी से रहते थे । सारे तर्क वितर्क को छोड़ कर इस उपाय को श्रद्धा व विश्वास करें । हो सकता है कुछ लोगों को यह विचित्र लगे इसका प्रमाण मांगे तो उनसे मेरा यही कहना है कि मैंने भी दक्षिण भारत में सुना है , लोगों की आस्था है मैं बस उनकी आस्था और विश्वास को मानता हूं । जो लोग इतना ताम झाम नही कर सकते वो साधारण दूध भी चढ़ा सकते हैं , पर यहाँ जो मैंने सुना और किया उसका विवरण दिया गया है ।
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3. कच्चे सूत को हल्दी में रंग कर बृहस्पतिवार को पीपल वृक्ष पर लपेटें व 7 हल्दी गांठें उसमें तने को छूती हुई थोड़ी थोड़ी गैप में फंसा देवें ।
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यह उपाय सिर्फ एक बार करने के हैं । कोई विशेष परेशानी हो तो इनमें से किसी भी एक उपाय को प्रयोग में ले सकते हैं । यह उपाय ऐसे है जैसे हम जब बीमार और दर्द में होते हैं तो डॉक्टर को कहते हैं कि बीमारी तो जाती रहेगी बस ऐसी कोई दवाई दो जिससे दर्द में तो आराम मिले .... बस यह उपाय भी ऐसे ही हैं कि परेशानी तो जाती रहेगी बस जो गला घुंट रहा है , कोई ऐसा काम अटका हुआ है जिसके होने से परेशानी दूर हो जाये तो यह उपाय उसको ठीक कर देंगे ।

"राम" नाम का बहुत सुंदर और चमत्कारी प्रयोग

लेखक : पी. ए. बाला

"राम" नाम का बहुत सुंदर और चमत्कारी प्रयोग जो आपकी हर संकट से रक्षा करेगा । श्रीराम जी इसके देवता हैं और हनुमान जी इसके रक्षक :-

कुंडली के 9 ग्रहों से ऊपर भी एक ग्रह होता है , वो है अनुग्रह यानी कृपा । अगर प्रभु की विशेष कृपा हम पर हो जाये तो कोई ग्रह कितना बुरा असर दे रहा हो नही देगा । जिन भी व्यक्तियों को लगता है उनका जीवन बहुत संघर्षमय है , बहुत तकलीफ में है । सभी उपाय करके थक गये हों , सब प्रकार की पूजा-पाठ कर ली हो , हर प्रकार का रत्न पहन के देख लिया हो । आगे कोई रास्ता न सूझ रहा हो लग रहा हो कि इसके आगे हिम्मत जवाब दे गई है , तब आप ये उपाय करें जो बेहद सरल सात्विक उपाय है । आप जितनी परेशानियां एक मानव जीवन में सोच सकते हैं , चाहे वो मानसिक हो शारिरिक अथवा आर्थिक , जितना बुरे से बुरा आप किसी इंसान के जीवन के बारे में सोच सकते हैं , उन सभी परेशानियों से निकालने का एक बेहद तीव्र और अचूक रामबाण उपाय है ये , उपाय इस प्रकार है :-
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शुक्लपक्ष के किसी भी बृहस्पतिवार को आपको 14 पत्ती तुलसी, शुद्ध केसर , साबुत हल्दी की गांठ लेनी है ,इसको गंगाजल मिला के पीस लेना है और इसका पेस्ट बना लेना है । इस पेस्ट से अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) के द्वारा चित्र में बताये अनुसार स्वस्तिक का निर्माण अपने मुख्य द्वार के ऊपर करना है । ध्यान रहे स्वस्तिक में बिंदु चित्र अनुसार लाल रंग (कुमकुम) से बनेंगे । कुमकुम का पेस्ट गुलाब जल डाल कर बनाना है । एक हैंडमेड पेपर की शीट लेकर उसपर दूसरे चित्र के अनुसार बिल्कुल ऐसे ही (तुलसी, केसर, हल्दी) युक्त पेस्ट से ।।राम।। नाम लिखना है , बनने के बाद रोली-कुमकुम से इस पर छींटे देकर फ्रेम करवा लेवें । इसके पश्चात गुलाबजल से फ्रेम पर छींटे देकर साफ कपड़े से पोंछ लेवें और इत्र लगाएं, इत्र कोई भी इस्तेमाल कर सकते हैं । तिलक कर पुष्प अर्पण करके धूप-बत्ती दिखा कर , राम अमृतवाणी,रामायण मनका ,
राम रक्षा स्तोत्रः या जो आपको आसानी से करने को मिले या कर सकते हों , उसका पाठ कर सकते हैं । इसके पश्चात हनुमान चालीसा जरूर पढ़ें और अपना पूरा ध्यान इस फ्रेम पर रखें । नित्य आपको इसी तरह इसकी पूजा करनी है । थोड़े दिनों में आप बेहद सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करने लगेंगे । आपकी सभी परेशानियां शनै: शनै: खत्म होती चली जाएंगी ।



राम नाम कोई साधारण से नाम नही बल्कि अपने आप में पूरा जागृत अमोघ मंत्र है , जो सब प्रकार के शोक ताप दुख को नष्ट कर देता है । जिस तरह किसी भी व्यक्ति के तकलीफ में मुँह से माँ शब्द निकलता है और जब बच्चा दुनिया में आता है, और पहला शब्द माँ ही पुकारता है , वैसे ही राम शब्द भी इंसान विशेष सनातनियों के मुँह से स्वतः ही निकलता है । इस दो शब्द के मंत्र में पूरी दुनिया समायी है , पूरी दुनिया का सार है । स्वयं शिव ने कहा कि मै सदैव राम नाम का जप ही करता हूँ । इस मंत्र को जपने और साधने वाले की स्वयं हनुमान जी रक्षा करते हैं । अब जिसकी रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हों उसका कोई ग्रह या दोष या शत्रु क्या बिगाड़ सकता है ? अतः निवेदन है कि एक बार इस सुंदर सात्विक प्रयोग को कर के देखें आप अपने जीवन में चमत्कार की अनुभूति भी स्वयं ही करेंगे ।
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।।राम।।

 

पितृ दोष निवारण का सटीक उपाय

लेखक: पी. ए. बाला 

तो आइये आपको ऐसे उपाय के बारे में बताता हूँ जो अपने आप में ही सर्वश्रेष्ठ है ।

जिनको भी पितरों के दोष से संबंधित समस्या है उनको चाहिये कि अपने पितरों के निमित अपने घर के निकट शिवालय में बेल का पेड़ लगाएं और उसका नित्य सींचन करें ये नही कि लगाया और भूल गये । उसका नित्य सार संभाल , देख भाल करें । उसको अपने परिवार के सदस्य की तरह मानें अगर आप किराए पर रहते हैं या किसी कारण घर बेच के दूसरी जगह चले गये या ट्रांसफर हो गया तो कोई बात नही जहां रहें वहां नया पेड़ लगायें । इसमें दो मुख्य आपको फायदे होंगे एक तो बेल के पेड़ में लक्ष्मी का वास होता है तो इस पेड़ को सींचने से आपके घर लक्ष्मी का वास होगा , दूसरा ये कि वृक्ष बड़ा होगा तब कई लोग जो उस मंदिर में आते हैं उस वृक्ष से बेलपत्र लेकर शिवजी को चढ़ाएंगे जितना बेलपत्र शिवजी को चढ़ेगा उतना पितर आपसे प्रसन्न रहेंगे , लोगों की दुआ मिलेगी सो अलग क्योंकि उनको बेलपत्र के लिए भटकना नही पड़ेगा । आप स्वयं भी बेलपत्र शिवजी को अर्पण कर प्रार्थना करें कि मेरे सभी तृप्त अतृप्त पूर्वजों और पितरों को मुक्ति दो अपनी शरण में उनको जगह दो । उस वृक्ष की छांव में बैठें उसके तने को सहलाएं । श्राद्ध वाले दिन अमावस्या पर बेलपत्र शिवजी को अर्पित करें । इसके साथ ही मंदिर में एक आम एक नीम का पेड़ भी अवश्य लगाएं । वैसे भी इंसान को अपने जीवन काल में आम , नीम, बेल, पीपल , केले का वृक्ष लगाना चाहिये , इससे सिर्फ पितर दोष की समाप्ति नही होगी बल्कि नवग्रह से संबंधित परेशानियां दूर होंगी । जहां आप लोग हज़ारों लाखों खर्च करके भी शांति नही पा रहे तो एक बार ये उपाय कीजिये इससे सरल सस्ता प्रभावी उपाय आपको नही मिलेगा । आप और कुछ नही तो प्रकृति की सेवा के निमित ही ये वृक्ष लगाइये । इस प्रकृति से हम इतना कुछ ले रहे हैं ,इस उपाय से हम प्रकृति को कुछ लौटा कर अपनी आने वाली पीढ़ी के लिये कुछ छोटा सा योगदान ही करके जाएंगे । कुछ वृक्ष विशेष मौसम में लगते हैं उनकी जानकारी आप अपने नजदीकी नर्सरी से लीजिये । बारिश के बाद पितर पक्ष आता है अपने पूर्वजों के श्राद्ध वाले दिन वृक्ष लगाये, आप यकीन मानिये जैसे जैसे वृक्ष बढ़ेगा । आपका यश सम्मान उन्नति कीर्ति बढ़ेगी । वैसे एक कहावत भी है कि एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान होता है । आजमा के देखिये नुकसान तो कोई है नही ।

गुरुवार, 25 जुलाई 2024

एक मुट्ठी गेहूं का दिव्य तांत्रिक उपाय

लेखक - पी. ए. बाला

दिव्य तांत्रिक उपाय : बहुत वर्ष पूर्व मैं एक बहुत सघन समस्या में घिर गया, उससे निकलने के लिए मैंने एक साधनागत उपाय प्राप्त किया, अब चूंकि यह साधनागत उपाय था तो सफल होने की गारंटी तो थी, पर इतनी जल्दी असर करेगा, यह मैंने नही सोचा था, वह इस प्रकार है : एक मुट्ठी गेहूं लेकर एक कटोरी में रख कर रात भर सिरहाने रख कर सोएं, सुबह उठते ही पलंग से उतरें नही और इस कटोरी को दोनों हाथों से पकड़ कर एकटक दृष्टि से उसे देखते रहें, और अपनी पूरी नकारात्मक ऊर्जा यानी अपनी समस्या उसमें उड़ेल देवें अर्थात ऐसा देखते हुए सोचें कि इसमें मैं अपनी सारी समस्या भर रहा हूँ, और फिर स्नानादि करके, बिना कुछ खाये अपने शहर के किसी भी बड़े मुख्य मंदिर के मुख्य दरवाजे के सामने सड़क पर यह गेहूं फेंक कर चले आएं । उस समय मैं जयपुर रहता था तो यह प्रयोग मैंने जयपुर के गोविंददेवजी जी जो कि जयपुर का मुख्य मंदिर है के मुख्य द्वार के सामने सड़क पर किया था, यह प्रयोग मैंने सांय 4 बजे किया था, और सात बजे वह समस्या हल भी हो गयी थी । इसमें यह ध्यान रखें कि इस प्रयोग को जिस मन्दिर के सामने करें , उस मंदिर के दर्शन उस दिन प्रयोग करने से पहले और बाद में न करें ।

ज्योतिष के सरल उपाय 2








 

ज्योतिष के सरल उपाय


































 

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